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सीमा विवाद: चीन की हरकतों पर भारत की पैनी नजर, यहां मिसाइलों से लैस जवानों की तैनाती

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सैन्य स्तर पर दोनों देशों के बीच कई बार वार्ताएं हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। जिसके कारण सीमा पर अभी भी तनातनी बनी हुई है।

Newstrack
Published on: 25 Aug 2020 12:40 PM GMT
सीमा विवाद: चीन की हरकतों पर भारत की पैनी नजर, यहां मिसाइलों से लैस जवानों की तैनाती
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भारतीयों जवानों की फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सैन्य स्तर पर दोनों देशों के बीच कई बार वार्ताएं हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।

जिसके कारण सीमा पर अभी भी तनातनी बनी हुई है। चीन लगातार सीमा पर अपनी सुरक्षा को और भी ज्यादा मजबूत कर रहा है। उसने घातक हथियारों के अलावा बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिए हैं।

जिसके बाद से भारत भी चीन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देने में जुट गया है। भारत ने अत्याधुनिक हथियारों के अलावा भारी मात्रा में फ़ोर्स तैनात कर दी है।

लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की फाइल फोटो लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की फाइल फोटो

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वायु रक्षा मिसाइलों से लैस सैनिकों को किया गया तैनात

सीमा पर लगातार सुरक्षा व्यवस्था को और भी ज्यादा चाक चौबंद किया जा रहा है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब चीनी हेलीकॉप्टरों की गतिविधियों के मद्देनजर भारतीय वायुसेना ने ऊंचाई पर कंधे से हवा में मार करने वाली वायु रक्षा मिसाइलों से लैस सैनिकों को तैनात किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ‘रूसी मूल के इगला हवाई रक्षा प्रणाली से लैस भारतीय सैनिकों को सीमा पर महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात किया गया है ताकि दुश्मन के भारतीय सीमा के अदंर दाखिल होने वाले किसी भी विमान पर नजर रखी जा सके।’

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गलवान घाटी की फाइल फोटो गलवान घाटी की फाइल फोटो

इतना ही नहीं भारत की ओर से दुश्मन की हवाई आवाजाही पर नजर रखने के लिए रडार और सतह से लेकर हवाई मिसाइल सिस्टम की तैनाती के जरिए मानिटरिंग बढ़ा दी गई है।

रूसी मूल की वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग भारतीय सेना और वायुसेना दोनों द्वारा किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब दुश्मन के लड़ाकू जेट या हेलिकॉप्टर तैनाती के करीब आ जाते हैं।

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