चीन निशाने पर: भारत ने तैनात किये T-90 टैंक, एक झटके में दहला देगा देश

पूर्वी लद्दाख के अक्साई चीन में चीनी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गयी है। जवाब में भारत ने भी सेना को बढ़ा दिया मिसाइल दागने वाली T-90 टैंक्स को तैनात किया है।

Shivani
Published on: 27 July 2020 3:04 AM GMT
चीन निशाने पर: भारत ने तैनात किये T-90 टैंक, एक झटके में दहला देगा देश
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नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच लद्दाख में हुई सैनिक झड़प और सीमा विवाद के बाद दोनों देशों ने यहां सेना बढ़ा दी तो वहीं भयानक हथियारों की भी तैनाती की है। बातचीत के बाद चीनी सैनिक लद्दाख की गलवान घाटी समेत कई इलाकों से भले ही पीछे हट गए हों लेकिन अक्साई चीन में करीब 50 हजार PLA सैनिक तैनात किये गए हैं। चीन की इस चाल से निपटने के लिए भारत ने भी तैयारी कर ली और मिसाइल दागने वाले T-90 टैंक्स का स्क्वॉड्रन (12) काराकोरम पास में तैनात कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत ने LAC पर इस टैंक्स की तैनाती की हों।

अक्साई चीन में 50 हजार PLA सैनिक तैनात

दरअसल, पूर्वी लद्दाख के अक्साई चीन में चीनी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गयी है। जवाब में भारत ने भी सेना को बढ़ा दिया मिसाइल दागने वाली T-90 टैंक्स को तैनात किया है। वहीं भारतीय सैनिकों को लाने -ले जाने के लिए बख्तरबंद गाड़ियों और 4 हजार सैनिकों की फुल ब्रिगेड भी दौलत बेग ओल्डी पर तैनात की गई हैं।

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भारत ने तैनात किए मिसाइल दागने वाले T-90 टैंक्स

बता दें कि भारत का आखिरी आउटपोस्ट दौलत बेग ओल्डी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई 16 हजार फीट है। ये आउटपोस्ट काराकोरम पास के दक्षिण और चिप-चाप नदी के किनारे है। यहां बना पुल भारत के T -90 टैंक्स का भार नहीं सह सकते इसलिए इन्हे नदी -नालों के जरिये भेजा गया है। बता दें कि T-90 टैंक्स का वजन 46 टन है।

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T-90 टैंक्स की ये खासियतें-

T-90 भारत का प्रमुख युद्धक टैंक है। इसका आर्मर्ड प्रोटेक्शन शानदार है। ये जैविक और रासायनिक हथियारों से अच्छी तरह से निपट सकता है।

ये टैंक एक मिनट में 8 गोले फायर कर सकता है। इस तरह के टैंक शुरुआत में रूस से बनकर आए थे।

इस टैंक में अचूक 125MM की मेन गन है, जो 6 किलोमीटर दूर मिसाइल लॉन्च कर सकता है।

इन टैंक का वजन 48 टन है। रात और दिन में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है।

गौरतलब है कि लद्दाख स्थित गलवान घाटी में LAC पर 15 जून को चीन और भारत के सैनिजों के बीच झड़प हो गयी थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच बातचीत हुई। बाद में दोनों देशों के सैनिक गलवान के पोस्ट 14 से पीछे हट गए थे।

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