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Ebrahim Raisi: ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति का सम्मान में भारत में आज राष्ट्रीय शोक, चाबहार में निभाई थी अहम भूमिका

Ebrahim Raisi: राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का आज तबरीज शहर में अंतिम संस्कार होगा। भारत में राष्ट्रीय शोक घोषित होने की वजह से मंगलवार को देश के बड़े सरकारी संस्थानों में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है।

Viren Singh
Published on: 21 May 2024 9:42 AM IST (Updated on: 21 May 2024 9:45 AM IST)
Ebrahim Raisi
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Ebrahim Raisi (सोशल मीडिया) 

Ebrahim Raisi: हेलिकॉप्टर हादसे में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की मौत से न सिर्फ ईरान को बड़ा झटका लगा है, भारत को भी बड़ा नुकसान हुआ है। एक इस्लामिक देश कैसे गैर इस्लामिक देश के साथ अपने अच्छे रिश्ते बना सकता है, इसका उदाहरण ईरान से अच्छा कोई नहीं हो सकता। ईरान और भारत की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। आज जब इब्राहिम रायसी की मौत से ईरान शोकाकुल में डूबा हुआ है तो भारत ने भी इस दुख की घड़ी में एक अच्छे साथी की तरह खड़ा हुआ है और वहां के लोगों की हर संभव मदद करने का ऐलान किया है। ईरान के राष्ट्रपति के निधन पर भारत सरकार ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। वहीं, रायसी के निधन से खाली हुई राष्ट्रपति सीट के लिए होने वाले चुनाव की तारीख की घोषणा भी कर दी गई है।

भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक को ईरान में पांच दिन का

भारत में राष्ट्रीय शोक घोषित होने की वजह से मंगलवार को देश के बड़े सरकारी संस्थानों में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ दिखाई दिया। इसके अलावा कई देश ने भी ईरान के राष्ट्रपति के निधन पर उनके सम्मान में अपने यहां एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित करते हुए राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया। वहीं, ईरान में पांच दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।

आज होगा का अंतिम संस्कार

राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का आज तबरीज शहर में अंतिम संस्कार होगा। इन अंतिम क्रिया के बाद उनका पार्थिव शरीर भले ईरान की मिट्टी मिल जाए, लेकिन उनके द्वारा भारत के हितों के लिए लिए फैसलों की धनक की यादें हमेशा भारतीयों के बीच जिंदा रहेगीं। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई हैं, लेकिन देश और विदेश के लिए बनाई गईं नीतियों में इब्राहिम रायसी की भी दखल चलती थी।

चाबहार बंदरगाह में निभाई थी अहम भूमिका

यही वजह के 20 सालों तक ईरान के किसी भी राष्ट्रपति ने चाबहार बंदगाह को लेकर कोई फैसला नहीं कर सके, वह इब्राहिम रायसी ने कर दिया। इतना नहीं, चाबहार बंदगाह को ईरान के सुप्रीम लीडर भी अधर की स्थिति में फंसे हुए थे, इन्हें स्थिति से निकालते हुए चाबहार को लेकर भारत और ईरान के दीर्धकालीन अनुबंध पर साइन कर इब्राहिम रायसी ने भारत के साथ ईरान की दोस्ती की एक और मजबूत दीवार खड़ कर दी।दरअसल, बीते सप्ताह भारत ने ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन व विकास के लिए 10 वर्ष का अनुबंध किया। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंचने का एक अहम रास्ता प्रदान करवाता है। जब से चीन पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, तब से भारत के लिए भी रणनीतिक तौर पर यह जरूरी हो गया था कि अरब सागर में भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए चाबहार में मौजूद रहे। 2003 में पहली बार भारत-ईरान के बीच इस बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किए गए थे। लेकिन दीर्घकालिक समझौता अलग-अलग कारणों से लटकता रहा। इसकी सफलता 2024 के मई महीने जाकर मिली। हालांकि भारत ने 2017 से बेहेश्ती बंदरगाह पर टर्मिनल का निर्माण कर उसका संचालन शुरू कर दिया। इस सफलता में इब्राहिम रायसी का अहम योगदान रहा।

ईरान में राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान

राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ईरान में नए राष्ट्रपति का चुनाव करना की तारीख की घोषणा हो गई है। 28 जून को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार 30 मई से 3 जून तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। 12-27 जून तक चुनाव के लिए प्रचार किया जा सकेगा।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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