TRENDING TAGS :
Hydrogen Train: भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का होने वाला है ट्रायल, जानिए सब कुछ
Hydrogen Train: देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल हरियाणा के जींद और सोनीपत रेलवे स्टेशनों के बीच जल्द ही होने वाला है।
Hydrogen Train: भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन अब पटरी पर आने वाली है। यह 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेगी और इसमें न कोई धुआं होगा और न कोई आवाज़।
लखनऊ के अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा डेवलप भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के खिलौने मॉडल को लखनऊ के RDSO स्टेडियम में हुई छठी इनोरेल प्रदर्शनी में रखा गया था।
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल हरियाणा के जींद और सोनीपत रेलवे स्टेशनों के बीच जल्द ही होने वाला है।
इस उपलब्धि के साथ, भारत ट्रेनों के लिए ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के साथ प्रयोग करने वाले चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। यह पहल इस क्षेत्र में दुनिया का पहला बड़े पैमाने का प्रयास है।
भारत की पहली हाइड्रोजन ऑपरेटेड ट्रेन का डिज़ाइन अब पूरा हो गया है। जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद, फाइनल परीक्षण 2025 के पहले तीन महीनों के दौरान होने की उम्मीद है। दरें का फाइनल डिजाइन दिसंबर 2021 में जारी किया गया था, और तब से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
ट्रेन की विशेषताएं
- हाइड्रोजन ट्रेन में 8 कोच होंगे जिसमें 2,638 यात्री सफर कर पाएंगे।
- ये ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति तक पहुँचने में सक्षम होगी।
- ट्रेन के तीन कोच हाइड्रोजन सिलेंडर रखने के लिए होंगे। उनमें इंटीग्रेटेड ईंधन सेल कन्वर्टर्स, बैटरी और एयर टैंक होंगे।
- ये ट्रेन छोटी दूरी की यात्रा के लिए होगी।
- ट्रेन रेक बनाने का काम चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में चल रहा है
कैसे काम करेगा हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन से चलने वाला ईंधन सिर्फ भाप यानी स्टीम ही बाहर छोड़ता है। इससे यह पूरी तरह से शून्य-उत्सर्जन समाधान बन जाता है। भारतीय रेलवे का टारगेट वर्ष 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है, सो हाइड्रोजन ट्रेन इसमें मदद करेगी।
- हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें मोटर को चलाने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन फ्यूल सेल्स से पैदा बिजली का उपयोग करती हैं।
- यह ट्रेन पारंपरिक डीजल या कोयले से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में ज्यादा ऊर्जा-कुशल और काफी शांत है। इससे ध्वनि प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी।
- लगभग 80 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ, हाइड्रोजन ट्रेनों के लंबे समय में और सस्ती बनने की उम्मीद है। जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है और ईंधन की कीमतें घटती हैं, परिचालन लागत और कम होती जाएगी, जिससे हाइड्रोजन ईंधन एक टिकाऊ और किफ़ायती विकल्प बन जाएगा।
- अन्य गैर-डीजल ट्रेनों के विपरीत, हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को बिजली वाली पटरियों की जरूरत नहीं होती है। इससे विद्युतीकृत बुनियादी ढांचे के निर्माण की महंगी लागत खत्म हो जाती है। इससे गैर-विद्युतीकृत मार्गों, विशेष रूप से ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों के लिए हाइड्रोजन ट्रेनें एक बेहतर विकल्प बन जाती हैं।
- भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन ट्रेन के परीक्षण के लिए हरियाणा में जींद-सोनीपत मार्ग को इसके बढ़िया बुनियादी ढांचे और कम ट्रेन यातायात के कारण चुना है।
दुनिया भर में हाइड्रोजन ट्रेनें
- जर्मनी और चीन जैसे देशों को रेल परिवहन के लिए हाइड्रोजन ईंधन में सफलता मिली है, लेकिन बड़े पैमाने पर सफलता सीमित रही है। जर्मनी वर्तमान में एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास दो कोच वाले मॉडल पर चलने वाली हाइड्रोजन ट्रेनें हैं।
यूके 2040 तक डीजल ट्रेनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की अपनी रणनीति के तहत हाइड्रोजन ट्रेनों का सक्रिय रूप से परीक्षण कर रहा है। वर्तमान में विभिन्न मार्गों पर एल्सटॉम के कोराडिया आईलिंट मॉडल के साथ परीक्षण चल रहे हैं।
फ्रांस ने 2025 तक परिचालन शुरू करने की योजना के साथ कई क्षेत्रीय लाइनों के लिए हाइड्रोजन ट्रेनों का ऑर्डर दिया है। इस पहल का उद्देश्य पूरे देश में टिकाऊ परिवहन विकल्पों को बढ़ाना है। स्वीडन भी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों पर काम कर रहा है।