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'भ्रष्टाचार-मुक्त' देश बनाने कि मोदी सरकार कि कोशिशें हो रही हैं सफल- सर्वे

देश में पिछले दो साल में भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर हुई हैं ऐसा लोग मानते हैं लेकिन इसमें अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। तकनीक के इस्तेमाल और भ्रष्टाचार पर गहरी चोट पड़ने के बाद इसमें काफी हद तक कमी आई है । 

tiwarishalini
Published on: 20 July 2017 11:18 AM IST
भ्रष्टाचार-मुक्त देश बनाने कि मोदी सरकार कि कोशिशें हो रही हैं सफल- सर्वे
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नई दिल्ली : देश में पिछले दो साल में भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर हुई हैं ऐसा लोग मानते हैं लेकिन इसमें अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। तकनीक के इस्तेमाल और भ्रष्टाचार पर गहरी चोट पड़ने के बाद इसमें काफी हद तक कमी आई है ।

अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि देश एक खास समय सीमा तक भ्रष्टाचार से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा। परन्तु केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की कोशिशें इसमें कमी लाने में सफल हुई हैं । यह आम लोगों की धारणा है ।

अदालतों में चल रहे मुकदमें को ही लें तो इसमें कई ऐसे मामले हैं जिससे भ्रष्टाचार पर चोट की गई है।असंगठित क्षेत्र के लोग अपने केस के जल्द निष्पादन में अतिरिक्त राशि खर्च करने को तैयार हैं। वे ऐसा कर भी रहे हैं। इसीतरह संगठित क्षेत्र के लोगों ने भी यही तरीका अपनाया है ।

कसंलटेंसी फर्म ईवाई जो इस देश की चार बडी सलाहकार कंपनियों में एक है ने कारपोरेट सेक्टर के कई कर्मचारियों से भ्रष्टाचार के मामले में बात की । लगभग सभी ने माना कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगनी शुरू हो गई है ।

हाल ही में किए गए सर्वे की रिपोर्ट इसी महीने जारी की गई जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार के प्रयास से देश भ्रष्टाचार से मुक्ति की ओर बढ़ रहा है। पुराने तरीके अपनाने से लोग बच रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था। देश में भ्रष्टाचार ने संस्कृति का रूप ले लिया था । सर्वे में ये भी कहा गया कि देश का व्यापारी समुदाय अभी भ्रष्टाचार मुक्ति से कम जुड़ रहा है । उसे अपना काम कराना होता है ताकि कानूनी या कार्यालय के झंझट में वो न पड़े इसलिए वो पुराना तरीका अभी छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहा ।

ईवाई और उसके साझेदार इप्सोस ने एशिया की 14 बड़ी कंपनियों के 1698 कर्मचारियों से बात की। इसमें भारत के 60 प्रतिशत कर्मचारियों ने माना कि केंद्र सरकार की नीति के कारण पिछले दो साल में काम की संस्कृति में भी बदलाव आया है और भ्रष्टाचार में भी कमी आई है । कारपोरेट सेक्टर के काम की गति भी बढ़ी है । इनमें 78 प्रतिशत का मानना है कि रिश्वत और भ्रष्टाचार की जड़ें अभी तक काफी मजबूत हैं ।

इनमें भारत के कर्मचारियों में 48 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसी कांट्रेक्ट के एवज में रिश्वत दी या ली जाती है । यह आम बात है । कुछ लोगों को तो इसमें भ्रष्टाचार दिखता भी नहीं है। लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार कंपनी कानून में बदलाव और संशोधन कर इसमें काफी हद तक कमी ला सकती है लेकिन इसमें भी लंबा रास्ता तय करना होगा ।

भारत में कारपोरेट सेक्टर में काम करने वाले 57 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कंपनी का मैनेजमेंट टारगेट एचिव करने के लिए कुछ ऐसी गतिविधि को नजरअंदाज कर देता है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं । वो जानते हुए भी अपने बड़े अधिकारी को इसकी सूचना देने से बचते हैं। इस डर से कि कहीं गाज उन पर ही नहीं गिर जाए । इस कारण उन्हें कई तरह के दवाब में काम करना होता है ।

हर चार में से एक व्यक्ति का मानना है व्हिसल ब्लोयर में प्रर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल पाने के कारण ही स्थिति में बदलाव नहीं आ पा रहा है। सर्वे में उम्मीद जताई गई है कि चीजों में पारदर्शिता आने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी ।

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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