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India Replied to US: CAA पर अमेरिकी टिप्पणी भारत को नागवार, विदेश मंत्रालय की दो टूक- सीमित समझ वाले व्याख्यान न दें
India Replied to US: भारतीय विदेश मंत्रालय ने CAA पर अमेरिकी टिप्पणी का जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा, CAA भारत का आंतरिक मामला है। अमेरिका का बयान गलत और अनुचित है।
India Replied to US on CAA: भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की टिप्पणी का शुक्रवार (15 मार्च) को करारा जवाब दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, 'सीएए भारत का आंतरिक मामला है। इसे लागू होने पर अमेरिका का बयान गलत और अनुचित है।
बता दें, भारतीय विदेश मंत्रालय का ये जवाब अमेरिकी विदेश विभाग के उस बयान पर आया, जिसमें कहा गया था कि हम नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं।
क्या कहा था अमेरिका ने?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने कहा था, 'हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा? मिलर ने आगे कहा, धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।'
India ने US के बयान को बताया अनुचित
अमेरिका के बयान पर जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (MEA Spokesperson Randhir Jaiswal) ने कहा कि, नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है। इसके कार्यान्वयन पर संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का बयान गलत जानकारी देने वाला और अनुचित है।
विदेश मंत्रालय ने बताया किसके लिए CAA
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'यह अधिनियम (CAA) अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। ऐसे शरणार्थी जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके हैं, उन्हें CAA के तहत नागरिकता मिलेगी। इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी। विदेश मंत्रालय ने कहा, सीएए राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है। मानवीय गरिमा प्रदान करता है तथा मानवाधिकारों का समर्थन करता है।'
'सीमित समझ वाले व्याख्यान न दें'
उन्होंने कहा, 'वोट बैंक की राजनीति को संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए एक प्रशंसनीय पहल के बारे में विचार निर्धारित नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को भारत की 'बहुलवादी परंपराओं' तथा क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उन्हें व्याख्यान देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जायसवाल ने कहा, भारत के भागीदारों और शुभचिंतकों को उस इरादे का स्वागत करना चाहिए। जिसके साथ यह कदम उठाया गया है।'