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कुलभूषण जाधव: ICJ में 18 साल बाद भारत-पाक फिर भिड़े, दुनिया की निगाहें टिकीं
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान करीब 18 साल बाद एक बार फिर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में आमने-सामने है। इस बार मामला भारत के कुलभूषण जाधव को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के खिलाफ भारत की ओर से आईसीजे का दरवाजा खटखटाए जाने का है। गौरतलब है कि दोनों देशों के इस टकराव पर दुनिया की निगाहें हैं।
बता दें, कि 18 साल पहले इस्लामाबाद ने अपने एक नौ सैनिक विमान को मार गिराए जाने के बाद आईसीजे से हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। हालांकि, कोर्ट ने पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था।
भारत ने आईसीजे में उठाया था मुद्दा
नीदरलैंड के हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग आईसीजे के पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में जनसुनवाई होगी। यहां विवादित जाधव मामले पर दोनों पक्षों से अपना-अपना मत रखने को कहा जाएगा। भारत ने 8 मई को आईसीजे में याचिका दायर कर कुलभूषण जाधव के लिए न्याय की मांग की थी।
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पाक ने किया वियना संधि का उल्लंघन
इस मामले पर भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने पूर्व नौ सैनिक अधिकारी से दूतावास संपर्क के लिए दिए गए 16 आवेदनों की अनदेखी कर वियना संधि का उल्लंघन किया। पाक की एक सैन्य अदालत ने बीते महीने कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर जासूसी सहित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
18 साल पहले इस मामले पर भिड़े थे दोनों देश
इससे पहले 10 अगस्त 1999 को कच्छ क्षेत्र में भारतीय वायु सेना ने एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान अटलांटिक को मार गिराया था। विमान में सवार सभी 16 नौ सैनिकों की मौत हो गई थी। पाकिस्तान का दावा था कि विमान को उसके वायुक्षेत्र में मार गिराया गया। पाक ने तब भारत से 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मुआवजे की मांग की थी। अदालत की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था।