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India G20 Presidency: वैश्विक संघर्षों व कार्बनीकरण में कमी, विकास और डिजिटलीकरण से जुड़े 4डी के जरिये समाधान

India G20 Presidency: भारत की अध्यक्षता दुनिया को 4डी पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देती है, ताकि संघर्षों को कम किया जा सके।

G. Kishan Reddy
Written By G. Kishan Reddy
Published on: 23 Dec 2022 10:17 PM IST
India G20 Presidency
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India G20 Presidency (Pic: Social Media)

India G20 Presidency: पिछले पखवाड़े में, जब से भारत ने जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की है, दुनिया ने भारतीय अतिथि सत्कार के सार को अतिथि देवो भवः की उक्ति में निहित देखा है – अतिथि, भगवान स्वरुप होते हैं। साझा भविष्य की दृष्टि के साथ, भारत जी-20 की अध्यक्षता वाले वर्ष को एक अवसर के रूप में देखता है। सदी में एक बार होने वाली विघटनकारी वैश्विक महामारी, वैश्विक संघर्षों, आसन्न जलवायु संकट और आर्थिक अनिश्चितता के बाद के प्रभावों के साथ, दुनिया वर्तमान में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में, अधिकांश वैश्विक ताकतें, कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की रक्षा करने और उनकी आजीविका को संरक्षित करने पर केंद्रित रहीं हैं।

भारत की अध्यक्षता दुनिया को 4डी पर ध्यान केंद्रित

हालाँकि, इनमें से कई अनिश्चितताएँ आज भी विद्यमान हैं। भारत की अध्यक्षता दुनिया को 4डी पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देती है, ताकि संघर्षों को कम किया जा सके; त्वरित, न्यायसंगत और समावेशी विकास के लिए तेजी से डिजिटलीकरण हो सके तथा जलवायु संकट से मुकाबले के लिए कार्बनीकरण में कमी लाने को ध्यान में रखते हुए युक्तिसंगत रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए प्रयास किया जा सके।वैश्विक संघर्षों में कमी और कूटनीति

रूसी समकक्ष के साथ हुई बैठक

सितंबर में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान अपने रूसी समकक्ष के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य "आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए" की प्रतिध्वनि दुनिया भर में सुनायी दी। यह रूस-यूक्रेन संघर्ष पर जी-20 की संयुक्त घोषणा का आधार वाक्य भी बना। जी-20, वैश्विक संघर्षों को कम करने के लिए समर्थन जारी रखने का अवसर भी प्रदान करता है।

विभिन्न देशों के साथ सहयोग और नियम-आधारित बहुपक्षवाद को बढ़ावा देना भारत की विदेश और आर्थिक नीति के मौलिक सिद्धांत रहे हैं। भारत कई बहुपक्षीय संगठनों का सदस्य है और इनमें से प्रत्येक ने दुनिया को एक सुरक्षित और अधिक संरक्षित स्थान बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाई है। भारत विकासशील देशों की चिंताओं को मुखर समर्थन देने और यह सुनिश्चित करने में भी सक्षम रहा है कि उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए। जी-20 की अध्यक्षता, भारत को उन बड़े शक्तिशाली राष्ट्रों, जिनमें वह भी एक है और छोटे, विकासशील राष्ट्र, जो उस पर भरोसा करते हैं; के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने का अवसर भी प्रदान करती है।

डिजिटलीकरण और विकास के अंतिम सिरे पर खड़े व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचाना

2005 और 2021 के बीच, भारत 415 मिलियन लोगों को बहुपक्षीय गरीबी से बाहर निकालने में सफल रहा है। पिछले 8 वर्षों में, हमने प्रौद्योगिकी के उपयोग और विशेष रूप से डिजिटलीकरण के माध्यम से गरीबी उन्मूलन से जुड़े कार्यों में तेजी देखी है। 2014 में, भारत ने सरकार के नेतृत्व में एक अभियान की शुरुआत की, जिसके तहत बैंकिंग प्रणाली से बाहर रहे गरीबों और वंचितों के लगभग 500 मिलियन बैंक खाते खोले गए, जिनमें 260 मिलियन महिलाएं शामिल थीं। भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली - आधार और एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) के जरिये, व्यक्तिगत स्तर पर नए तौर-तरीकों के साथ, जनकल्याण से जुड़े धन अंतरण के लक्ष्य पूरे किए गए हैं। 1980 के दशक में एक पूर्व प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की थी कि अंतिम लाभार्थी तक केवल 15 प्रतिशत (1 रुपये में 15 पैसे) ही पहुंच पाता है। 2020 में, जब दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही थी, भारत महत्वपूर्ण लक्षित नकद अंतरण के माध्यम से सर्वाधिक गरीब लोगों की आजीविका को सुरक्षित करने में सक्षम रहा।

आज भारत की जनसंख्या के विशाल पैमाने पर उपलब्ध पहचान प्रणाली और वास्तविक समय पर भुगतान प्रणाली से जुड़ी विश्व स्तरीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, शेष दुनिया के लिए एक मॉडल है। कोविड-19 संकट के दौरान भी, वैक्सीन प्लेटफॉर्म – कोविन - ने भारत को अपने टीकाकरण प्रयासों को विस्तार देने और 2 बिलियन से अधिक खुराकें देने में बहुत सहायता की। विकसित और विकासशील दुनिया इन प्रणालियों का अनुकरण कर सकतीं हैं तथा भारत को अपने अनुभव और सीख को बाकी दुनिया के साथ साझा करने में ख़ुशी होगी।

विकास और अकार्बनीकरण

जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था विकसित होगी और भारत के लोग अधिक समृद्ध होते जायेंगे, भारत की ऊर्जा संबंधी जरूरतें भी बढ़ेंगी। वर्ष 2015 में, पेरिस में हुए कॉप-21 शिखर सम्मेलन में, भारत ने 2030 तक अपने कुल बिजली उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हासिल करने का वादा किया था। इस लक्ष्य को लगभग एक दशक पहले ही नवंबर 2021 में हासिल कर लिया गया। भारत ने दुनिया के सामने इस बात का उदाहरण पेश किया है कि विकास का एजेंडा और पर्यावरण रक्षा की कवायद बिना किसी बाधा के एक-दूसरे के साथ-साथ चल सकते हैं।

भारत ने आईएसए जैसी बहुपक्षीय पहल को बढ़ावा देने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) जैसी बहुपक्षीय पहल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अक्सर जलवायु न्याय – अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ एक ऐसा न्यायसंगत ढांचा जहां विकसित देश जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी में बदलाव की प्रक्रिया की अगुवाई करें- के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के बारे में बात की है। भारत के पास इस वार्ता को जी-20 में जारी रखने और यह सुनिश्चित करने की विश्वसनीयता हासिल है कि इन अलग-अलग जिम्मेदारियों का पालन हो।

संयुक्त समृद्धि का साझा भविष्य

भारत ने अपने विचारों और ज्ञान को दुनिया के भौगोलिक और सांस्कृतिक विभाजनों के परे जाकर मुक्त रूप से साझा किया है। जी-20 में भारत की अध्यक्षता का विषय "एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य" महा उपनिषद के संस्कृत वाक्यांश वसुधैव कुटुम्बकम – समूचा विश्व एक परिवार है- से प्रेरित है । यह विषय न केवल हमारे प्राचीन दर्शन को प्रतिध्वनित करता है बल्कि उत्तरदायित्व, कार्रवाई और समृद्धि के लिए एक संयुक्त आह्वान की राह भी निर्धारित करता है। भारत की 20,000 भाषाओं और विविध संस्कृतियों में, एक साझा वैश्विक भविष्य और आपस में जुड़ी एक विश्व व्यवस्था का विचार एक आम विषय है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व के प्रसिद्ध तमिल कवि कनियान पूनगुनरानार ने लिखा था, "इस पृथ्वी पर स्थित सभी स्थान हमारे शहर हैं और सभी लोग हमारे रिश्तेदार हैं, हम सभी के पूर्वज एक ही हैं"।

भारत ने 150 से अधिक देशों को कोविड-19 से संबंधित चिकित्सीय एवं अन्य सहायता कराई उपलब्ध

ये दर्शन हमें न सिर्फ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपे गए हैं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय चेतना में भी अंतर्निहित हैं। अब यह नियमित रूप से दिखाई देता है कि भारत कैसे दुनिया के साथ जुड़ता है। संकट के समय और एक भयानक वैश्विक महामारी के दौरान, भारत ने 150 से अधिक देशों को कोविड-19 से संबंधित चिकित्सीय एवं अन्य सहायता उपलब्ध करायी। वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के माध्यम से, भारत ने 94 देशों और दो संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं को कोविड के टीके की लगभग 75 मिलियन खुराकें प्रदान की है। रूस और यूक्रेन के बीच शत्रुता के दौर में, भारत सरकार ने न सिर्फ 90 से अधिक उड़ानें संचालित करके 22,500 भारतीय छात्रों को निकाला बल्कि लगभग 20 देशों के 150 से अधिक विदेशी नागरिकों को भी बचाया।

अब जबकि भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है, अमृत काल के हिस्से के रूप में अगले 25 वर्षों के लिए उसने खुद के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वह संयुक्त समृद्धि के साथ-साथ एक साझा वैश्विक भविष्य का आधार बन सकता है। कार्रवाई और विकास की ओर उन्मुख यह अध्यक्षता एक ऐसी नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रयास करेगी जो अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा दे और एक स्थायी, समग्र एवं समावेशी तरीके से न्यायसंगत और समानता पर आधारित विकास की हिमायत करे और ऐसा बिल्कुल ही संभव है।



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Deepak Kumar

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