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Presidential Elections India: क्या BJP इस बार फंसेगी या बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस फिर बनेंगे संकटमोचक?

राष्ट्रपति चुनाव में NDA का पलड़ा मामूली वोट से हल्का दिख रहा है। क्या बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार को अपने इच्छानुसार नतीजों के लिए BJD और YSR Congress जैसे दलों का मुंह ताकना होगा?

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Written By aman
Published on: 10 Jun 2022 5:29 PM IST (Updated on: 10 Jun 2022 5:32 PM IST)
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India Presidential elections 2022 (File Photo) 

Presidential Elections India: भारत के अगले राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) की तारीख का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग (Election Commission) ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया सहित तारीखों का ऐलान किया। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) का राष्ट्रपति चुनाव में NDA का पलड़ा मामूली वोट से हल्का पड़ता दिख रहा है। सवाल ये है कि क्या बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार को अपने इच्छानुसार नतीजों के लिए BJD और YSR Congress जैसे तटस्थ दलों का मुंह ताकना होगा।

बता दें, कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Chief Election Commissioner Rajeev Kumar) ने कल देश के 15वें राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी। ज्ञात हो कि, राष्ट्रपति चुनाव के लिए 15 जून को अधिसूचना जारी होगी। 18 जुलाई को मतदान होगा। मतगणना 21 जुलाई को होगी। जिसके नतीजे तय करेंगे कि भारत के अगले 'महामहिम' कौन होंगे।

गौरतलब है कि, लोकसभा (Lok Sabha), राज्यसभा (Rajya Sabha) और राज्यों की विधानसभा के सदस्यों के मतों द्वारा राष्ट्रपति चुनाव होता है। यही सदस्य निर्वाचन मंडल (Electoral College) बनाते हैं। अगर, इस गणित को समझाएं तो कुल 776 सांसद और विधानसभा के 4,120 विधायकों (MLA's) से निर्वाचन मंडल बनता है। निर्वाचन मंडल में मनोनीत और विधान परिषद सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है। मतलब, इन्हें राष्ट्रपति चुनाव में मताधिकार नहीं होता है। बता दें कि, इस बार राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में पड़ने वाले वोट का कुल मूल्य 1086431 होगा।


लोकसभा-राज्यसभा में किसे नहीं होता मत का अधिकार

ज्ञात हो कि, राज्य सभा में सदस्य संख्या 245 होती है। इनमें 12 मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। उसी प्रकार, लोकसभा (Lok Sabha) में भी दो मनोनीत सदस्य 'एंग्लो इंडियन' (Anglo Indian) इस चुनाव में शामिल नहीं हो सकते।

इस बार मतों का मूल्य होगा कम, जानें क्यों?

जानकारी के लिए बता दें कि, इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के मत का मूल्य कम रहेगा। इसके पीछे की वजह जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में विधान सभा का गठन न हो पाना है। राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद (MP) के मत का मूल्य दिल्ली (Delhi), पुडुचेरी (Puducherry) और जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) सहित अन्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) की विधान सभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है।


राष्ट्रपति चुनाव के लिए क्या है गुणा-गणित?

अब इसे आप गणितीय भाषा में समझें। दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा (J&K Legislative Assembly) भंग होने की वजह से इस बार राज्य विधानसभाओं के सदस्यों (MLA's) का मत मूल्य 5,49,595 से घटकर 5,43,231 रह गया है। अब इसे सीधे अर्थों में कहें तो असर सांसदों के मत मूल्य पर भी पड़ा है। यह अब प्रति सांसद 708 से घटकर 700 रह गया है। इसी प्रकार दोनों सदनों के कुल 776 सांसदों का मत मूल्य 5,43,200 ही रह जाएगा। जो पहले 5,49,408 था।

जीतने के लिए चाहिए इतने प्रतिशत वोट

राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए इस बार किसी पक्ष को इसका 50 प्रतिशत अर्थात 5,43,216 संख्या हासिल करनी होगी। मान लीजिए अगर, इस बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा होती, तो कुल 4,120 विधायकों और 776 सांसदों के मतों का वैल्यू 10,98,803 होता। वैसी स्थिति में जीत के लिए 5,49,452 मतों की जरूरत होती।


क्या BJD-YSR Congress फिर बनेगी संकटमोचक?

अब सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA के गणित को समझें। NDA के पास इस वक्त मौजूदा लोकसभा में 336 और राज्यसभा 118 सांसदों का समर्थन। इस हिसाब से एनडीए के पास कुल मतों का मूल्य 5,14,063 के आसपास होगा। इस स्थिति में जीत के लिए राजग को करीब 29 से 30 हजार मतों की और आवश्यकता होगी। ऐसे में बीजेपी का पूरा जोर राज्यसभा की 16 सीटों के लिए हो रहे चुनाव पर भी है। इसके अलावा, बीजेपी की नजर नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (BJD) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन पर टिकी है। NDA को उम्मीद है कि, जिस प्रकार संसद में कई अवसर पर ये दोनों पार्टियां मोदी सरकार के लिए संकटमोचक बने हैं, उसी तरह इस बार भी समर्थन हासिल हो जाए।

विपक्ष को सत्ताधारी पक्ष के कदम का इंतजार

दूसरी तरफ, विपक्ष भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठी नहीं है। संभव है कि विपक्ष भी अपना उम्मीदवार मैदान में जरूर उतारेगी। इसी बहाने सही मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुटता दिखाने की कोशिश करेगी। विपक्ष सिर्फ सत्ताधारी दल के कदम बढ़ाने का इंतजार कर रही है।


चंद्रशेखर राव लामबंदी में जुटे?

उल्लेखनीय है कि, हाल ही में जिस तरह तेलंगाना के सीएम और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नेता के. चंद्रशेखर राव (K.Chandrashekhar Rao) ने देश के कई राज्यों का दौरा किया। चंद्रशेखर राव ने अपने दौरे में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal), तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता और पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee), झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) आदि नेताओं से मुलाकात की। इस मुलाकात की टाइमिंग को राजनीतिक हलकों में राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। चंद्रशेखर राव के इस मेल-मुलाकात को राष्ट्रपति चुनाव के लिए लामबंदी के रूप में देखा जा रहा है।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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