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भारत-रूस-चीन के विदेश मंत्री मिले, पर नहीं मिले आतंक पर इनके सुर
नई दिल्ली: शीतयुद्ध के जमाने से भारत, रूस और चीन की तिकड़ी पर जारी प्रयासों को एक बार फिर झटका लगा है। साम्यवाद अब विश्व व्यवस्था से गायब है और तीनों देशों के अपने हित अब इसके आड़े आ रहे हैं। सोमवार (11 दिसंबर) की रात खत्म हुई तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक का संयुक्त घोषणा पत्र इसी तरफ इशारा कर रहा है। तीनों देशों ने आतंकवाद, देशों के आतंक पर रुख जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बात तो की, पर संयुक्त घोषणा पत्र में इसका कहीं जिक्र नहीं है।
3,482 पेज के संयुक्त घोषणा पत्र के मुताबिक, तीनों देशों ने वैश्विक और क्षेत्रीय समस्याओं पर बात की है, मुख्यतः तीनों देशों को प्रभावति करने वाले मुद्दों पर बात हुई जिसमें खाड़ी देशों के हालात और उत्तरी अफ्रीका के देशों पर चर्चा की गई। इस बैठक में वैश्विक आतंकवाद, विश्व की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों, अंतरराष्ट्रीय अपराध, गैरकानूनी ड्रग्स और मानवजनित आपदाओं पर चर्चा की गई। यह बात और है कि बैठक में चीन के भारत के आतंकी नंबर एक महसूद अजहर को लेकर कोई जिक्र नहीं हुआ और न ही दोनों देशों के आतंक को लेकर दृष्टि पर कोई चर्चा ही की गई।
जानें क्यों अहम है यह बैठक?
भारत के आतंकी नंबर एक मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के कई बार के संयुक्त राष्ट्र की कोशिश पर चीन वीटो लगा चुका है। इसके अलावा आतंकी हाफिज सईद को लेकर चीन का मुलायम रुख भी भारत को परेशान कर रहा है। डोकलाम के बाद यह किसी भी चीनी मंत्री की पहली भारत यात्रा थी। इस यात्रा में चीनी विदेश मंत्री के स्वागत भाषण को शी जिनपिंग के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने और चीन में सबसे ताकतवर नेता बनने के बाद वहां की विदेश नीति से जोड़कर देखा जा रहा है। चीनी विदेश मंत्री वांग ने भारत और चीन के बीच गहरे रिश्तों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, कि 'हम अगर अपनी गहरी दोस्ती, रणनीतिक साझेदारी और संचार पर भरोसा रखें और आपसी गलतफहमियों को दूर करते रहें तो भारतीय और चीन के बीच के रिश्ते विश्व को बदल सकते हैं। हम अपने देशों के प्रमुखों की इच्छा के मुताबिक एक और एक ग्यारह की स्थिति में आ सकते हैं।' गौरतलब है, कि वांग का यह कहना डोकलाम के बाद चीन और भारत के रिश्तों को लेकर काफी अहम माना जा रहा है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने त्रिदेशीय मीट में हिस्सा लिया। रूस और चीन के विदेश मंत्रियों ने पहले सुषमा स्वराज से अकेले बैठक की, उसके बाद तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक साथ बैठक की और फिर राष्ट्रपति से मुलाकात की।