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भारत श्रीलंका मैत्री: हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिये सस्ती समुद्री यात्रा सेवा शुरू करने की मांग

राजधानी के कॉंन्शिटयूशन क्लब में श्रीलंका के सॉंसद एस० योगेशवरन ने भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दे को उठाते हुये भारत और श्रीलंका के ग़रीब हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिये भारत सरकार से दोनों देशों के बीच सस्ती समुद्री जहाज़ यात्रा सेवा शुरू करने की मॉंग की।

Anoop Ojha
Published on: 20 Feb 2019 5:59 PM IST
भारत श्रीलंका मैत्री: हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिये सस्ती समुद्री यात्रा सेवा शुरू करने की मांग
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राजधानी के कॉंन्शिटयूशन क्लब में श्रीलंका के सॉंसद एस० योगेशवरन ने भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दे को उठाते हुये भारत और श्रीलंका के ग़रीब हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिये भारत सरकार से दोनों देशों के बीच सस्ती समुद्री जहाज़ यात्रा सेवा शुरू करने की मॉंग की। उन्होंने कहा कि श्रीलंका सरकार लगभग इसके लिये तैयार है। अब भारत को पहल करनी है। इस संबंध मे परिवहन और जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गड़करी को दोनों देशों के तीर्थयात्रियों ने ज्ञापन और प्रार्थना पत्र भी भिजवाया है।

उम्मीद है कि दोनों देशों के मज़बूत पारस्पारिक संबंधों को मज़बूत करने हेतु भारत सरकार इस पर जल्दी ही कोई सकारात्मक क़दम उठायेगी साथ ही साथ उन्होंने इस मुद्दों पर सहयोग करने के लिये परिचर्चा की आयोजक हिन्दू संघर्ष समिति के अध्यक्ष अरूण उपाध्याय के प्रयासों की सराहना भी की।

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इसके साथ साथ उन्होंने लिट्टे आतंकवाद के सफ़ाये की आड़ में हुये युध्दअपराधों से पीड़ित लोगों के दर्द को भी रेखांकित किया। तथा उनके मानवाधिकारों की रक्षा की अपील भारत सरकार से की।उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार से उन्हें बहुत उम्मीदें है। मोदी जी ने पीड़ित श्रीलंका के तमिल लोगों के लिये जाफना में 27000 घर बनाकर दिये तो पीड़ितों के ऑंसू पोंछने का एक बड़ा प्रयास था। इसके लिये हम भारत के बहुत आभारी भी है। परन्तु अभी पीड़ितों को न्याय दिलाने हेतु बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है।

इसके बाद उनके साथ आये श्रीलंका के सामाजिक कार्यकर्ता एवं संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बहुत लंबे समय तक अपनी सेवायें दे चुके प्रोफ़ेसर डा० एम.के. सच्चिनाथन ने कहा कि अभी श्रीलंका में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गॉंधी और जयावर्धने के बीच हुये 1987 के समझौते का ठीक से पालन होना बहुत ज़रूरी है। इसके लिये वो भारत सरकार से गंभीरता के साथ उचित सतर्कता बरतते हुये श्रीलंका के वर्तमान नेतृत्व पर दवाब बनाये ताकि भारत श्रीलंका के बीच दीर्घकालीन विश्वास जम सके जो भारतीय उपमहाद्वीप में स्थायी शांति और स्थिरता के लिये बहुत ज़रूरी है।

उन्होंने सभी तमिल राजनैतिक क़ैदियों से न्यायपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने की भी अपील की। जो दोनों देशों की जेलों में बंद है।

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इस अवसर पर तमिलनाडू के हिन्दू नेता अर्जुन संपत ने भारतीय मछुवारों के साथ श्रीलंका की नौसेना के शरारतपूर्ण और शत्रुतापूर्ण व्यावहार की निंदा की तथा भारत सरकार से इस मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता में उठाने की भी अपील की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने बहुत से हिन्दमहासागरीय जल क्षेत्र को अंतराष्ट्रीय ताक़तों को लीज़ और कॉंट्रेक्ट पर दे दिया है। जो कि इस क्षेत्र भारत को चिढ़ाने वाली और परेशान करने वाली हरकत है। जिससे दोनों देशों के संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ता है।

समिति के उपाध्यक्ष एवं इस कार्यक्रम की संयोजिका दीक्षा कौशिक ने इस अवसर पर कहा, कच्चातिवू द्वीप पर भारत के साथ हुई संधि की शर्तों का श्रीलंका सरकार द्वारा ढ़ीठतापूर्वक अनुलंघन करना, भारत को ऑंखें दिखाने के समान है एवं भारत सरकार को इस विषय पर तुरंत प्रभाव से संज्ञान लेना चाहिये।

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र्यक्रम की अध्यक्षता संघ नेता देवेन्द्र दीवान ने की।हिन्दू संघर्ष समिति के अध्यक्ष अरूण उपाध्याय ने श्रीलंका में बढ़ते धार्मिक समूहों के असंतुलन पर भी चिंता जतायी और इसके लिये अंतराष्ट्रीय ईसाई मिशनरी द्वारा प्रलोभन व छल बल से ग़रीब श्रीलंकावासियों का धर्मॉंतरण करना तथा वहाबी कट्टर इस्लामिक ऑंदोलन के लिये वहॉं अरब देशों के पेट्रो- डॉलर की ज़बरदस्त आवक को ज़िम्मेदार बताया।अरूण ने इस पर गहरा असंतोष जताते हुये कहा कि श्रीलंका में बौध्द और हिन्दू धार्मिक स्थलों पर आक्रमण और तोड़फोड़ बढ़ी है। वहॉं दंगें फ़साद भी बढ़ें है जो गंभीर चिंता का विषय है।

इस पर श्रीलंका की सरकार को तुरंत लगाम लगाने की ज़रूरत है वरना ये भारतीय उपमहाद्वीप के भू -राजनैतिक संतुलन को कुप्रभावित करेगा।

संघ नेता और परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे देवेन्द्र दीवान ने दक्षिण भारतीय इस्लामिक अतिवादियों द्वारा श्रीलंका की धरती का भारत के ख़िलाफ़ हो रहे निरंतर दुरूपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा श्रीलंका द्वारा इसे तुरंत रोकना चाहिये।

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इस अवसर पर पूर्व राज्यसभा सॉंसद, संघ के मुख पत्र पाँचजन्य के पूर्व संपादक तरूण विजय ने कहा कि वो इस परिचर्चा का स्वागत करते है तथा हिन्दू संघर्ष समिति का धन्यवाद करते है कि द्विपक्षीय महत्व के इतने सारे मुद्दों से जनता एवं दोनों देशों की सरकारों का ध्यान खींचा। भारत और श्रीलंका के बीच मज़बूत और स्थायी संबंध भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण एशिया की भू-राजनैतिक उन्नति के स्वागत योग्य है।

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संघ, भाजपा तथा भारत सरकार के संज्ञान ये सारे मुद्दे लायेंगे तथा दोनों देशों की स्थायी दोस्ती और परस्पर व्यापार और सॉंस्कृतिक आदान प्रदान बढ़ाने के लिये हमेशा उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा, मुझे आशा है कि जल्दी ही सारे विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और परस्पर समझदारी से हो जायेंगे और दोनों देश मिलकर परस्पर क्षेत्रीय सहयोग की एक नई मिसाल क़ायम करेगे।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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