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पावर ट्रांसमिशन सेक्टर में चीन की एंट्री पर सरकार कसेगी शिकंजा

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Published on: 19 Aug 2017 12:59 PM IST
पावर ट्रांसमिशन सेक्टर में चीन की एंट्री पर सरकार कसेगी शिकंजा
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नई दिल्ली : भारत अपने पावर ट्रांसमिशन सेक्टर के बिजनेस में दूसरे देशों की एंट्री के नियमों को कस रहा है और टेलीकाॅम इक्वीपमेंट सेक्टर पर भी कड़ी निगरानी रख रहा है। सरकार और इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि ये कदम इन सेक्टरों में चीन की घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे हैं।

चीन की कंपनी हार्बिन इलेक्ट्रिक, डोंगफैंग इलेक्ट्रॉनिक्स, शंघाई इलेक्ट्रिक और सिफांग आॅटोमेशन भारत में इक्वीपमेंट की सप्लाई करते हैं। साथ ही इनमें से कुछ कंपनियां 18 शहरों में पावर डिस्ट्रीब्यूशन को मैनेज करती हैं।

वहीं अगर बात करें भारत की कंपनियों की, तो वो पावर सेक्टर में चीन की भागीदारी के खिलाफ लंबे समय से लाॅबिंग में जुटी हैं। वो सुरक्षा संबंधी सवाल उठाती रही हैं। उनका ये भी कहना है कि चीनी बाजारों में उन्हें कोई पहुंच नहीं मिलती ।

बन रहे हैं नए नियम

-चीनी व्यापार पर इस तरह अंकुश लगाने के प्रयास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन में और बल मिला है । इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि सरकार साइबर हमले की आशंका से चिंतित है ।

-भारत सरकार केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट पर भी विचार कर रही है, जो पावर ट्रांसमिशन कॉन्‍ट्रैक्ट की बोली लगाने वाली कंपनियों के लिए नए नियम बना रही है, ताकि देश की कंपनियों को अधिक फायदा मिल सके।

-रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने वाले एक अधिकारी के मुताबिक, भारत में निवेश करने के लिए कंपनियों को कम से कम 10 साल काम करना होगा। कंपनी के शीर्ष अधिकारियों में भारतीय नागरिकों का नाम होना चाहिए। साथ ही विदेशी फर्म के कर्मचारी एक निश्चित अवधि के लिए भारत में रह चुके हों ।

-साथ ही उन कंपनियों को विस्तार से बताना होगा कि वो ट्रांसमिशन सिस्टम के लिए कच्चे माल की खरीद कहां से करते हैं। अगर उनकी सामग्री में मैलवेयर पाया गया, तो भारत में उनकी बाकी की योजनाओं को रोक दिया जाएगा।

-हालांकि इस रिपोर्ट का चीन से कोई सीधा जुड़ाव नहीं है, लेकिन अधिकारी का कहना है कि इन सिफारिशों का उद्देश्य चीन से भारत को होने वाले सुरक्षा खतरों को बढ़ने से रोकना है।

-भारत में बिजली के उपकरणों के निर्यात में लगे एक चीनी इंडस्ट्री के प्रतिनिधि ने चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया कि भारतीय इंडस्ट्री सुरक्षा मुद्दों के आड़ में विदेशी प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रही है।

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ग्लोबल टाइम्स

अधिकारी का कहना है कि शंघाई इलेक्ट्रिक, हार्बिन इलेक्ट्रिक, डोंगफैंग इलेक्ट्रॉनिक्स और भारत में चलने वाली चीन साउथर्न पावर ग्रिड कंपनी लिमिटेड, ये सभी भारत में अपना बाजार ला चुके हैं या एंट्री की कोशिश में जुटे हैं । इन कंपनियों ने अब तक प्रस्तावित भारतीय निवेश नियमों को लेकर भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया है।

टेलीकाॅम सेक्टर पर असर

-वहीं टेलीकाॅम सेक्टर को लेकर भी नियम में सख्ती लाई गई है। सरकारी आदेश में लगभग 21 कंपनियों से कहा गया है कि वे ग्राहकों की डेटा की सुरक्षा-गोपनीयता तय करने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया और प्रणाली का ब्‍योरा लिखित में दें । जिन कंपनियों को नोटिस दिया गया है, उनमें चीन के नामी गिरामी ब्रांड वीवो, ओप्पो, शाआेमी और जियोनी शामिल हैं।

-भारत में 10 अरब डॉलर के स्मार्टफोन बाजार में आधे से ज्यादा का हिस्सा इन चीनी कंपनियों का है ।

फोन बनाने वाली ज्यादातर चीनी कंपनियों के सर्वर चीन में हैं । हालांकि इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जिन कंपनियों को नोटिस भेजे हैं, उनमें एप्पल, सैमसंग, ब्लैकबेरी जैसी ग्लोबल कंपनियां और कई भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं।

-भारत में तो चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर भी कैंपेन चलाए गए हैं ।

हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने, पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने और दूसरी ओर हमारे व्यापार और उद्योग में हर साल भारी नुकसान पहुंचाने को लेकर चीन के खिलाफ बहुत आक्रोश है ।

स्वदेश जागरण मंच ने इस साल एक अभियान चलाया है जिसमें भारतीयों को चीनी सामान का बहिष्कार करने की अपील की जा रही है।

भारत में बिजली उत्पादन और वितरण के लिए चीनी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, क्योंकि ये ग्रिड से दूर रह रहे 250 मिलियन लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराता है।

भारतीय कंपनियों में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, क्रॉम्पटन ग्रिव्स कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड पावर सेक्टर में काम कर रही हैं।

क्या है बिजली मंत्री पीयूष गोयल का कहना

बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने इस महीने संसद को बताया कि चाइना साउदर्न पावर ग्रिड, सीएलपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर पावर ट्रांसमिशन लाइनों के लिए बोली लगाने वाली चीनी कंपनियों में से एक है ।

सीईए रिपोर्ट का नया मसौदा तैयार किए जाने पर इंडियन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल सुनील मिश्रा कहते हैं कि बिजली ट्रांसमिशन के नए नियम स्थानीय उद्योग और उन कंपनियों को मदद देंगे, जिनकी चीन के बाजार में सीमित पहुंच है ।

वहीं सीईए रिपोर्ट तैयार करने में शामिल एक अन्य अधिकारी ने जानकारी दी है कि सुरक्षा एजेंसियों ने पावर सेक्टर में आने वाली चीनी कंपनियों के लिए कई तरह के प्रोटोकॉल और चेक लागू किए हैं। यानी सरकार के इस बदलाव को काफी गुपचुप तरीके से शांति के साथ अमल में लाया जा रहा है, जिसका असर चीन पर पड़ेगा।



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