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अब उड़ सकेंगे भारतीय सैनिक! इंडियन आर्मी ने दिया 'जेटपैक सूट' का ऑर्डर..दुश्मन की हर चाल पर रहेगी नजर
Indian Army ने 48 जेटपैक सूट खरीदना की प्रक्रिया को बढ़ाया है। इस जेटपैक सूट के कई फायद हैं। सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक जेट पैक सूट को पहनकर विपरीत परिस्थितियों में उड़ सकते हैं।
Indian Army Jetpack Suit: भारतीय सेना ने हाल के वर्षों में खुद को तकनीकी तौर पर काफी समृद्ध किया है। इंडियन आर्मी में उन अत्याधुनिक तकनीकों को वरीयता से जगह दी जा रही जिन्हें अब तक आप हॉलीवुड फिल्मों में देखते रहे होंगे। फिल्म 'आयरन मैन' में आपने जिस उड़ने वाली जेटपैक सूट को देखा होगा, अब वो भारतीय सेना को इस्तेमाल में भी लाते देख पाएंगे।
सेना कई संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी निगरानी और युद्धक क्षमता (combat capability) को पहले की तुलना में और मजबूत करने जा रही है। जिसके लिए 130 आधुनिक ड्रोन प्रणाली (Modern Drone System) खरीदने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। इसके अलावा, सेना सहायक उपकरणों के साथ 100 'रोबोटिक म्यूल' की प्रक्रिया भी शुरू कर रही है। सेना अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
..तो जल्द मिलेंगे 'जेट पैक सूट' !
भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया, कि बंधे ड्रोन को 'बाय-इंडियन' वर्ग में फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के लिए आपातकालीन खरीद के तहत खरीदा जा रहा है। इस वर्ग के अंतर्गत सेना ने आपात खरीद के तहत 48 'जेट पैक सूट' (Jetpack suit) खरीदने के लिए इच्छुक इकाईयों से अनुरोध पत्र मांगा है।
जानें क्या है जेट पैक सूट की खासियत?
इंडियन आर्मी ने 48 जेट पैक सूट खरीदना की प्रक्रिया को आगे बढ़ा है। इस जेट पैक सूट के कई फायद देखने को मिल सकते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिक जेट पैक सूट को पहनकर विषम परिस्थितियों में उड़ भी सकते हैं। जी हां, सैनिक जेट पैक के सहारे उड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच सकते हैं। जानकारी के अनुसार, जेट पैक सूट में पांच गैस टर्बाइन जेट इंजन लगे रहते हैं। यह इंजन करीब 1000 हॉर्स पावर की ऊर्जा पैदा करता है। इस तरह के सूट को ईंधन (fuel), डीजल या केरोसिन की मदद से चलाया जा सकता है। जेट पैक सूट की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे होती है।
निगरानी तंत्र को और सख्त कर रही भारतीय सेना
इंडियन आर्मी मई 2020 से अपने निगरानी तंत्र को और मजबूत कर रहे है। पूर्वी लद्दाख सीमा रेखा (Eastern Ladakh Border Line) के बाद चीन के साथ करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (line of actual control) के साथ अपने समग्र निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है। सेना ने सहायक उपकरणों के साथ 100 'रोबोटिक म्यूल' की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। अधिकारियों ने आगे बताया कि, निविदा जमा करने की आखिरी तारीख 6 फरवरी तय है।