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National Press day 2024: देश के लिए क्यों जरूरी है चौथा स्तम्भ

National Press day 2024: 1956 में प्रेस परिषद की स्थापना की सिफारिश करते हुए प्रथम प्रेस आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला था कि पत्रकारिता में पेशेवर नैतिकता बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका वैधानिक प्राधिकरण के साथ एक निकाय का गठन करना होगा ।

AKshita Pidiha
Published on: 17 Nov 2024 12:04 PM IST
National Press day 2024: देश के लिए क्यों जरूरी है चौथा स्तम्भ
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National Press day 2024: किसी भी लोकतांत्रिक देश में प्रेस को उस देश का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। भारत में प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है।कार्यपालिका,विधायिका, न्यायपालिका के अलावा चौथा स्तंभ प्रेस को माना गया है। प्रेस को चौथा स्तम्भ माना गया है ताकि इन तीनों स्तंभों का काम देखा जा सके। 16 नवंबर को हर साल भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस का दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना को याद दिलाता है।यह एक स्वतंत्र और जिम्मेदार राष्ट्र बनाने में सहायता करता है।इस दिन से ही भारतीय प्रेस परिषद ने भारत में नैतिक प्रहरी के रूप में काम करना शुरू किया था।हालांकि दुनिया भर में बहुत सारी प्रेस और मीडिया परिषद है ।

भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उद्देश्य

1956 में प्रेस परिषद की स्थापना की सिफारिश करते हुए प्रथम प्रेस आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला था कि पत्रकारिता में पेशेवर नैतिकता बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका वैधानिक प्राधिकरण के साथ एक निकाय का गठन करना होगा, जिसमें मुख्य रूप से उद्योग से जुड़े लोग होंगे। जिनका कर्तव्य मध्यस्थता करना होगा, इसी उद्देश्य से परिषद की स्थापना की गई और 16 नवंबर, 1966 से विकसित निकाय ने अपने उद्देश्य को पूरा किया है।

अगर प्रेस की ताकत को समझना हो तो अकबर इलाहाबादी की मशहूर पंक्तियां काफी कुछ बयां करती हैं अकबर इलाहाबादी ने लिखा है कि

‘खीचों न कमान,ना तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो।’ आजादी के समय से लेकर अब तक भारत में प्रेस की भूमिका बहुत बड़ी रही है। आजादी के दौरान क्रांतिकारियों का प्रेस सबसे बड़ा हथियार रहा है। हर साल 16 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।

क्या है भारतीय प्रेस परिषद

भारतीय प्रेस परिषद जिसे अंग्रेजी में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के नाम से जानते हैं।यह एक वैधानिक निकाय है। जिससे मीडिया के संचालन की देखरेख का अधिकार मिलता है। इसके एक अध्यक्ष होते हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्ति जज हो सकते हैं।इसके अलावा 28 और लोग होते हैं जिसमें 20 लोग प्रेस से होते हैं और पांच संसद के दोनों सदनों से नामित किए जाते हैं और तीन प्रतिनिधित्व करते हैं।भारत में प्रेस को वॉच डॉग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉच डॉग कहा जाता है।

भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस के महत्व को याद दिलाने के लिए ये दिन मनाया जाता है।इस दिन देश भर में विभन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस अवसर पर पत्रकार और मीडिया कर्मियों को विभिन्न संगठनों द्वारा उनके कार्य के अनुरूप सम्मानित किया जाता है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास

नवंबर, 1954 से ही भारतीय प्रेस आयोग ने एक समिति निकाय बनाने का विचार किया था, जो की पत्रकारिता की नैतिकता को जांच करने के लिए वैधानिक अधिकारों से युक्त थी। इसके 10 साल बाद नवंबर 1966 में न्यायमूर्ति चेयर मूढोलकर के अधीन पीसीआई या भारतीय प्रेस आयोग का गठन किया गया। इसका काम मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करना था कि प्रेस और मीडिया किसी भी प्रभाव या बाहरी कारकों से प्रभावित न हो ।4 जुलाई को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना हुई और 16 नवंबर से काम करना शुरू कर दिया गया। इसलिए 16 नवंबर को ही राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। इस साल 2024 को प्रेस परिषद स्थापना की 58 भी वर्षगांठ पूरी हो रही है।

प्रेस की चुनौतियां

भारतीय मीडिया को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिस वजह से समाचारों का उचित विनियमन पर भारी असर हुआ है।अमीरों द्वारा रिश्वत लेना,राजनीतिक प्रभाव,मीडियाकर्मी को धमकी देना, पारदर्शिता की कमी जैसी समस्याएं भारतीय मीडिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियां हैं।ये चुनौतियां प्रेस के मूलकारण पर सवाल उठाती हैं जो लोकतांत्रिक देश के ढांचे के लिए बड़ा खतरा है।

प्रेस का कार्य क्या है

प्रेस का मुख्य कार्य समाज की सारी गतिविधियों को इकट्ठा करने के बाद उसे लोगों से अवगत कराना है।प्रेस को समाज का आईना भी कहा जाता है ।मीडिया और समाचारों के माध्यम से ही लोगों तक समस्या और सुझाव आसानी से पहुंच जाते हैं।मीडिया सिर्फ देश हीं नहीं देश में होने वाली हर छोटी घटना और विदेश में होने वाली घटनाओं के बारे में भी लोगों को अवगत कराता है। 2023 में भारतीय प्रेस का स्थान 180 देश में 161 वे नंबर पर था जो घटकर अब 159 वे नंबर पर आ गया है।

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति

हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी किया जाता है।यह काम फ्रांसीसी गैर सरकारी संगठन रिपोर्टर ‘विथ आउट बॉर्डर्स’ यानी आर एस एफ के रूप में जाना जाता है, के द्वारा किया जाता है।रिपोर्ट के मुताबिक प्रेस की आजादी को सबसे ज्यादा खतरा सरकार से है ।

इन देशों से भी पीछे है भारत

सूचकांक के अनुसार भारत को पाकिस्तान, श्रीलंका और तुर्की से भी पीछे रखा गया है। पाकिस्तान का स्थान 152 ,श्रीलंका 150 और तुर्की 158 पर है।अच्छे देशों के नाम सूचकांक के आधार पर नॉर्वे,डेनमार्क ,स्वीडन, नीदरलैंड फिनलैंड ,पुर्तगाल ,आयरलैंड ,स्विट्जरलैंड ,जर्मनी जैसे देश श्रेष्ठ दस में शामिल होने वाले देशों में से हैं ।वही सबसे खराब देश में इरिट्रिया, सीरिया, अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया चीन, ईरान ,बहरीन ,म्यांमार ,वियतनाम,तुर्कमेनिस्तान जैसे देश शामिल है।

आरसीएफ की रिपोर्ट ने किया खुलासा

आरसीएफ ने बताया कि भारत में पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा और मीडिया की बागडोर कुछ लोगों के हाथों में सिमटती जा रही है।इस बात पर गहरी चिंता जाहिर की गई है। आरसीएफ ने यह भी साफ किया कि भारत का दो पायदान ऊपर आना सिर्फ एक भ्रम है क्योंकि भारत की स्थिति पिछले साल से और ज्यादा खराब हुई है।लेकिन पहले जो देश भारत से ऊपर थे उनकी स्थिति ज्यादा खराब हुई है इसलिए भारत की स्थिति में सुधार अंकों में नजर आ रहा है।

पांच बिंदुओं में शामिल होता है

यह रैंक पांच बिंदुओं को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह पांच बिंदु राजनीतिक संकेतक ,आर्थिक संकेतक, विधायी संकेतक, सामाजिक संकेतक और सुरक्षा संकेतक होते हैं। इन सब की गणना के बाद किसी देश को रैंक दी जाती है।



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Ragini Sinha

Ragini Sinha

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