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बुलेट ट्रेन : मोदी का 2022 तक सपना होगा पूरा, रेलवे कर रहा ओवर टाइम वर्क
विपक्ष की आलोचनाओं से बेपरवाह भारतीय रेल बुलेट ट्रेन परियोजना को पूरा करने के लिए ओवर टाइम कर रही है।
नई दिल्ली : विपक्ष की आलोचनाओं से बेपरवाह भारतीय रेल बुलेट ट्रेन परियोजना को पूरा करने के लिए ओवर टाइम कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित साल 2022 के अगस्त से पहले इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी जिनकी छवि बदलाव लाने वाले प्रशासक की है। उन्होंने 1 लाख करोड़ रुपए की बुलेट ट्रेन परियोजना को समय पर पूरा करवाने का बीड़ा उठाया है।
की थी उच्चस्तरीय बैठक
लोहानी ने इस संबंध में पिछले गुरुवार को रेल भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। जिसमें जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सू, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, केंद्र सरकार के अधिकारी, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रधान सचिव रैंक के अधिकारी, एनएचएसआरसीएल (नेशनल हाई स्पीड रेड कॉरपोरेशन लि.) के अधिकारी, जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) और पश्चिमी रेलवे के महाप्रबंधक शामिल हुए।
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हर तीन महीने में समीक्षा बैठक
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, "रेलवे मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में देरी करने के मूड में नहीं है। लोहानी अब हर तीन महीने में इसे लेकर समीक्षा बैठक करेंगे।"
सरकार के इरादे पर जोर देते हुए अधिकारी ने कहा, "नीति आयोग के अध्यक्ष, जापान के राजदूत और सीआरबी की समीक्षा बैठक में मौजूदगी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार इस परियोजना को गंभीरता से ले रही है और देरी की कोई संभावना नहीं है।"
उन्होंने कहा, "सीआरबी चाहता है कि भारतीय रेल के अधिकारी बैठकों की समयसीमा के बारे में अपने जापानी समकक्षों से सबक सीखें।"
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि इतनी उच्च लागत की परियोजना शुरू करने की बजाए सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो समय की मांग है और यात्रियों की सुविधा बढ़ाने वाली योजनाएं चलानी चाहिए।
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ट्रैक समेत सभी सिग्नलिंग प्रणाली को जापान से लाया जाएगा
बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़े मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सिग्नलिंग प्रणाली और इलेक्ट्रिकल्स की रिपोर्ट 2018 के अप्रैल तक तैयार हो जाएगी। उनके मुताबिक ट्रैक समेत सभी सिग्नलिंग प्रणाली को जापान से लाया जाएगा।
मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने 14 सिंतबर को 1.08 लाख करोड़ रुपए की 508 किलोमीटर लंबी अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखी थी।
इस 1.08 लाख करोड़ रुपये के लिए जापान 88,000 करोड़ रुपये का कर्ज 0.1 फीसदी की न्यूनतम दर पर 50 सालों के लिए देगा और कर्ज की अदायगी 15 सालों बाद ही शुरू होगी।
इस दौरान महाराष्ट्र और गुजरात सरकार के अधिकारियों ने रेलवे को आश्वासन दिया कि वे भूमि अधिग्रहण और निर्माण स्थलों तक कच्चे माल की सुगम आवाजाही में वे मदद करेंगे।
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तीन स्तरीय निगरानी समिति का गठन
इस परियोजना पर नजर रखने के लिए एक तीन स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है। जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष और जापान के प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार शामिल हैं।
बुलेट ट्रेन की 508 किलोमीटर लंबी लाइन में 92 फीसदी (468 किलोमीटर) का रास्ता इलेवेटेड होगा तथा 6 फीसदी (27 किलोमीटर) सुरंग होगा तथा बाकी 2 फीसदी (13 किलोमीटर) जमीन पर होगा।
यह हाई स्पीड ट्रेन देश की सबसे लंबी सुरंग से गुजरेगी, जिसकी लंबाई 21 किलोमीटर होगी और इसका 7 किलोमीटर हिस्सा समुद्र के भीतर होगा।
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12 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव
इस परियोजना में 12 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें मुंबई, थाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती शामिल है।
अगर ट्रेन चार स्टेशनों- अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, मुंबई पर रूकती है तो यह दूरी दो घंटे सात मिनट में पूरी की जा सकती है। अगर ट्रेन सभी 12 स्टेशनों पर रूकती है, तो ट्रेन को दो घंटे 58 मिनट लगेंगे।
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक बुलेट ट्रेन की परिचालन गति 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। जबकि अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
--आईएएनएस