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Train Accident Update: खतरनाक! तो इसलिए हो रहे बड़े रेल हादसे

Train Accident Update: समिति को उन कारणों का पता लगाने का काम सौंपा गया है, जिनकी वजह से चालक विभिन्न बिंदुओं पर निर्धारित स्पीड लिमिट का उल्लंघन करते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 17 Jun 2024 8:02 AM GMT
Kanchanjunga Express
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Kanchanjunga Express  (photo: social media )

Train Accident Update: भारत की रेलवे में एक खतरनाक ट्रेंड सामने आया है - ट्रेन ड्राइवर भी स्पीड लिमिट तोड़ रहे हैं। स्पीड लिमिट का उल्लंघन ट्रेन सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। हजारों यात्रियों की जान जोखिम में पड़ती है।

जांच कमेटी बैठाई

ट्रेन ड्राइवर यानी लोको पायलटों द्वारा स्पीड लिमिट का उल्लंघन करने से रेलवे बोर्ड चिंतित है और उसने ऐसे मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित की है। समिति को उन कारणों का पता लगाने का काम सौंपा गया है, जिनकी वजह से चालक विभिन्न बिंदुओं पर निर्धारित स्पीड लिमिट का उल्लंघन करते हैं।

- एक रिपोर्ट के अनुसार, नदी के पुल पर स्पीड लिमिट उल्लंघन का मामला सामने आया है, जहां ड्राइवर ने 20 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड लिमिट का उल्लंघन किया और ट्रेन को 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की स्पीड से दौड़ाया। चूंकि पुल का रखरखाव चल रहा था, इसलिए यह एक बड़ी दुर्घटना में तब्दील हो सकता था।

- रिपोर्ट्स में एक अन्य घटना का भी हवाला दिया गया है, जिसमें भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस के ड्राइवर और सहायक लोको पायलट ने दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन और यूपी के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाई।

- इसी तरह कटरा और इंदौर के बीच चलने वाली मालवा एक्सप्रेस के ड्राइवरों ने भी स्पीड लिमिट का उल्लंघन किया था।


रेलवे बोर्ड का सर्कुलर

रेलवे बोर्ड ने 3 जून को सभी जोनों को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि ड्राइवरों और ट्रेन मैनेजरों (गार्ड) को दिए गए सावधानी आदेशों की समीक्षा के लिए गठित समिति के सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए लोको पायलटों से बातचीत करेंगे।

5 जून को हुई बैठक में 180 से अधिक लोको पायलट और लोको इंस्पेक्टर शामिल हुए। वर्चुअल मीटिंग में ढेर सारे सुझाव और कारण एकत्र किए गए।

कहा गया है कि अगर ड्राइवर स्पीड लिमिट का उल्लंघन करते पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


स्पीड लिमिट की वजह

आम तौर पर रेल रूटों पर स्पीड लिमिट सिर्फ तब लगाए जाते हैं जब पटरियों या पुलों की मरम्मत चल रही होती है। इसे "कॉशन" भी कहा जाता है।

रेलवे लोको पायलटों को पूरा रूट चार्ट उपलब्ध कराता है कि कहां कहां "कॉशन" लगाया गया है। इससे ड्राइवर को अपने रूट की जानकारी पहले से रहती है और वह ट्रेन को उसी हिसाब से नियंत्रित करता है।

बताया जाता है कि कुछ ड्राइवरों ने सुझाव दिया कि ट्रेन गार्ड को ड्राइवर को वॉकी-टॉकी पर स्पीड लिमिट या कॉशन के शुरुआती बिंदु से 3 किमी पहले स्पीड लिमिट की याद दिलानी चाहिए।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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