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India's Longest Rail Tunnel: भारत की सबसे लंबी ट्रेन टनल से चीन की गर्दन तक पहुंचेगा भारत, 2024 तक हो जाएगा तैयार

India's Longest Rail Tunnel: तवांग में हालिया चीनी झड़प के बाद सीमा पर तनातनी बढ़ गई है। बाराहोती बॉर्डर पर भारतीय सेना ने अतिरिक्त फोर्स तैनात किया है। मगर, अब चीन इस क्षेत्र आंखें नहीं दिखा पाएगा।

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Written By aman
Published on: 28 Dec 2022 7:42 AM IST
Indias Longest Rail Tunnel: भारत की सबसे लंबी ट्रेन टनल से चीन की गर्दन तक पहुंचेगा भारत, 2024 तक हो जाएगा तैयार
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India Longest Rail Tunnel: पड़ोसी देश चीन दशकों से भारत की तरफ नजरें टेढ़ी किए है। समय-समय पर भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के जवानों के बीच झड़प की ख़बरें आते रहती है। जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई है, तब से सरहद पर हालात बदले-बदले हैं। चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। केंद्र सरकार भविष्य पर नजर रखते हुए सीमा के पास आधारभूत संरचना पर जोर दिए हुए है। चीन सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ-साथ रेल लाइनों का भी विकास किया जा रहा है। इसी कड़ी में पूर्वोत्तर की तीन रेल लाइनों का सर्वेक्षण कार्य भी पूरा हो चुका है।

इन सभी परियोजनाओं को पूरा होने में भले ही समय लगे, मगर एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो साल 2024 में ही चीन के गले तक पहुंच जाएगा। बता दें, ये रेलवे का सबसे महंगा प्रोजेक्ट है। ये रेल लाइन ऋषिकेश (Rishikesh) से कर्णप्रयाग (karanprayag) तक बिछाई जा सकती है। माना जा रहा है कि इस रेल लाइन के चालू होने के बाद बाराहोती बॉर्डर (Barahoti Border) पर चीन किसी भी हिमाकत को करने से पहले सौ बार सोचेगा।


बाराहोती बॉर्डर क्यों है खास?(Barahoti Border)

जैसा कि आपको पता है उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा लगती है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में करीब 345 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा लगती है। बाराहोती बॉर्डर (Barahoti Border) उत्तराखंड सीमा पर है। ये किसी मायने में तवांग (Tawang), गलवान (Gallowan) और डोकलाम (Doklam) से कम महत्व नहीं रखता। बाराहोती बॉर्डर भी बेहद संवेदनशील माना जाता है। क्योंकि, चीन 1958 से इस क्षेत्र को विवादित भूमि के तौर पर देखता रहा है। जिस वजह से ये रेलवे परियोजना बेहद अहम मानी जा रही है। इस प्रोजेक्ट के 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना की सबसे खास बात है कि इसका अधिकांश हिस्सा एक टनल के तौर पर पूरा हो रहा है। जी हां, विशेषज्ञ बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद भारत, चीन के गले तक पहुंच जाएगा। तब अगर चीन कोई हरकत करता है तो भारत बाराहोती बॉर्डर के जरिए उसे सबक सिखा सकता है।


24,000 Cr. लागत से पहुंचेंगे चीन के सिर तक

रेलवे तेज गति से इस दिशा में काम कर रहा है। रेलवे ने ट्रैक को जोशीमठ (Joshimath) तक पहुंचाने की तैयारी कर ली है। जानकार बताते हैं कि, ऐसा होने के बाद भारतीय सेना (Indian Army) चीन के सिर तक पहुंच जाएगी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस रेल प्रोजेक्ट की डिटेल रिपोर्ट को मंजूर मिल चुकी है। आपको बता दें, ये रेलवे इतिहास का सबसे बड़ा और महंगा प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 24 हजार करोड़ रुपए है।


105 किलोमीटर टनल होकर गुजरेगी ट्रेन

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग (Rishikesh to Karnprayag) तक 125 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का तकरीबन 90 फीसदी हिस्सा टनल होकर गुजरेगा। अर्थात, 105 किलोमीटर लंबी दूरी अंडरग्राउंड तय की जाएगी। इतनी दूरी में 12 स्टेशन बनाए गए हैं, जो 16 टनल से होकर दूरी तय करेंगे। इस रूट पर जब ट्रेन दौड़ेगी तो ऋषिकेश से बाराहोती की दूरी महज 5 से 6 घंटे में तय की जा सकेगी। मौजूदा वक्त में इतनी दूरी तय करने में 12 से 16 घंटे का समय लगता है।


हर टनल के साथ बनाया गया 'रेस्क्यू टनल'

जैसा कि आपको बताया 125 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग में अधिकांश दूरी टनल होकर ही तय की जाएगी। चूंकि, ये पूरा इलाका पर्वतीय क्षेत्र है, इसलिए कभी भी आपात स्थिति बन सकती है। जिसके मद्देनजर रेलवे ने टनल के पास ही एक दूसरी टनल भी बनाई है। इसका नाम 'रेस्क्यू टनल' (Rescue Tunnel) दिया गया है। इस रूट पर देवप्रयाग से जनासू (Devprayag to Janasu) तक 14.8 किलोमीटर लंबी देश की सबसे लंबी टनल होगी। इसमें जर्मन टनल बोरिंग मशीन से काम किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर 10,000 लोग एक साथ काम कर रहे हैं। युद्धस्तर पर कार्य जारी है।


इस क्षेत्र में चीन कर चुका है 63 बार घुसपैठ

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना के साथ झड़प के बाद बाराहोती बॉर्डर (Barahoti Border) पर एहतियातन अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है। दरअसल, भारत के इस क्षेत्र पर चीन की बुरी नजर 1958 से ही रही है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान पड़ोसी मुल्क की सेना इस इलाके में घुस आया था। चीन की हरकत लगातार इस इलाके में बढ़ती गई। तब से अब तक चीन इस इलाके में 63 बाद घुसपैठ की कोशिश कर चुका है। मगर, अब बॉर्डर तक भारत की पहुंच आसान होगी। 'ड्रैगन' को उसकी हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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