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Indira Gandhi Death Anniversary: देश की इकलौती महिला पीएम जिन्हें साहसिक फैसलों के लिए किया जाता है याद

Indira Gandhi Death Anniversary: देश की इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगॉर्ड ने ही हत्या कर दी थी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 31 Oct 2022 11:01 AM IST
Indira Gandhi Death Anniversary
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (photo: social media ) 

Indira Gandhi Death Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 38वीं पुण्यतिथि पर आज पूरे देश में उन्हें याद किया जा रहा है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के तमाम अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आज सुबह शक्तिस्थल पहुंचकर इंदिरा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी दादी को याद करते हुए ट्वीट में कहा कि जिस भारत के लिए आपने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, उसे बिखरने नहीं दूंगा।

देश की इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगॉर्ड ने ही हत्या कर दी थी। जून 1975 में देश में इमरजेंसी लगाने के लिए हमेशा इंदिरा गांधी पर निशाना साधा जाता रहा है मगर उन्हें साहसिक फैसलों के लिए भी याद किया जाता है। बचपन में प्रियदर्शनी नाम से जानी जाने वाली इंदिरा गांधी ने अपने सियासी जीवन के दौरान कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया। एक बार फैसला ले लेने पर वे उसी पर डटी रहती थीं। अपने दृढ़ निश्चय के कारण वे पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लूस्टार का फैसला लेने में भी कामयाब रहीं।

पाकिस्तान के कर डाले दो टुकड़े

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग को इंदिरा गांधी के साहसिक फैसले के लिए याद किया जाता है। पूर्वी पाकिस्तान में पाक की सेना अपने ही लोगों पर अत्याचार करने में जुटी हुई थी जिसके खिलाफ लोगों में व्यापक आक्रोश था। इंदिरा सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को मदद देने का फैसला किया था। अपने इस फैसले को साहसिक अंदाज में लागू करते हुए इंदिरा गांधी पाकिस्तान के दो टुकड़े करने में कामयाब रहीं। 1971 की जंग के दौरान ही पाकिस्तान से कटकर बांग्लादेश का उदय हुआ। इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में इंदिरा गांधी का बड़ा योगदान माना जाता है।

ऑपरेशन ब्लूस्टार की अनुमति

1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में आने के बाद पंजाब में आतंकवाद काफी बढ़ गया था। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले की अगुवाई में उग्रवादियों ने डेरा जमा लिया था। पंजाब में अन्य स्थानों पर भी उग्रवाद से जुड़ी हुई घटनाएं हो रही थीं। ऐसे समय में इंदिरा गांधी ने बड़ा साहसिक फैसला लेते हुए स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लूस्टार की अनुमति दी थी। सेना की ओर से चलाए गए बड़े अभियान के दौरान भिंडरावाले और उसके कई साथी मारे गए। हालांकि इस ऑपरेशन के दौरान कई आम लोगों को भी अपनी जान ग॔वानी पड़ी। इंदिरा गांधी का यह फैसला काफी साहसिक माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने इस फैसले से विरोधियों को भी चौंका दिया था।

पहला परमाणु परीक्षण

इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान ही भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था। 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण नामक स्थान पर भारत ने पहला परमाणु परीक्षण करके पूरी दुनिया को चकित कर दिया था। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने की दिशा में यह परीक्षण पहला कदम था। भारत की ओर से परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद अमेरिका ने गहरी नाराजगी जताई थी और देश पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका सहित कई अन्य देशों की नाराजगी का इंदिरा गांधी ने पूरी तरह डटकर मुकाबला किया और पूरी दुनिया को भारत का लोहा मानने के लिए मजबूर कर दिया।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण

बैंकों के राष्ट्रीयकरण के साहसिक फैसले के कारण भी इंदिरा गांधी को याद किया जाता है। 19 जुलाई 1969 को इंदिरा सरकार की ओर से अध्यादेश पारित करके देश के 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। इंदिरा सरकार की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद इन बैंकों का मालिकाना हक केंद्र सरकार के अधीन हो गया था। सरकार की ओर से तर्क दिया गया था कि देश में आर्थिक समानता लाने के लिए यह बड़ा कदम उठाया गया था।

ब्रिटेन की ट्रेनिंग का कड़ा विरोध

श्रीलंका में तमिल संकट को लेकर भी इंदिरा गांधी ने ब्रिटेन की नीतियों का तीखा विरोध किया था। उन्होंने ब्रिटिश सेना की ओर से श्रीलंकाई सैनिकों को प्रशिक्षण दिए जाने पर तीखी आपत्ति जताई थी। उन्होंने इस बाबत ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को कड़ा पत्र लिखने का साहस दिखाया था। उन्होंने थैचर को लिखे पत्र में कहा था कि ब्रिटिश सेना श्रीलंकाई सैनिकों को ट्रेनिंग देने का काम तत्काल बंद कर दे। श्रीलंकाई सेना को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिए जाने की आशंका के बाद इंदिरा गांधी ने यह कदम उठाया था।

अपने प्रधानमंत्रित्व काल में इंदिरा गांधी पूरे देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता थीं। 1975 में देश में इमरजेंसी लगाए जाने के बाद उनके प्रति गुस्सा जरूर दिखा था मगर 1980 के लोकसभा चुनाव में वे एक बार फिर देश की सत्ता में वापस आने में कामयाब हुई थीं। देश के लोग आज भी उन्हें साहसिक फैसलों के लिए याद करते हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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