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Narayana Murthy: नारायणमूर्ति के हर हफ्ते 70 घंटे काम करने के सुझाव पर बवाल,सोशल मीडिया पर लोगों ने घेरा, खड़े किए तमाम सवाल
Narayana Murthy: नारायणमूर्ति के इस सुझाव पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है। अधिकांश यूजर्स नारायण मूर्ति के सुझाव से सहमत नजर नहीं आ रहे हैं।
Narayana Murthy: दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के कोफाउंडर एन.आर.नारायणमूर्ति ने वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए वर्क कल्चर बदलने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन और जापान जैसे देशों को पछाड़ने के लिए हमारे युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि देश की तरक्की को सुनिश्चित करने के लिए हमारे युवाओं को हर रोज 12 घंटे काम करना चाहिए।
नारायणमूर्ति ने पॉडकास्ट 'द रिकॉर्ड' के पहले एपिसोड में इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही। नारायणमूर्ति के इस सुझाव पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है। अधिकांश यूजर्स नारायण मूर्ति के सुझाव से सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखते हुए ऐसे सुझाव के लिए नारायणमूर्ति पर निशाना साधा है। इसके साथ ही कई तरह के सवाल भी खड़े किए हैं।
नारायणमूर्ति ने क्या दिया सुझाव
नारायणमूर्ति का मानना है कि मौजूदा समय में हमारा सबसे कड़ा मुकाबला चीन के साथ है मगर हमारी वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने अतिरिक्त घंटे काम करने की मेहनत के दम पर विकास की रफ्तार को काफी तेज करने में कामयाबी हासिल की थी और हमारे युवाओं को भी उसी तरह अतिरिक्त घंटे काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में देश के युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए। जीडीपी के मामले में देश को नंबर एक या दो के स्थान पर पहुंचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
बेरोजगारी की समस्या और होगी विकट
नारायणमूर्ति के इस सुझाव के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने तमाम तरह के सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने नारायणमूर्ति के सुझाव पर असहमति जताते हुए लिखा कि देश में बेरोजगारी की दर 45 फ़ीसदी तक पहुंच गई है। हफ्ते में 40 घंटे काम कर कर हम दो लोगों को रोजगार देने में कामयाब हो सकते हैं। हमें अमेरिका के क्रूर पूंजीवाद को ठुकरा देना चाहिए।
भाविका कपूर नाम की एक यूजर ने लिखा कि जो देश भारी बेरोजगारी से जूझ रहा है, वहां कौन रोज 12 घंटे का रोजगार मुहैया कराएगा। इस वेतन पर 12 घंटे काम करके हम दूसरे के लिए बेरोजगारी पैदा करेंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या इंफोसिस जर्मनी में कर्मचारियों से 12 घंटे काम लिया जा रहा है? यदि नहीं तो भारतीय युवाओं के लिए ऐसा सुझाव अन्याय और अनैतिक है।
हमें चुकानी होगी कितनी बड़ी कीमत
एक यूजर ने लिखा कि हफ्ते में 70 घंटे काम करने के बारे में पूरी तरह असहमत। 70 घंटे काम करने के बाद हम सर्वश्रेष्ठ देश होंगे, लेकिन किस कीमत पर? सप्ताह में 70 घंटे काम करने के बाद वह व्यक्ति क्या हासिल करेगा? अच्छा स्वास्थ्य? अच्छा परिवार? अच्छा साथी? खुशी? पूर्ति? व्यक्ति क्या हासिल करेगा? यदि कोई व्यक्ति हर हफ्ते 70 घंटे काम करने के बाद सफलता का लक्ष्य बना रहा है तो मैं चाहूंगा कि वह व्यक्ति सफलता को परिभाषित करें।
एक अन्य यूज़र ने लिखा कि पूंजीपति अपने कर्मचारियों को मुनाफा कमाने की मशीन के रूप में देखते हैं। उनके लिए कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ और फिजिकल कंडीशन कोई मायने नहीं रखती। एक महिला यूज़र ने लिखा कि हर युवा से हफ्ते में 70 घंटे काम करने की अपेक्षा करना शोषण है। यह कोई वर्किंग कल्चर नहीं हो सकता।
पहले जापान और जर्मनी की तरह सैलरी दीजिए
एक यूजर ने लिखा कि नारायणमूर्ति को पहले जर्मनी और जापान की तरह इंफोसिस के कर्मचारियों को सैलरी देने की शुरुआत करनी चाहिए। एक अन्य यूजर ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि नारायणमूर्ति और मिसेज मूर्ति भारतीयों को यह सीख रहे हैं कि दास की तरह कैसे काम करना चाहिए और दास की तरह कैसे जिंदगी जीनी चाहिए।
एक यूजर ने लिखा कि कुछ समय पहले तक मैंने भी यही गलत धारणा पाल रखी थी, लेकिन अब मेरी राय पूरी तरह बदल गई है। मेरा मानना है कि देश के युवाओं को स्मार्ट तरीके से थोड़े समय के लिए काम करना चाहिए। जीवन में नई चीज करनी चाहिए, नए शौक पैदा करने चाहिए और पूरे आनंद के साथ जिंदगी जीनी चाहिए। एक अन्य यूज़र ने लिखा कि जब युवा रोज 12 घंटे काम करेगा तो फिर वह अपने परिवार के लिए वक्त कैसे निकालेगा। देश के विकास की जिम्मेदारी सिर्फ युवाओं पर ही नहीं है बल्कि युवाओं को अपने परिवार को भी वक्त देना चाहिए।