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भाजपा से लड़ने की जगह आपस में ही उलझा इंडिया गठबंधन, बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक छिड़ा घमासान
Politics: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की हार के बाद इंडिया गठबंधन के बीच तकरार शुरू हो गई है।
Politics: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन में घमासान छिड़ गया है। इस हार के बाद कांग्रेस की भूमिका और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की ओर से गठबंधन के कामकाज पर नाराजगी जताने और खुद नेतृत्व के लिए तैयार रहने का बयान दिए जाने के बाद गठबंधन के भविष्य पर सवालिया निशान लगने लगा है।
दरअसल हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में लगे झटके से अब विपक्षी गठबंधन भाजपा को छोड़कर आपस में ही उलझ गया है। महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत भी हो गई है जहां समाजवादी पार्टी ने एमवीए से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। इसके जवाब में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने सपा को भाजपा की बी टीम बता डाला है। दूसरी और ममता बनर्जी की ओर से गठबंधन की अगुवाई करने के की दावेदारी के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने आम सहमति से नेता चुनने पर जोर दिया है।
ठंडा हो गया लोकसभा चुनाव का जोश
देश में पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन काफी जोश में दिखा था। भाजपा की सीटें घटने और पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने के बाद गठबंधन उत्साहित नजर आ रहा था मगर राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के बाद गठबंधन के गुब्बारे की हवा निकलने लगी है। पहले हरियाणा में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा और फिर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति ने अपनी ताकत दिखाते हुए 200 सीट सीटों पर कब्जा कर लिया जबकि महाविकास अघाड़ी गठबंधन सिर्फ 46 सीटों पर ही सिमट गया। उल्लेखनीय बात यह है कि गठबंधन में शामिल कांग्रेस उद्धव गुट से भी पीछे रह गई। उद्धव की शिवसेना को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद से इंडिया गठबंधन में घमासान शुरू हो गया है।
संसद सत्र में दिखी इंडिया गठबंधन में फूट
इंडिया गठबंधन में खींचतान का नजारा संसद शीत सत्र के दौरान भी दिखा। अडानी के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन में फूट पड़ गई। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले में अलग रुख अपनाया है। पार्टी की ओर से संसद को ठप्प करने का विरोध करते हुए कहा गया है कि देश में कई अन्य जरूरी मुद्दे हैं जिन पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से बुलाई गई बैठक में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमारी पार्टी का मानना है कि संसद चलनी चाहिए ताकि आम लोगों से जुड़े हुए मुद्दों को संसद में उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि अडानी के मुद्दे को लेकर संसद में हंगामे के कारण अन्य मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो पा रही है।
उन्होंने कहा कि देश में अन्य भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं,जिन पर संसद मैं चर्चा होनी चाहिए। समाजवादी पार्टी ने भी संभल हिंसा को अडानी से ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए कांग्रेस से किनारा कर लिया। सपा और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने कांग्रेस की ओर से आयोजित धरने में भी हिस्सा नहीं लिया।
ठाकरे ने सपा को भाजपा की बी टीम बताया
उधर महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अबू आजमी ने शिवसेना के उद्धव गुट पर तीखा हमला करते हुए महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से अलग होने का ऐलान किया है। सपा की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद शिवसेना (यूबीटी) विधायक दल के नेता आदित्य ठाकरे ने जवाबी हमला किया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को महाराष्ट्र में भाजपा की बी टीम तक बता डाला है।
आदित्य ठाकरे ने सपा को तीखा जवाब देते हुए कहा कि मैं समाजवादी पार्टी के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। महाराष्ट्र में इस पार्टी के कुछ नेता भाजपा की मदद करने में जुटे रहते हैं। इस पार्टी के कुछ नेता भाजपा की बी टीम बनकर काम करते हैं। दरअसल शिवसेना (यूबीटी) की ओर से 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के दिन अखबारों में विज्ञापन छपवाकर बधाई दी गई थी। बाद में उद्धव ठाकरे के करीबी नेता मिलिंद नार्वेकर ने इस विज्ञापन को एक्स पर पोस्ट करते हुए बाबरी विध्वंस करने वालों की खूब तारीफ की थी। उसके बाद से ही दोनों दलों के बीच घमासान छिड़ा हुआ है।
आम सहमति से नेता चुनने पर तेजस्वी का जोर
इस बीच राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि इंडिया गठबंधन के नेता का चुनाव आम सहमति से होना चाहिए। मीडिया के सवालों के जवाब में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि यदि ममता बनर्जी सहित कोई अन्य नेता इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करता है तो इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है मगर इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नेता चुने जाने के संबंध में कोई भी फैसला आम सहमति से ही लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभी तक इंडिया ब्लॉक में इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है। सबसे पहले सभी हितधारकों को शामिल करते हुए इस मुद्दे पर चर्चा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व को लेकर उन्हें कोई समस्या नहीं है। वैसे इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इंडिया गठबंधन में कई वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे मैं नेता चुनने के लिए सामूहिक चर्चा की जानी चाहिए। इंडिया गठबंधन में कई सहयोगी पार्टियों शामिल हैं और ऐसे में सभी से चर्चा करने की जरूरत है।
कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की सलाह
इंडिया गठबंधन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे गठबंधन के अध्यक्ष हैं और उन्हें गठबंधन से जुड़े मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को गंभीरता से आत्म चिंतन पर विचार करना चाहिए।
पार्टी को यह भी सोचना चाहिए कि उसने विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों का बंटवारा ठीक से क्यों नहीं किया जिसके कारण गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि ‘भाजपा हटाओ,देश बचाओ’ के नारे के साथ यह गठबंधन बनाया गया था। इसलिए गठबंधन में शामिल दलों को पूरी तरह एकजुट रहना चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस को भी अन्य दलों की बात सुनाई चाहिए।
शरद पवार ने किया ममता का समर्थन
इंडिया गठबंधन में चल रही इस खींचतान के बीच एनसीपी के नेता शरद पवार ने भी महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने ममता बनर्जी के इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने वाले बयान का समर्थन किया है। शरद पवार ने कहा कि ममता बनर्जी जुझारू महिला हैं और उनके भीतर इंडिया गठबंधन को नेतृत्व देने की पूरी क्षमता है। उन्होंने कहा कि ममता कई मुद्दों पर काफी आक्रामक रही हैं और उन्होंने कई नेताओं को तैयार किया है। इस कारण इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की दावेदारी करने का उन्हें अधिकार है।
दिल्ली में आप-कांग्रेस की लड़ाई का फायदा भाजपा को
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर लगी हुई हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा से एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की जगह आप और कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक दी है। दोनों दल भाजपा के साथ ही एक-दूसरे पर भी कर रहा हमला कर रहे हैं।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में गठबंधन न होने के बाद ही यह बात स्पष्ट हो गई थी कि आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी घमासान छिड़ेगा। अब आप मुखिया अरविंद केजरीवाल और दिल्ली में कांग्रेस के प्रमुख देवेंद्र यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों दल विधानसभा चुनाव में किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं करेंगे।ऐसे में दोनों दलों के बीच पैदा हुई इस दरार का फायदा भाजपा को मिलने की संभावना जताई जाने लगी है। भाजपा ने आप को सत्ता से बेदखल करने के लिए पहले ही पूरी ताकत लगा रखी है।