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Interim Budget 2024: लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर निश्चिंत भाजपा! बजट से मिल रहे बड़े सियासी संकेत

Interim Budget 2024: विगत कुछ समय में हुए इन घटनाक्रमों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को अपने विरोधियों पर बढ़त जरूर दिलाई है।

Krishna Chaudhary
Published on: 1 Feb 2024 1:42 PM IST (Updated on: 1 Feb 2024 3:19 PM IST)
Interim Budget
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Interim Budget (Photo: Social Media)

Interim Budget 2024: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट आज यानी गुरुवार एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। चुनावी वर्ष होने के कारण उन्होंने अंतरिम बजट पेश किया। अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नई सरकार जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी। अंतरिम बजट में किसी तरह की नई और लोकलुभावन घोषणाओं से परहेज करना होता है। इस परंपरा को मोदी सरकार ने भी बरकरार रखा। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में खास तौर पर इसका जिक्र किया।

दरअसल, निर्मला सीतारमण ने पहले ही लोगों से इस बजट से ज्यादा उम्मीद न रखने को कहा था। कमरतोड़ महंगाई के बीच मध्यम वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स में कुछ राहत प्रदान कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जबकि 2019 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख तक की कमाई करने वालों को टैक्स के दायरे से बाहर रखने का ऐलान किया था। सरकार ने यहां तक की पीएम किसान योजना की राशि तक नहीं बढ़ाई।

क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर निश्चिंत है भाजपा ?

मोदी सरकार के अंतरिम बजट को देखकर यही लगता है कि केंद्र में बैठी भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर एक तरह से निश्चिंत है। बजट से पहले ये चर्चा खूब थी कि देश का सबसे बड़ा मतदाता वर्ग माने जाने वाला किसान, जो पिछले दिनों कृषि कानूनों को लेकर सड़कों पर था, उसे खुश करने के लिए सरकार पीएम किसान सम्मान निधि की राशि को छह हजार से बढ़ाकर 8 या 9 हजार तक कर सकती है लेकिन बजट भाषण में ऐसा कुछ नहीं दिखा।

इससे साफ जाहिर है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 10 वर्षों से सत्ता में रहने के बावजूद सत्ता विरोधी लहर से परेशान नहीं है। पिछले दो-तीन माह में देश में जो सियासी माहौल बदला है, उसने बीजेपी के कॉन्फिडेंस लेवल को काफी ऊंचा कर दिया है। शुरूआत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से होती है, जिसको लेकर सियासी पंडित से लेकर यहां तक कि भाजपा के नेता भी मानकर चल रहे थे कि परिणाम के उनके पक्ष में आने की संभावना बेहद कम है।

मगर तीन दिसंबर को तब ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती शुरू हुई तो विपक्षी इंडिया ब्लॉक और इसकी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में बुरी तरह हारी कांग्रेस तेलंगाना जीतकर अपनी लाज बचा पाई। इस जीत ने साबित कर दिया कि उत्तर भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा बरकरार है और वह भाजपा के खिलाफ बने विपरीत माहौल को भी अनुकूल माहौल में तब्दील कर सकते हैं।

इसके बाद 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम जिस भव्य़ तरीके से आयोजित किया गया, उसने न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। कार्यक्रम में कांग्रेस जैसी प्रमुख विपक्षी पार्टियों को आमंत्रित कर भगवा दल ने ऐसा दांव चला कि उनके लिए इससे निपटना मुश्किल हो गया। आज लोगों के बीच ये स्थापित हो चुका है कि पीएम मोदी की बदौलत ही रामलला 500 वर्षों बाद अपने जन्मस्थान पर विराजमान हो पाए हैं।

रही-सही कसर विपक्षी खेमे में मचे आंतरिक खींचतान ने पूरी कर दी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले अपने राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर इंडिया गठबंधन के छिटकने की शुरूआत की। जिस पर अरविंद केजरीवाल भी आगे बढ़े और पंजाब को लेकर भी ऐसी ही घोषणा की। इस गठबंधन को सबसे बड़ा झटका इसके सूत्रधार माने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी।

बीते माह 28 जनवरी को महागठबंधन के साथ – साथ इंडिया ब्लॉक को अलविदा कहते हुए उन्होंने एनडीए में घर वापसी कर ली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया। जिस शख्स को पीएम मोदी के खिलाफ जंग का सेनापति माना जा रहा था, उसी ने जब उसके मातहत काम करना स्वीकार कर लिया तो इंडिया गठबंधन के लिए इससे ज्यादा मनोवैज्ञानिक झटका और कुछ नहीं हो सकता। इससे आम जनता के बीच विपक्षी खेमे की विश्वसनीयता भी कमजोर हुई है।

विगत कुछ समय में हुए इन घटनाक्रमों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को अपने विरोधियों पर बढ़त जरूर दिलाई है। हालांकि, राजनीति में किसी भी तरह की भविष्यवाणी को सटीक नहीं माना जाता है लेकिन फिलहाल के लिए तो मोदी के सामने एकबार फिर विपक्ष मजबूत चुनौती पेश करने में असफल नजर आ रहा है। आज के बजट में कोई लोकलुभावन घोषणाओं के न होने की सबसे बड़ी वजह इसे ही माना जा रहा है।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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