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देश का वो हिस्सा जहां पर सिर्फ महिलाओं की है चर्चा, हर जुबां पर महिला ही महिला

International Women's Day:आज 8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। आज हम देश के उस हिस्से की चर्चा करते हैं जहां हर जुबां पर सिर्फ महिलाओं का ही जिक्र है।

Sakshi Singh
Published on: 8 March 2025 6:48 PM IST
International Womens Day
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International Women's Day

International Women's Day: अमेरिका के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को इस तरह परिभाषित करते हुए कहा था, 'OF The People, By The People, For The People,'यानी 'जनता का, जनता द्वारा और जनता के लिए शासन'। पर दिल्ली वि चुनाव के हालिया नतीजे को देखें तो लिंकन के कहे से कुछ अलग भी संदेश पढ़े जा सकते हैं- महिला का, महिला के लिए और महिला का शासन। आज 8 मार्च है यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। तो हमने सोचा आज हम देश के उस हिस्से की चर्चा करते हैं जहां की राजनीति में जुबां पर सिर्फ महिलाओं का ही जिक्र है।

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय की ओर से 6 जनवरी,2025 को पब्लिश की गई अंतिम वोटर लिस्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुल 1,55,24,858 रजिस्टर्ड मतदाता हैं। जिनमें से 83,49,645 पुरुष और 71,73,952 महिला मतदाता हैं। यानी दिल्ली में 46.2 प्रतिशत महिला मतदाता हैं।

दिल्ली चुनाव पर गौर फरमाएं तो पूरा चुनाव महिलाओं के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा। मानों ये चुनाव पूरी तरह महिलाओं पर ही फोकस करके पार्टियां चुनाव लड़ रही हों। तीनों प्रमुख पार्टियां आप, बीजेपी और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं को लुभाने का भरसक प्रयास किया।

महिलाओं के लिए AAP का घोषणा पत्र

दिल्ली चुनाव के लिए आप ने 15 गारंटी को जारी किया था। जिसमें महिलाओं के लिए

1.महिला सम्मान योजना- जिसमें प्रतिमाह 2100 सम्मान राशि के रूप में दिए जाने का आप ने वादा किया था।

2.शादी के लिए 1 लाख रुपये- ऑटो टैक्सी, ई रिक्शा वालों की बेटी की शादी में 1 लाख रुपये की मदद राशि देने की घोषणा।

3. महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा।

महिलाओं के लिए BJP का घोषणा पत्र

1. 2500 की आर्थिक मदद हर गरीब महिला को प्रतिमाह।

2. गर्भवती महिला को 21000 की आर्थिक मदद और 6 पोषण किट ।

3. 500 रुपये में LPG सिलेंडर। हर गरीब परिवार की महिला को होली एवं दीपवली पर एक-एक सिलेंडर मुफ्त।

4. विधवाओं, बेसहारा एवं परित्यक्त महिलाओं की पेंशन 2500 से बढ़ाकर 3000 प्रतिमाह, इसके अलावा वारिष्ठ नागरिकों को 2000 से बढ़ाकर 2500 प्रतिमाह कर दिया जाएगा।

5. महिलाओं के लिए DTC बस यात्रा मुफ्त।

Congress का घोषणा पत्र

कर्नाटक राज्य की तर्ज पर

1- प्यारी दीदी योजना- गरीब परिवार की एक महिला को 2500 रुपये प्रतिमाह।

2-गृह ज्योति योजना।

3-500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर। हर महीने 5 किलो चावल, 2 किलो चीनी, 1 किलो कुकिंग ऑयल, 6 किलो दाल, 250 ग्राम चायपत्ती समेत एक मुफ्त राशन किट।

चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद, बहुमत में आई बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता संभालने के लिए महिला चेहरा को ही चुना।रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया। गजब तो तब हो गया जब सदन में नेता प्रतिपक्ष के चयन की बात हुई तो यहां विपक्ष ने भी महिला नेता के नाम पर मुहर लगा कर आतिशी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया। दिल्ली की राजनीति के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। जब सीएम भी महिला और नेता प्रतिक्ष भी महिला हैं।

दिल्ली की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में जब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक मदद देने का बीजेपी द्वारा किए गए घोषणा की चर्चा नहीं की गई, तो आप नेता आतिशी ने इस पर सवाल उठाया था। जबकि पीएम मोदी ने चुनाव अभियान के दौरान इस वादे को पहले कैबिनेट में शामिल कराने को कहा था। यानी अगर सरकार महिलाओं से किए वादे को लेकर हीलाहवाली करती है, या फिर महिलाओं के खिलाफ कोई अत्याचार होता है, तो प्रतिपक्ष की बैठी महिला नेता बिल्कुल शांत नहीं बैठने वाली हैं।

इस तरह से देखा जाए तो दिल्ली पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित मालूम पड़ती है। ऐसा पहली बार आज से 789 साल पहले हुआ था। जब 1236 में रजिया सुल्तान ने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था। उस समय पहली बार ऐसा हुआ था जब दिल्ली तख्त पर कोई महिला बैठी थी। तब भी दिल्ली की उस जनता को इस महिला शासक से बहुत उम्मीदें थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि शासक बनकर वह शांति और सुव्यवस्था स्थापित करेंगी। रजिया अपनी राजनीतिक समझदारी और नीतियों से सेना और जनसाधारण का ध्यान रखती थीं। वह उस समय की दिल्ली की सबसे शक्तिशाली शासक बन गयीं थीं।

हालांकि दिल्ली के इतिहास में महिला को अगर सत्ता मिली है तो उसे बखूब साबित किया है। सुषमा स्वराज और आतिशी तो बेहद कम समय के लिए दिल्ली की सीएम रहीं। लेकिन शीला दीक्षित लंबे समय तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं उनका भी कार्यकाल सराहनीय रहा। ऐसी ही उम्मीद रेखा गुप्ता से भी है। उन्हें भी साबित करना होगा। महिला की हिमायत से लेकर दिल्ली की विकास तक। मैडम सीएम के सामने तेज तर्रार महिला नेता प्रतिपक्ष भी हैं। इसलिए इस सरकार के कंधे पर दिल्ली की दुगनी जिम्मेदारी भी होगी।

Sakshi Singh

Sakshi Singh

Senior Content Writer

मेरा नाम साक्षी सिंह है। मूलत: प्रयागराज की रहने वाली हूं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने बैचलर और मास्टर दोनों ही जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन विषय से किया है। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक जागरण (प्रिंट) से किया। दैनिक भास्कर (डिजिटल) में प्रयागराज में फील्ड रिपोर्टर रही। इसके बाद मैंने अमृत विचार, राजस्थान पत्रिका और नवभारत डिजिटल में लगभग 18 महीने बतौर कंटेट राइटर काम किया। इस संस्थान में नेशनल और इंटरनेशनल की रियल टाइम की खबरें लिखती रही। इसके साथ ही इस संस्थान में मैंने यहां शिफ्ट इचार्ज के तौर पर टीम भी लीड किया है। इस क्षेत्र में काम करते हुए लगभग साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गए हैं। मेरी रुचि और पकड़ लगभग सभी विषयों पर है। लेकिन इंडियन पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में विशेष दिलचस्पी है।

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