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International Women's Day: महिला दिवस के मौके पर पीएम मोदी के सोशल मीडिया हैंडल को महिलाओं ने संभाला, शेयर की अपनी कहानियां
International Women's Day: दो महिला वैज्ञानिकों, एलिना मिश्रा और शिल्पी सोनी ने पीएम मोदी के 'एक्स' हैंडल को संभालते हुए अपनी प्रेरक कहानियां साझा कीं, जिसमें उन्होंने विज्ञान और तकनीक में अपनी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
Shilpi Soni and Elina Mishra (Photo: Narendra Modi/X)
International Women's Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर शनिवार को दो प्रमुख महिला वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट का नियंत्रण संभाला और अपने अनुभव व उपलब्धियों को साझा किया।
23 फरवरी को पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि महिला दिवस के अवसर पर वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को प्रेरणादायक महिलाओं के एक समूह को सौंपेंगे, ताकि वे अपने कार्य और अनुभव लोगों तक पहुंचा सकें। ओडिशा की एलिना मिश्रा और मध्य प्रदेश की शिल्पी सोनी ने पीएम मोदी के 'एक्स' हैंडल के माध्यम से अपनी प्रेरक कहानियां साझा कीं।
"अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु प्रौद्योगिकी और महिला सशक्तिकरण। हम एलिना मिश्रा, एक परमाणु वैज्ञानिक और शिल्पी सोनी, एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। हम महिला दिवस पर पीएम के सोशल मीडिया अकाउंट को संभालकर गर्व महसूस कर रहे हैं। हमारा संदेश है कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है, और हम अधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं," उन्होंने कहा।
एलिना मिश्रा ने विज्ञान के प्रति अपनी रुचि का श्रेय अपने पिता को दिया, जिन्हें उन्होंने अपनी प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा, विज्ञान के प्रति मेरी रुचि मेरे पिता के कारण विकसित हुई, जिन्हें मैंने अपने शोध के लिए कड़ी मेहनत करते देखा है। मेरा सपना तब पूरा हुआ जब मेरा चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में हुआ।
एलिना ने बताया कि उन्होंने लो एनर्जी हाई इंटेंसिटी प्रोटॉन एक्सेलेरेटर (LEHIPA) के लिए ड्रिफ्ट ट्यूब लाइनेक कैविटी के चुंबकीय और RF लक्षण वर्णन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फर्मी नेशनल एक्सेलेरेटर लेबोरेटरी, शिकागो की 800 MeV प्रोटॉन इम्प्रूवमेंट प्लान (PIP-II) परियोजना के लिए कई फोकसिंग क्वाड्रुपोल मैग्नेट और बीम स्टीयरिंग डिपोल करेक्टर मैग्नेट को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया।
वहीं, शिल्पी सोनी ने बताया कि DRDO में काम करने के बाद ISRO के साथ जुड़ना उनके लिए एक सपना सच होने जैसा था। उन्होंने पिछले 24 वर्षों में 35 से अधिक संचार और नेविगेशन मिशनों के लिए अत्याधुनिक RF और माइक्रोवेव सबसिस्टम तकनीकों के डिजाइन और विकास में योगदान दिया। ISRO में हर व्यक्ति के लिए अपार अवसर हैं, जिससे जटिल चुनौतियों का समाधान अभिनव उपायों के साथ किया जा सकता है।
उन्होंने आगे बताया कि इसरो ने अत्यधिक जटिल स्पेस ट्रैवलिंग वेव ट्यूब तकनीक को सफलतापूर्वक स्वदेशी रूप से विकसित किया है, जो वैश्विक स्तर पर केवल कुछ ही देशों के पास उपलब्ध है। वर्तमान में वह GSAT-22/23 संचार पेलोड के लिए एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। शिल्पी ने गर्व से कहा, मुझे GSAT के प्रक्षेपण के लिए फ्रेंच गुयाना, कौरौ में इसरो प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित होते देखना बेहद संतोषजनक अनुभव था।