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उड़ने वाला मोबाइल टावर: ऐसे पहुंचाएगा इंटरनेट

टेक्नोलॉजी में नई नई खोज की वजह से हर वो चीज मुमकिन होती जा रही है जो हम कभी सपने में सोचा करते थे। दुनिया की जानी-मानी कंपनियां गूगल और फेसबुक कई सालों से करोड़ों लोगों को इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए काम कर रही हैं ताकि यूजर्स इंटरनेट कनेक्टिविटी के जरिए दुनिया से संपर्क में रहे।

suman
Published on: 21 Feb 2020 10:25 PM IST
उड़ने वाला मोबाइल टावर: ऐसे पहुंचाएगा इंटरनेट
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नई दिल्ली टेक्नोलॉजी में नई नई खोज की वजह से हर वो चीज मुमकिन होती जा रही है जो हम कभी सपने में सोचा करते थे। दुनिया की जानी-मानी कंपनियां गूगल और फेसबुक कई सालों से करोड़ों लोगों को इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए काम कर रही हैं ताकि यूजर्स इंटरनेट कनेक्टिविटी के जरिए दुनिया से संपर्क में रहे। इंटरनेट कनेक्टिविटी को दूर-दराज के गांवों तक पहुंचाने के लिए लून ( Loon) जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी स्टार्ट-अप कंपनी ने उड़ने वाले मोबाइल टावर बनाने की कोशिश की है। इस उड़ने वाले मोबाइल टावर में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है जो कि एक डायनिंग टेबल की साइज का है। इसे एक लंबे वायर के साथ जोड़ा गया है। इसे बनाने वालों की मानें तो एक महीने तक ये ड्रोन हवा में उड़ सकता है और इसके जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी दूर-दराज या दुर्गम इलाकों में पहुंचाई जा सकती है।

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टेलीलिफ्ट तकनीक

21वीं सदी में ड्रोन बेस इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने की कोशिश सेल्युलर ऑन व्हील्स (COW) के जरिए भी की गई है। स्पोकी एक्शन(Spooky Action) इस तरह की(telelift)तकनीक के जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी दुर्गम इलाकों में पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी के मुख्य फीचर्स की बात करें तो टेलीलिफ्ट (Telelift )कई सप्ताह तक हवा में रहकर इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा सकती है। ये तकनीक सेल्युलर ऑन व्हील्स के मुकाबले सस्ती है और टेलिकम्युनिकेशन के लिए एक सहज माध्यम बनकर सामने आ रहा है।

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ऐसे में इंटरनेट कनेक्टिविटी को इन लोगों तक पहुंचाने के लिए नए-नए इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र में 2017 से ही इस तरह के उड़ने वाले मोबाइल टावर का इस्तेमाल करके इंटरनेट सेवा मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। टेलीलिफ्ट(Telelift) में इस्तेमाल होने वाले हर ड्रोन की मदद से 20 से 30 मील के रेडियस में इंटरनेट सेवा पहुंचाई जा सकती है।लून टेक्नोलॉजी गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट( Alphabet) ने इस तकनीक की मदद से कई देशों के दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई है। लून में एक टेनिस कोर्ट की साइज के बैलून को 12 मील की ऊंचाई पर हवा में उड़ाया जाता है। इसकी मदद से 25 मील के रेडियस में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाई जा सकती है। 2018 में इसे केन्या के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करने की घोषणा की गई है।



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