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नशा लील रहा पंजाब की जवानी, तस्करों के खिलाफ नहीं होती कोई कार्रवाई

raghvendra
Published on: 8 Jun 2018 1:21 PM IST
नशा लील रहा पंजाब की जवानी, तस्करों के खिलाफ नहीं होती कोई कार्रवाई
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दुर्गेश पार्थ सारथी

अमृतसर: सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में नशा तस्करी का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासकर युवा इसका शिकार हो रहे हैं। हालत यह है कि पंजाब की जवानी बर्बादी के मुहाने पर खड़ी है। ऐसा नहीं है कि यहां की सरकार नशा और नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही। पुलिस कार्रवाई से लेकर जागरूकता अभियान तक चलाए जा रहे हैं, लेकिन नशे का नाग फन उठाए खड़ा है। वैसे तो पंजाब में नशा और नशा तस्करों पर उड़ता पंजाब नाम की फिल्म भी बन चुकी है, लेकिन हकीकत में इस फिल्म में दिखाए गए दृश्यों से कहीं ज्यादा भयावह स्थिति है। कारण यह कि नशे के कारोबार में खाकी से लेकर खादी तक जुड़ा है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में नशा सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरा था और सूबे में सत्ता परिवर्तन का एक कारण यह भी था। लेकिन सरकार बदलने के बाद भी हालात वहीं हैं। तब भी सीमा पार से नशा तस्करी का खेल जोरों पर था और अब भी।

अभी हाल ही नशा तस्करी के कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जो सचमुच में हैरान कर देने वाले हैं।

सूत्रों के मुताबिक सीमा पर स्थित किसानों की जमीन को नशा तस्कर खेती के नाम पर किसानों से ठेके पर लेकर इसमें फसल बोते हैं, लेकिन इसके पीछे उनका एक ही मकसद होता है कि सीमा पार से आने वाली हेरोइन व अफीम की खेप को इन खेतों छिपा कर रखना और मौका मिलते ही सीमा सुरक्षा के बल के जवानों की आंखों में धूल झोंक कर इन खेपों को भारत पहुंचाकर बेचना। कई बार तो ये तस्कर अपने मंसूबों में सफल भी हो जाते हैं, लेकिन कई बार सीमा सुरक्षा बल के जवानों के हत्थे चढ़ जाते हैं।

सीमावर्ती क्षेत्रों में नशे का खेल अधिक

वैसे तो नशा व तस्कर सूबे के हर जिले में फैले हुए हैं, लेकिन अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का सहित विभिन्न सरहदी जिलों में इनका साम्राज्य व्यापक रूप से फैला हुआ है। यहां सप्ताह का कोई भी ऐसा दिन नहीं होगा जिस दिन हेरोइन या अफीम के नशा तस्कर न पकड़े जाते हों। कई बार तो बीएसएफ के जवानों को सीमा पार से होने वाली तस्करी को रोकने के लिए रात को फायरिंग भी करनी पड़ती है। ऐसे में कई बार पाकिस्तानी तस्कर भाग जाते हैं तो कई बार मौके पर ही ढेर हो जाते हैं। फिर सुबह होने जब जवान सर्च अभियान चलाते हैं तो नशे की बड़ी खेप बरामद होती है। हालात यह हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कई परिवार ऐसे भी हैं जिनका पूरा परिवार ही नशा तस्करी से जुड़ा हुआ है। और तो और कई मोहल्ले भी चिह्निïत हैं जहां घर-घर में नशा बेचने का कारोबार चलता है।

कच्ची शराब निकालना तो यहां आम बात सी है। अभी कुछ दिन पहले ही हरिके में शराब निकालते हुए कुछ लोग पकड़े भी गए थे जबकि छापामारी करने गई एक्साइज विभाग की टीम की गोली लगने से कथित तौर पर एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। कच्ची शराब निकालने के अधिकांश मामले तरनतारन, फिरोजपुर, मुक्तसर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा व मानसा में सामने आते है। आए दिन इन पर कार्रवाई भी होती है, लेकिन जमानत पर आने के बाद आरोपी फिर से अपने पुराने कारोबार में संलिप्त हो जाते हैं।

कांग्रेस व अकाली नेता भी हैं आरोपी

ऐसा नहीं है कि नशे के काले कारोबार से एक तबका जुड़ा हुआ है, बल्कि पंजाब की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले लोग भी इससे जुड़े हुए हैं। चाहे वह शिरोमणि अकाली दल के हों या कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी के ही क्यों न हो। इन सब पर हमाम में सब नंगे वाली होने वाली कहावत ही लागू होती है। पिछले महीने अमृतसर जिले के अजनाजा क्षेत्र में नशा तस्करी के आरोप में पकड़े गए एक तस्कर के संबंध कांग्रेस से होने की बात सामने आई, लेकिन कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं से इसे सिरे से खारिज कर दिया। वहीं तरनतारन जिले के एक गाव का सरपंच भारी मात्रा में अफीम व हेरोइन के साथ पकड़ा गया। इस के बारे में बताया गया कि पहले वह कांग्रेस में था। फिर अकाली दल में शामिल होकर एक गांव का सरपंच बना और तभी से नशा तस्करी के मामले में फरार चल रहा था। जब वह पुलिस की गिफ्त में आया तो नेताओं ने उससे किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार कर दिया।

सीमा पर भी पकड़ी गयी अफीम-हेरोइन

इसी साल मध्य जनवरी में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित फाजिल्का से पुलिस ने नौ किलो अफीम सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक ये लोग पाकिस्तान से आई खेप को अन्य जगहों पर पहुंचाने जा रहे थे। इसी तरह अमृतसर के सीमावर्ती क्षेत्र में ट्रैक्टर पर लगे साउंड बाक्स से बीएसएफ ने 7 किलो हेरोइन बरामद की थी। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के मुताबिक पकड़ा गया किसान पहले जब ट्रैक्टर के साथ अपने खेतों में जाता था तो ट्रैक्टर पर लगा डेक बजता रहता था, लेकिन इस बार बिना डेक बजाए ही किसान अपने खेतों में गया और डेक मे हेरोइन भर कर ला रहा था ताकि किसी को शक न हो। लेकिन जवानों को किसान की गतिविधियां संदिग्ध लगी,जिस पर उन्होंने उसके ट्रैक्टर की तलाशी ली तो डेक से बड़ी मात्रा में अफीम बरामद हुई।

नशा न मिलने पर दे दी जान

पंजाब में नशा और नशेडिय़ों का आलम यह है कि नशा न मिलने से परेशान कांग्रेस महिला ब्रिगेड की प्रदेश अध्यक्ष के 26 वर्षीय बेटे ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। परिजनों के मुताबिक जय सिंह नशा को नशे की लत थी और उसे नशे और नशेडिय़ों से दूर रखने के लिए परिजन घर में ही रखते थे। नशा न मिलने से परेशान इस युवक ने मौका पाकर अपने पिता की लाइसेंसी राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस तरह का एक मामला पाकिस्तान की सीमा से सेट अजनाला का है जहां एक पूर्व सैनिक के नशेड़ी बेटे ने भी पिता की लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर खुदकशी कर ली। यही नहीं यहां तो नशे के नाम से बदनाम मोहल्ले भी है। नशे में अपने बच्चों को गंवा चुके लोग सरकार से यही मांग करते रहे हैं कि प्रदेश में नशा और नशा तस्करी पर अंकुश लगाया जाए।

पंजाबी सिंगर भी पकड़ा गया हेरोइन के साथ

वैसे तो पंजाबी लोकगीतों में शराब व बंदूक जैसे शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन शायद यह पहला ऐसा मामला है जब फरवरी 2018 में जालंधर पुलिस ने किसी लोक गायक को डेढ़ किलो हेरोइन के साथ गिफ्तार का केस दर्ज किया हो।

पुलिस के मुताबिक अमृतसर निवासी दोनों पंजाबी सिंगर लोकगायकी की आड़ में नशा तस्करी का कारोबार करते हैं। जालंधर रेंज के सहायक पुलिस महानिरीक्षक मुखविंदर सिंह ने बताया कि आरोपी बिना सिम का मोबाइल स्तेमाल करते थे। ये मोबाइल को डोंगल से ऑपरेट करते थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने सोशल नेटवर्किंग का एप इटली के नंबर पर रजिस्टर्ड कर रखा था। पकड़े गए आरोपी पंजाबी गायकों के पास से अफगानिस्तान, दुबई, पाकिस्तान और बैंकुवर के सिमकार्ड बरामद हुए हैं, जिसका इस्तेमाल ये नशा तस्करी के लिए करते थे। उन्होंने कहा इन तस्करों का संबंध अंतरराष्ट्रीय तस्करों से हो सकता है।

इसी तरह अमृतसर पुलिस ने पंजाब पुलिस से बर्खास्त एक एएसआई को भी नशा तस्करी के आरोप में गिफ्तार कर केस दर्ज किया है। आरोप है कि बर्खास्त एएसआई पाकिस्तान से आने वाली नशे की खेप को ठिकाने लगाता था। इसी तहर तरनतारन जिले में अंतरराष्ट्रीय तस्कर बग्गा को पुलिस ने फाच्र्यूनर व अफीम सहित पकड़ा था। बग्गा पर अफीम, हेरोइन, जाली करेंसी, असलहा और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी सहित कई मामले दर्ज हैं।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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