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निवेश का कीजिए इंतजार अभी जमीन तलाश रहा गीडा

raghvendra
Published on: 22 Feb 2019 12:27 PM GMT
निवेश का कीजिए इंतजार अभी जमीन तलाश रहा गीडा
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: लखनऊ में पिछले वर्ष चकाचौंध के बीच 21 और 22 फरवरी को आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में प्रदेश में औद्योगिक विकास को लेकर सरकार ने तो सपने देखे ही थे, निवेशकों को भी दिखाए थे। समिट के एक साल पूरा होने के बाद भी निवेश के आकड़े उत्साहित करने के बजाय निराश कर रहे हैं। फैक्ट्रियों की स्थापना के उलट गीडा में एनजीटी की सख्ती से उद्योगों पर तालाबंदी हो रही है, तो वहीं कई का हुक्का-पानी बंद हो रहा है। इन्वेस्टर्स समिट में गोरखपुर और आसपास के इलाकों में करीब 12 हजार करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे मगर हकीकत में अभी 1000 करोड़ का भी निवेश नहीं हुआ है। उल्टे दो दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां बंद हो गईं।

प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के दावे के बीच बीते वर्ष फरवरी में लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में अरबों के निवेश प्रस्ताव को लेकर योगी सरकार ने खूब वाहवाही लूटी थी। जुलाई में पीएम मोदी ने लखनऊ में आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरोमनी में भी करोड़ों के निवेश की उम्मीदें जगाई गईं। तीन महीने पहले गीडा के 30वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिसम्बर महीने में ही प्रदेश में एक लाख करोड़ के निवेश की बात कही थी। मुख्यमंत्री के दावे की हवा उनके गृह जनपद गोरखपुर में ही खुल रही है। गीडा प्रशासन उद्यमियों को अभी जमीन देने में नाकाम है। तमाम कवायदों के बाद भी गीडा के लैंड बैंक में इजाफा नहीं हो सका है।

कई कारणों से रुके हुए हैं प्रोजेक्ट

मुंबई की अवाडा कंपनी ने 1550 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट को लेकर 8450 करोड़ का प्रस्ताव दिया था। सहजनवां में किसानों से सहमति पत्र लेकर कंपनी ने 250 एकड़ जमीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन मामला स्टॉप ड्यूटी की छूट को लेकर फंसा है। अडानी समूह ने 400 करोड़ रुपये से कौशल विकास केन्द्र खोलने का प्रस्ताव भी हवा में है। लोटस निक्को समूह ने होटल की स्थापना को लेकर 135 करोड़ का निवेश प्रस्ताव दिया था। कंपनी के पास गोरखपुर शहर में 22 हजार वर्ग मीटर भूमि है। बावजूद फाइव स्टार होटल की नींव नहीं पड़ी है। अब रामगढ़ झील के 50 मीटर के दायरे में निर्माण पर अंकुश से उम्मीदें धूमिल हुई हैं। निवेश के प्रस्ताव के बाद मुख्यमंत्री गोरखपुर मंडल के सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत डेढ़ लाख से अधिक बेरोजगारों को रोजगार का दावा कर रहे हैं। सिर्फ गोरखपुर में 82 हजार बेरोजगार पंजीकृत हैं।

क्षेत्रीय सेवायोजन विभाग के सहायक निदेशक अखंड प्रताप सिंह का कहना है कि एक्ट में साफ प्रावधान है कि उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को तरजीह दी जाए। उद्योग लगेंगे तो स्थानीय लोगों को काम मिलेगा। इन्वेस्टर्स समिट के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले जिन उद्यमियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है, उनमें से सभी के पास पहले से जमीन थी। 13.85 करोड़ का निवेश उद्यमी आकाश जालान ने किया है। उनकी फर्म नारायणी लैमिनेटर एल्मुनियम सीट बना रही है।

कई फैक्ट्रियों में काम शुरू

अमर तुलस्यान ने 80 करोड़ के एएमयू के क्रम में सेनेटरी नैपकीन का प्लांट शुरू कर दिया हैै, लेकिन विस्तार के लिए अभी 25 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। इसी क्रम में डॉ आरिफ साबिर की फर्नीचर बनाने वाली फैक्ट्री में उत्पादन शुरू हो गया है। स्प्लाइश प्लाई के नाम से शुरू हुई फैक्ट्री में 11.50 करोड़ का निवेश हुआ है। वहीं निकुंज मातनहेलिया ने भी 35 करोड़ निवेश से अपनी फैक्ट्री शुरू की है। पिछले 30 नवम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैलेंट स्टील प्लांट के विस्तारीकरण का शिलान्यास किया है। 550 करोड़ के प्लांट में 24 महीने बाद उत्पादन शुरू होगा। गैलेंट ने इन्वेस्टर्स समिट के काफी पहले सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। उद्यमी निखिल जालान की 400 करोड़ की लागत से स्थापित होने वाली स्टील फैक्ट्री को लेकर जमीन का संकट सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद खत्म हो गया है।

प्रदूषण बेलगाम

एक तरफ सरकार गीडा में निवेश को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ उद्यमियों को गीडा परिक्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की हाईपावर कमेटी ने गीडा की तीन फैक्ट्रियों को आमी नदी, भूगर्भ जल और वायु प्रदूषण का दोषी बताते हुए 50-50 लाख रुपये का जुर्माना वसूलने की सिफारिश की है।

कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बीते दिनों गीडा की फैक्ट्रियों के निरीक्षण के दौरान पाया था कि इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा और दूषित पानी सीधे आमी नदी में गिर रहा है। कमेटी ने गीडा की गैलेंट इस्पात लिमिटेड, क्रेजी बेकर्स प्राइवेट लिमिटेड और रुंगटा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियां बताते हुए ‘पॉल्यूटर्स पे’ के तौर पर 50-50 लाख रुपये जुर्माना वसूलने की सिफारिश की है। इन फैक्ट्रियों को दो महीने के अंदर प्रदूषण रोकने के मानकों को पूरा करने का भी निर्देश दिया गया है।

भूगर्भ जल की जांच का निर्देश

कमेटी ने स्वास्थ्य निदेशालय की टीम को एक फैक्ट्री के निरीक्षण के अलावा फैक्ट्री के दो किलोमीटर के क्षेत्र में स्वास्थ्य की जांच करने और केंद्रीय भूगर्भ जल विभाग को भूगर्भ जल की जांच का भी निर्देश दिया है। हालांकि गैलेंट इस्पात के सीईओ मयंक अग्रवाल फैक्ट्री को मानक के मुताबिक और पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त बता रहे हैं।

क्रेजी ब्रेड के एमडी नवीन अग्रवाल भी प्रदूषण फैलाने के आरोपों को खारिज कर रहे हैं। बीते 9 फरवरी को एक बार फिर एनजीटी की हाईपावर कमेटी ने गीडा की नौ फैक्ट्रियों पर 50-50 लाख रुपये जुर्माना लगा दिया। प्रदूषण विभाग ने इसमें से 7 फैक्ट्रियों का बिजली कनेक्शन भी कटवा दिया है। कमेटी ने गीडा की अलकेन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, डॉ.संधु हेचरी, भारती रिसर्च एंड ब्रीडिंग फार्म, शिव पॉल्ट्री फार्म, देवेंद्र फीड्स प्राइवेट लिमिटेड, मदरश्री डेयरी, गोरखनाथ एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, बरनेत फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड और सेनरजी पर 50-50 लाख का जुर्माना लगाया है।

जुर्माने को गलत बताया

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के महासचिव प्रवीन मोदी कहते हैं कि इनमें से कई का कुल निवेश भी 10 लाख से कम है। ऐसे में भारी-भरकम जुर्माना औचित्य से परे हैं। पॉलीथिन पर प्रतिबंध का भले ही कोई असर नहीं हो, लेकिन गीडा में प्लास्टिक की करीब 20 फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। उद्यमी श्रवण जालान कहते हैं कि पॉलीथिन की फैक्ट्री बंद कर कागज के गिलास-कटोरी की फैक्ट्री पर 50 लाख खर्च कर दिये।

पॉलीथिन पर प्रतिबंध नहीं लगने से पूंजी डूब गई। दूसरी तरफ गीडा में सीईटीपी स्थापित करने को लेकर अधिकारी अभी दावे ही कर रहे हैं। सीईओ संजीव रंजन का कहना है कि गीडा क्षेत्र के अडि़लापार में 12 एकड़ में 15 एमएलडी का सीईटीपी प्रस्तावित है। इससे गीडा के उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट सीधे आमी नदी में नहीं गिरेगा। सीईटीपी लगाने पर 80 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है। बजट के लिए नमामि गंगे प्राधिकरण से पत्राचार हो रहा है।

सीएम की सक्रियता से उम्मीदें कायम

तीन दशक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने नोएडा की तर्ज पर पूर्वांचल में औद्योगिक क्रांति के लिए गोरखपुर में गीडा की नींव रखी थी। फिलहाल गीडा में छोटे-बड़े 250 से अधिक फैक्ट्रियों में 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। नये उद्योगों के लिए जमीन के बाबत गीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव रंजन मार्च 2019 तक 150 एकड़ जमीन की उपलब्धता का दावा कर रहे हैं। हालांकि उनके पास पुख्ता मास्टर प्लॉन नहीं है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान में गीडा प्रशासन 500 रुपये वर्ग फीट की दर से जमीन मुहैया कराने का दावा कर रहा है। ऐसे में एक एकड़ जमीन की कीमत दो करोड़ से अधिक होगी। इतनी महंगी जमीन खरीदकर निवेश करना मुमकिन नहीं है। मुख्यमंत्री के समक्ष 1000 करोड़ रुपये के रिवाल्विंग फंड का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि सब्सिडी पर उद्योग लगाने को जमीन की उपलब्धता हो सके, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी।

हालांकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को गोरखपुर से जोडऩे वाले लिंक एक्सप्रेस के दोनों तरफ प्रस्तावित औद्योगिक गलियारे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रियता से उम्मीदें कायम हैं। मुख्यमंत्री ने औद्योगिक गलियारे के लिए प्रदेश के बजट में 1000 करोड़ का प्रावधान किया है। पिछले सप्ताह मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय की अध्यक्षता में हुई गीडा बोर्ड की बैठक में भी लिंक एक्सप्रेस के दोनों तरफ के 222 गांव में 10 हजार एकड़ जमीन अधिगृहित करने को लेकर मुहर लग गई। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद फोरलेन बन रहे हैं, बिजली आपूर्ति में भी सुधार हुआ है। महानगरों के लिए हवाई सेवाएं भी शुरू हुई हैं, लेकिन जमीन की उपलब्धता के बिना उद्योग लगाना संभव नहीं है। गीडा प्रशासन जमीन के नाम पर हाथ खड़े कर दे रहा है। प्रदेश सरकार को सब्सिडी पर जमीन और बिजली के साथ अन्य रियायत देनी होगी।

जमीन मांग रहे उद्यमी

गोरखपुर के आसपास के उद्यमी जो अन्य प्रदेशों में उद्योग स्थापित किये हुए हैं, वह जमीन की मांग कर रहे हैं। नोएडा में फोम की फैक्ट्री लगाने वाले वीरसेन सिंह का कहना है कि गीडा प्रशासन आज जमीन दे, हम कल निवेश करने को तैयार हैं। युवा उद्यमी निखिल जालान गीडा में 400 करोड़ की लागत से 80 हेक्टेयर में इन्ट्रीग्रेटेड स्टील प्लांट लगाने जा रहे हैं। उनका दावा है कि जमीन का विवाद खत्म हो चुका है, अक्तूबर 2020 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा। गीडा सीईओ संजीव रंजन का कहना है कि किसानों के साथ समझौता कर मार्च तक 150 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली जाएगी जिसके बाद 15 से अधिक उद्यमियों को जमीन उपलब्ध करा देंगे। लिंक एक्सप्रेस के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत 222 गांव में 10000 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन हो चुका है।

साल भर में सिर्फ एक हजार करोड़ का निवेश

इन्वेस्टर्स समिट में गीडा और आसपास के क्षेत्रों में उद्यमियों ने प्रदेश सरकार के साथ 12000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर एमओयू किया था। एक साल पूरा होने के बाद गीडा में 1000 करोड़ रुपये का भी निवेश नहीं हो सका है। उद्यमी एक बार फिर गुजरात, उत्तराखंड या फिर अन्य प्रदेशों में रुख करने की चेतावनी दे रहे हैं। निवेश प्रस्तावों को हकीकत की धरातल पर लाने के लिए गीडा प्रशासन को कम से कम 500 एकड़ जमीन की दरकार है। इसके उलट गीडा प्रशासन के पास उद्यमियों को देने को 10 एकड़ जमीन भी नहीं है। गोरखपुर के उद्यमी विनय अग्रवाल ने 135 करोड़ से फाइबर प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया था। गीडा के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री के समक्ष जमीन की दिक्कत बताते हुए उद्यम उत्तराखंड में शिफ्ट करने की बात कही थी। वहीं बथवाल ब्रदर्स ने यूपी के प्रमुख शहरों में दस होटल को लेकर 1000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था। उद्यमी पवन बथवाल का कहना है कि कई पत्रों के बाद भी जिम्मेदार जमीन देने में असमर्थ हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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