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लद्दाख में सैनिकों की आवाजाही नहीं होगी प्रभावित, मिलेगा ये ख़ास 'विंटर डीजल'
भारतीय सेना को लद्दाख की ठंड में डीजल जमने से होने वाली समस्या से निजात दिलाने के लिए देश की सबसे बड़ी तेल कपंनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन एक ख़ास डीजल उपलब्ध कराने वाली है। इस ख़ास डीजल का नाम है, 'विंटर डीजल'।
नई दिल्ली: लद्दाख में सीमा की सुरक्षा कर रहे भारतीय सैनिकों को बेहद काम तापमान या सर्दी में मुस्तैद रहना पड़ता है। सेना तो फिर भी -20 से 30 डिग्री के तापमान में भी डट कर खड़ी रहती है लेकिन इस भयानक ठंड में सामान्य डीजल काम करना बंद कर देता है और जमने लगता है। ऐसे में जवानों को आवाजाही में परेशानी होती है। लेकिन अब सेना को एक ख़ास किस्म का डीजल मिलने वाला है।
लद्दाख में भारतीय सेना के लिए ख़ास डीजल
भारतीय सेना को लद्दाख की ठंड में डीजल जमने से होने वाली समस्या से निजात दिलाने के लिए देश की सबसे बड़ी तेल कपंनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन एक ख़ास डीजल उपलब्ध कराने वाली है। इस ख़ास डीजल का नाम है, 'विंटर डीजल'।
क्या है विंटर डीजल
दरअसल, विंटर डीजल एक विशेष किस्म का ईंधन है। इसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने पिछले साल समुद्र तट से बेहद ऊंचे स्थानों के क्षेत्रों में इस्तेमाल के लिए बनाया है। ऐसे इलाके जहां का तापमान माइनस से 20 से 30 डिग्री तक नीचे होता है या बेहद सर्द होता है, वहां ये डीजल इस्तेमाल हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सामान्य डीजल का फ्लो ऐसे सर्द क्षेत्रों में बंद हो जाता है।
शून्य से 30 डिग्री नीचे के तापमान में करता है काम
भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्युरेंस (DGQA) से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने विंटर डीजल के इस्तेमाल की अनुमति मांगी है। IOC का दावा है कि ये विंटर डीजल शून्य से 30 डिग्री नीचे तक के तापमान में भी काम करेगा।
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विंटर डीजल में ऐसे तत्व मौजूद, जो गाढ़ापन करते हैं कम
बताया जा रहा है कि सामान्य डीजल की तुलना में विंटर डीजल में ऐसे तत्व मौजूद हैं जिससे इसका गाढ़ापन कम बना रहता है ताकि इंजन को ईंधन की बिना रुकावट सप्लाई होती रहे। ऐसे में डीजल माइनस से कम के तापमान में भी इस्तेमाल लायक होता है।
सामान्य तौर पर कम तापमान वाले क्षेत्र में डीजल में केरोसीन तेल मिलाते हैं ग्राहक
सामान्य तौर पर कम तापमान वाले क्षेत्र में डीजल में केरोसीन तेल मिलाया जाता है क्योंकि इससे डीजल पतला हो जाता है और बिना रुकावट काम करता है लेकिन इससे प्रदूषण ज्यादा होता था।
सेना इस्तेमाल करती है ये ईंधन
मौजूदा समय में भारतीय सेना IOC, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के हाई सल्फर पोर प्वाइंट (DHPP -W) का इस्तेमाल करती है। ये डीजल भी -30 डिग्री से कम तापमान में बह सकता है।
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