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सद्गुरु की पत्नी विजयकुमारी की ‘महासमाधि’ या ‘हत्या’ पर क्या है विवाद, जानें कुछ दावे
Sadhguru: कोयंबटूर में बने ईशा फॉउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव की पत्नी की मौत को लेकर लोगों में मन में कई सवाल है। साथ ही सद्गुरु के ऊपर भी इसको लेकर कई आरोप लगे हैं।
Sadhguru: मद्रास हाई कोर्ट में आज एक सुनवाई के दौरान सद्गुरु से सवाल पूछते हुए कोर्ट ने जब कहा, "हम जानना चाहते हैं कि एक शख्स जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से बसाया, वह दूसरों की बेटियों को अपना सिर मुंडवाने और संन्यासियों का जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित क्यों कर रहा है?'' तब से सद्गुरु लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए है। लोग उनके जीवन और उनसे जुड़े विवादों के बारे में जानना चाहते हैं। इसी बीच एक विवाद काफी लम्बे समय से सुर्ख़ियों में है कि सद्गुरु की पत्नी कौन थी? और उनकी मृत्यु कैसे हुई थी?
कौन थी सद्गुरु की पत्नी?
जग्गी वासुदेव जिन्हे वर्तमान में लोग सद्गुरु के नाम से बुलाते हैं उनकी पत्नी का नाम विजयकुमारी (विज्जी) था। सद्गुरु की पत्नी विजयकुमारी एक साधारण परिवार से थीं और उन्होंने सद्गुरु के साथ उनकी योगिक और आध्यात्मिक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सद्गुरु से विवाह के बाद विजयकुमारी को एक बेटी हुई थी। जिसका नाम राधे जग्गी है। राधे जग्गी जब छोटी थी तभी विजयकुमारी की मृत्यु हो गई थी। 1997 में विजयकुमारी का निधन हुआ, जिसे सद्गुरु ने "महासमाधि" कहा, जो योगिक परंपरा में शरीर का त्याग करने की एक उच्च अवस्था मानी जाती है। विजयकुमारी की महासमाधि को लेकर काफी विवाद और कानूनी सवाल भी उठे लेकिन बाद में इसपर कोई सबूत न होने की वजह से मामले को बंद कर दिया था। दरअसल कुछ लोगों का ऐसा मानना था कि विजयकुमारी की हत्या की गई है जबकि सद्गुरु के चाहने वालों में इसे महासमाधि ही मानी गई।
महासमाधि क्या है?
महासमाधि की बात करें तो कहा जाता है कि यह एक ऐसी क्रिया है जिसमें व्यक्ति सचेत रूप से और जानबूझकर अपने शरीर को छोड़ देता है। महासमाधि के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात जो कही गई है वो यह है कि हमारे देश में महासमाधि लेने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। महासमाधि लेने वाले व्यक्ति को दफनाने की प्रथा है। जबकि सद्गुरु की पत्नी विजयकुमारी के साथ ऐसा नहीं हुआ था। उन्हें सद्गुरु ने दफनाया नहीं था बल्कि उनका दाह संस्कार किया गया था। जिसके बाद से उनकी मृत्यु पर विवाद शुरू हो गया था। लोगों ने यह सवाल उठाया कि जब सद्गुरु ने ही कहा कि उनकी पत्नी ने महासमाधि ली है तो खुद उन्होंने ने ही विजयकुमारी का दाह संस्कार कैसे कर दिया?
विजयकुमारी के परिवार ने क्या लगाया था आरोप?
विजयकुमारी के निधन के समय उनके पिता ने सद्गुरु ने कहा था कि मेरे आने तक अंतिम संस्कार नहीं करना लेकिन जग्गी वासुदेव ने अपने ससुर के वहां पहुंचने का इंतजार नहीं किया और पत्नी का दाह संस्कार कर दिया था। बाद में विजयकुमारी के पिता ने मौत पर सन्देश जताते हुए कहा कि बेटी की मौत की वजह हत्या भी हो सकती है। उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने सारी बातें लिखी थी। (यह एफआईआर की कॉपी सोशल मीडिया से ली गई है)
सद्गुरु ने पत्नी की मौत पर क्या कहा था?
सद्गुरु ने अपनी पत्नी विजयकुमारी (विज्जी) की मौत को "महासमाधि" कहा, जो योगिक परंपरा में एक उच्च आध्यात्मिक अवस्था मानी जाती है। सद्गुरु ने कई बार अपनी पत्नी के निधन के बारे में बात की है। कहा है कि विजयकुमारी ने उनकी योग साधना और आध्यात्मिक यात्रा का गहराई से अनुसरण किया था। उन्होंने संकेत दिए थे कि वह महासमाधि की ओर बढ़ रही हैं। सद्गुरु ने बताया कि विजयकुमारी की मौत अचानक नहीं थी, बल्कि उन्होंने पहले से संकेत दे दिए थे कि वह इस प्रक्रिया से गुजरने वाली हैं। उनकी मृत्यु के दिन, सद्गुरु ने कहा कि उन्होंने खुद उन्हें इस प्रक्रिया की अनुमति दी थी। विजयकुमारी ने अपने शरीर का त्याग ईशा योग केंद्र में किया था। सद्गुरु का मानना था कि उनकी पत्नी ने अपने आध्यात्मिक अभ्यास के चरम पर पहुंचकर महासमाधि प्राप्त की। उनके अनुसार, यह साधारण मृत्यु नहीं थी बल्कि एक उच्च आध्यात्मिक अवस्था थी, जो केवल अत्यंत उच्च साधकों द्वारा प्राप्त की जाती है।
पिता की शिकायत पर क्या थी पुलिस की जांच
विजयकुमारी (विज्जी) की मौत पर पुलिस की जांच तब शुरू हुई जब कुछ संदेह और सवाल उठे थे। खासतौर पर विजयकुमारी के परिवार के तरफ से। उन्होंने विजयकुमारी की मौत को संदिग्ध बताया और इस पर जांच की मांग की थी। यह घटना 1997 में घटी थी, और इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने प्राथमिक जांच के तहत विजयकुमारी की मृत्यु के कारणों को समझने की कोशिश की थी लेकिन विजयकुमारी का तुरंत अंतिम संस्कार कर दिया गया था, जिसके कारण पुलिस पोस्टमार्टम नहीं करवा सकी। और बिना पोस्टमार्टम के मौत के सही कारणों का पता लगाना कठिन हो गया था। बाद में पुलिस जांच में किसी ठोस सबूत की कमी रही, और पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे कोई अपराध सिद्ध हो सके। और विजयकुमारी के निधन का मामला बंद हो गया था।