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Israel-Hamas War: खतरे के बावजूद इजरायल जा रहे भारतीय मजदूर, तेलंगाना से 905 की हुई भर्ती
Israel-Hamas War: इजरायल ने भारत से मजदूरों की भर्ती के लिए इस साल देश में तीसरा भर्ती अभियान चलाया। मजदूरों की तरफ से भी रेस्पोंस मिल रहा है।
Israel-Hamas War: इजरायल-हमास युद्ध के बीच भारत से लोग नौकरी करने के लिए इजरायल जाने से नहीं हिचक रहे हैं। दरअसल, फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के साथ चल रहे युद्ध के कारण इजरायल में श्रमिकों की काफी कमी हो गयी है क्योंकि इजरायल ने अपने यहाँ काम करने वाले हजारों फलस्तीनी मजदूरों को देश से बाहर कर दिया है। मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए भारत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना आदि राज्यों से ढेरों मजदूर इजरायल जा रहे हैं। ज्यादातर मजदूर निर्माण क्षेत्र के लिए हैं जिनमें राज मिस्त्री, प्लम्बर, वेल्डर आदि शामिल हैं।
भर्ती अभियान
इजरायल ने भारत से मजदूरों की भर्ती के लिए इस साल देश में तीसरा भर्ती अभियान चलाया। मजदूरों की तरफ से भी रेस्पोंस मिल रहा है क्योंकि इजरायल में उन्हें बढ़िया वेतन ऑफर किया गया है। तेलंगाना में हैदराबाद में चार दिन का भर्ती अभियान चला जिसके लिए 2,209 कंस्ट्रक्शन मजदूरों ने पंजीकरण कराया था। इन मजदूरों से कुछ टेस्ट लिए गए और 905 लोगों को इजरायल भेजने के लिए चुना गया। यह भर्ती अभियान राज्य सरकार द्वारा संचालित किया गया था और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इंटरनेशनल (एनएसडीसीआई) द्वारा इसे सहायता प्रदान की गई थी।
दोनों देशों में समझौता
भारत और इजरायल के बीच श्रमिकों को वहां भेजने के लिए एक समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत इस साल देश में आयोजित यह तीसरा भर्ती अभियान था। समझौते के मुताबिक इजरायल, भारत से मजदूरों को चुनेगा और उनके कौशल की जांच के बाद उन्हें वहां नौकरी की पेशकश करेगा। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इसी तरह के भर्ती अभियान आयोजित किए गए थे। उन दोनों अभियानों में नौ हजार से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। सख्त चयन प्रक्रिया के बाद उत्तर प्रदेश से 5,087 और हरियाणा से 530 उम्मीदवारों को नौकरी के लिए चुना गया था। अब इस तरह के भर्ती अभियान महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान में भी आयोजित होने की उम्मीद है।
भारत से अधिक वेतन
तेलंगाना में भर्ती किए गए मजदूर बढ़ई, सिरेमिक टाइलिंग, पलस्तर और लोहे को मोड़ने का काम करते हैं। युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाने वाले भारतीयों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण इजरायल के निर्माण उद्योग द्वारा दिया जाने वाला मोटा वेतन है। भर्ती टीम के मुताबिक प्रत्येक मजदूर 1.2 लाख से लेकर 1.38 लाख रुपये प्रति माह पाएगा, जो भारत में ऐसे कुशल श्रमिकों के लिए बाजार दरों से कई गुना अधिक है।
इजरायल अपनी घरेलू निर्माण जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी श्रमिकों की तलाश में है। इस साल की शुरुआत तक लगभग 80,000 फिलिस्तीनी इजरायल के निर्माण उद्योग में काम कर रहे थे। जैसे ही जनवरी में अरब देशों के साथ तनाव शुरू हुआ, इजरायल ने फिलिस्तीनियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए।
ट्रेड यूनियन को है आपत्ति
इससे पहले भारत में कई ट्रेड यूनियनों ने श्रमिकों को इजरायल भेजे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार से इस्राएल के साथ इस समझौते को खत्म करने की अपील की थी। श्रमिक संगठनों का कहना है कि मजदूरों को युद्ध क्षेत्र में भेजना जानबूझकर उनकी जान जोखिम में डालने जैसा है। लेकिन उस समय भारत सरकार ने कहा था कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारत के श्रमिकों के साथ बेहतर व्यवहार किया जाएगा, उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
10 हजार जायेंगे
इजरायल ने अपने निर्माण उद्योग के लिए विदेशी जनशक्ति का कोटा 30,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दिया गया है और इजरायली सरकार ने भारत से 10,000 श्रमिकों के आगमन को मंजूरी दी थी।
इजरायल बिल्डर्स एसोसिएशन (आईबीए) मेक्सिको, केन्या और मलावी जैसे अन्य देशों से भी श्रमिकों को नियुक्त करना चाहता है। बताया जाता है कि भारत के अलावा श्रीलंका और उज्बेकिस्तान में श्रमिकों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
भारतीय श्रमिक अपने काम में निपुण माने जाते हैं क्योंकि उनमें से कई पहले खाड़ी देशों में काम कर चुके हैं। उनमें से अधिकांश अंग्रेजी में धाराप्रवाह हैं और जिन लोगों ने खाड़ी में काम किया है वे अरबी भी जानते हैं, जो इजरायल के लिए एक बड़ा फायदा है।
बेरोजगारी भी वजह
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि 2022 में भारत में 29 प्रतिशत यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट बेरोजगार थे। यह दर उन लोगों की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है जिनके पास कोई डिप्लोमा नहीं है और आमतौर पर कम वेतन वाली नौकरियों या कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत की 1.4 अरब आबादी में से आधे से अधिक लोग 30 वर्ष से कम उम्र के हैं।