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ISRO: पहले नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ( इसरो) गुरुवार (31 अगस्त) शाम 7 बजे अपना 8वां रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च करेगा। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पेड से 'आईआरएनएसएस-1' की गुरुवार शाम 7 बजे लॉन्चिंग होगी। इसे पीएसएलवी-सी 39 की मदद से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा।
नई दिल्ली : इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ( इसरो) गुरुवार (31 अगस्त) शाम 7 बजे अपना 8वां रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च करेगा। खास बात यह है कि इसरो पहली बार प्राइवेट कंपनियों की मदद से बने अपने नैविगेशन सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजेगा।
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पेड से 'आईआरएनएसएस-1' की लॉन्चिंग होगी। इसे पीएसएलवी-सी 39 की मदद से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा।
इसरो के मुताबिक, आईआरएनएसएस-1 ए की एटॉमिक क्लॉक्स बंद पड़ गई है, जो भारतीय स्पेस मिशन में बड़ी समस्या साबित हो सकती है। बता दें कि इससे पहले रशियन ग्लोनास और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रोग्राम में भी यही परेशानी आई थी। इस कारण 1425 किग्रा का यह सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1 ए की जगह भेजा जा रहा है। मिशन रीडनेस रिव्यू (एमआरआर) कमिटी और लॉन्च अथॉराइजेशन बोर्ड (एलएबी) ने आईआरएनएसएस-1 के काउंटडाउन की अनुमति दी है।
आईआरएनएसएस का अहम योगदान
इसरो ने बताया कहा कि ऐसा पहली बार है जब सैटेलाइट बनाने में प्राइवेट कंपनियां सीधे तौर पर शामिल हुई हैं। आईआरएनएसएस-1 एच को बनाने में प्राइवेट कंपनियों का 25% योगदान रहा। गौरतलब है कि आईआरएनएसएस का पहला हिस्सा 1 जुलाई 2013 को लॉन्च किया गया था। इसका दूसरा हिस्सा अप्रैल 2018 में लॉन्च किया जाएगा।
जीपीएस की लेगा जगह
सैटेलाइट प्रोग्राम एक बार लॉन्च होने के बाद लोकेशन बेस्ड सर्विस जैसे कि रेलवे, सर्वे, इंडियन एयर फोर्स, डिजास्टर मैनेजमेंट और दूसरी अन्य चीजों में मददगार साबित होगी।। ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले समय में आईआरएनएसएस, जीपीएस की जगह लेगा। इंडियन एयर फोर्स भी अपने फाइटर प्लेन में जीपीएस की जगह आईआरएनएसएस लाने की तैयारी कर रहा है।