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भारत ने रचा इतिहास.... Aditya L1 का हेलो कक्षा में प्रवेश, वैज्ञानिकों को बधाई देने का लगा तांता, जानें किसने क्या कहा?

Aditya L1 Mission:

Viren Singh
Published on: 6 Jan 2024 7:01 PM IST (Updated on: 6 Jan 2024 8:52 PM IST)
भारत ने रचा इतिहास.... Aditya L1 का हेलो कक्षा में प्रवेश, वैज्ञानिकों को बधाई देने का लगा तांता, जानें किसने क्या कहा?
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Aditya L1 Mission: भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया सोलर मिशन आदित्य एल-1 शनिवार को हेलो कक्षा में प्रवेश करते हुए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और इतिहास रच दिया है। इसरो द्वारा सोलर मिशन में हतिहास रचने के बाद देश भर खुशियां को मौहाल छाया हुआ है। क्या खास क्या आम हर देशवासी अपने वैज्ञानिकों को इस कार्य के लिए बधाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस वक्त बधाई संदेश का अंबार लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई बड़े नेताओं ने आदित्य एल-1 हेलो ऑर्बिट में इंसर्ट होने पर इस मिशन पर लगे इसरो के वैज्ञानियों को बधाई दी हैं।

मोदी बोले- हम मानवता के लाभ के लिए…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

अंतरिक्ष की यात्रा में एक और मील का पत्थर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट पर लिखा कि अंतरिक्ष के माध्यम से भारत की यात्रा में एक और मील का पत्थर!! हमारी पहली सौर वेधशाला #AdityaL1 अंतरिक्ष में अपने गंतव्य तक पहुंची। यह इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है जो हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के माध्यम से मानव कल्याण प्राप्त करने के हमारे सभ्यतागत लक्ष्य के करीब ले जाती है। हमारे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और हमारे देश के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई।

मून वॉक से लेकर सन डांस तक

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लिखा कि मून वॉक से लेकर सन डांस तक! भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है। AdityaL1 सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

अंतरिक्ष इंजीनियरों के लिए असाधारण उपलब्धि

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत अब गर्व से सूर्य की ओर देख रहा है! मैं भी अपने ISRO के समर्पित वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष इंजीनियरों द्वारा एक असाधारण उपलब्धि का जश्न मनाने में देश के साथ शामिल हूं। भारत की पहली सौर ऑब्जर्वेटरी #AdityaL1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है. भारत ने सूर्य तक अपनी यात्रा 2006 में शुरू की, जब हमारे वैज्ञानिकों ने सूर्य के लिए एक ही उपकरण के साथ एक सौर ऑब्जर्वेटरी का प्रस्ताव रखा। जुलाई 2013 में इसरो ने आदित्य-एल1 मिशन के लिए सात पेलोड का चयन किया था यह उपलब्धि हमारे संस्थापकों की दूरदर्शिता, प्रतिबद्धता और ईमानदार प्रयासों का प्रमाण है जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाए।

जैसा अनुमान लगाया वैस ही हुआ, हैं हम बहुत खुश

वहीं, आदित्य एल-1 के हेलो कक्षा में प्रवेश करने के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी व्यक्त की। सूर्य के निकट इसरो के उपग्रह की यात्रा के सफल समापन पर सोमनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इसलिए यह हमारे लिए बहुत संतोषजनक है क्योंकि यह एक लंबी यात्रा का अंत है। लिफ्ट-ऑफ से लेकर अब तक 926 दिन बाद यह अंतिम बिंदु पर पहुंच गया है। इसलिए अंतिम बिंदु तक पहुंचना हमेशा एक चिंताजनक क्षण होता है, लेकिन हम इसके बारे में बहुत आश्वस्त थे। तो जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ। हम बहुत खुश थे। भारत ने अंतरिक्ष में एक और इतिहास रच दिया है.

जानिए क्या है Aditya L1 ?

Aditya सैटेलाइट L1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में स्थापित होने बाद अपनी आखिरी यात्रा खत्म कर ली है। सोलर मिशन Aditya -L1 को इसरो ने 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया था। इस मिशन में 400 करोड़ रुपए खर्च किये गए। आदित्य-एल-1 को पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में स्थापित किया था। ‘आदित्य एल-1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल-1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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