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Aditya L-1 Mission: ISRO को सबसे जटिल अंतरिक्ष अभियान में मिली सफलता, कहां रुकेगा- क्या करेगा? जानें Aditya-L1 से जुड़े 10 अहम सवालों के जवाब
Aditya-L1 के अपने आर्बिट में पहुंचने के बाद इसको को चंद्रयान मिशन के बाद आज बड़ी सफलता मिली है। अब इसरो का प्रोब L-1 प्वाइंट पर पहुंच गया है। अब Aditya-L1 अपनी गंतव्य तक पहुंच गया है तो इससे जुडे कई सवाल आपके मन में चल रहे होंगे।
Aditya L-1 Mission: Aditya-L1 के अपने आर्बिट में पहुंचने के बाद इसको को चंद्रयान मिशन के बाद आज बड़ी सफलता मिली है। अब इसरो का प्रोब L-1 प्वाइंट पर पहुंच गया है। अब Aditya-L1 अपनी गंतव्य तक पहुंच गया है तो इससे जुडे कई सवाल आपके मन में चल रहे होंगे। जैसे ये कहां पहुंचा? इस प्रोजेक्ट पर कितना खर्च हुआ था? यह वहां क्या काम करेगा? ऐसे 10 सवालों के जानिए जवाब...
1-यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है कि क्या Aditya-L1 सूर्य पर उतरा हैै?
इसका जवाब है नहीं... आदित्य सोलर प्रोब L-1 प्वाइंट पर पहुंचा है। जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूरी पर है। जबकि पृथ्वी से सूर्य की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है। बता दें कि सूरज की सतह पर कोई भी यान उतर नहीं सकता है। सूर्य पर इतनी एनर्जी है कि वह वहां पहुंचने से पहले ही जलकर खाक हो जाएगा।
2-...तो इसरो का सोलर प्रोब कहां जाकर रुका है?
3- पृथ्वी से कितनी दूरी पर जाकर रुका है?
Aditya स्पेसक्राफ्ट L1 प्वाइंट पर पहुंच गया है। जो धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
4-पृथ्वी से L-1 प्वाइंट पहुंचेने में इसे कितना दिन लगा?
बता दें कि 2 सितंबर 2023 को लॉचिंग के बाद Aditya L-1 16 दिनों तक तो धरती के चारों तरफ चक्कर ही लगाता रहा। इस दौरान पांच बार ऑर्बिट बदला गया ताकि इसे सही स्पीड मिल सके और यह अपनी मंजिल तक पहुंच सके। फिर आदित्य एल-1 को ट्रांस-लैरेंजियन 1 ऑर्बिट में भेजा गया। उसके बाद यहां से 109 दिन की लंबी यात्रा शुरू हुई।
Aditya जैसे ही L-1 पर पहुंचा, उसकी एक ऑर्बिट मैन्यूवरिंग कराई गई ताकि L-1 प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में चक्कर लगाता रहे। कुल मिलाकर इसरो को इस मिशन में 127 दिन लगे हैं।
5-आदित्य एल-1 प्वाइंट कहां घूमता रहेगा?
आदित्य सैटेलाइट एल-1 प्वाइंट पर पहुंच गया है। इस प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद सोलर हैलो ऑर्बिट (Solar Halo Orbit) में तैनात हो चुका है। यह यहीं पर चक्कर लगाता रहेगा। बीच-बीच में इसकी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग होती रहेगी।
6. कितने दिन करेगा काम?
Aditya L-1 मिशन की कुल लाइफ 5 साल 2 महीने की है, जिसमें से 127 दिन तो समाप्त हो चुके हैं। यह भी कोई जरूरी नहीं है कि ये इतने दिन ही काम करे। यह इससे अधिक या कम भी काम कर सकता है।
7- इस दौरान क्या-क्या अध्ययन करेगा?
Aditya-L-1 सौर तूफानों के आने के कारण, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है। आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की, सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा। आदित्य सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा।
8-अभी कौन-कौन से देश यहां पहुंचे हैं?
बता दें कि अभी अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के चार सैटेलाइट्स सूर्य की स्टडी कर रहे हैं। ये सैटेलाइट्स हैं- WIND, Advanced Composition Explorer (ACE), Deep Space Climate Observatory (DSCOVER) और नासा-ESA का ज्वाइंट मिशन सोहो यानी सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जरवेटरी है। सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जरवेटरी है। इसरो ऐसा करने वाली दुनिया की तीसरी स्पेस एजेंसी है।
9-सवाल ये भी क्या इससे भी कोई आगे गया है?
बता दें नासा के कई मिशन सूरज के बगल से निकले हैं। इस साल बहुत जल्द पार्कर सोलर प्रोब सूरज के बगल से निकलेगा।
10-अब सवाल आदित्य मिशन पर इसरो ने कितना खर्च किया?
इसरो के आदित्य एल-1 मिशन का कुल लागत 378 करोड़ रुपए थी। इसमें लॉन्चिंग का खर्चा शामिल नहीं है। लेकिन इस पर कुल मिलाकर करीब 400 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है।