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ISRO New Chief : जानिए कौन हैं डॉ. वी. नारायणन, जिन्हें सीधे पीएमओ से फोन आया और मिल गई बड़ी जिम्मेदारी
ISRO New Chief : डॉ. वी. नारायणन, 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े थे, यहां निदेशक से पहले उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया है। वर्ष 2018 में उन्हें लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) का निदेशक बनाया गया था।
ISRO New Chief : केंद्र सरकार ने लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक डॉ. वी. नारायणन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वह 14 जनवरी को वर्तमान इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे। उनकी नियुक्ति नियुक्ति 14 जनवरी से दो साल की अवधि के लिए रहेगी। बताया जा रहा है कि नियुक्ति की जानकारी उन्हें सबसे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से मिली थी, उन्हें पीएमओ कार्यायल ये फोन आया था।
बता दें कि डॉ. वी नारायणन का जन्म कन्याकुमारी जिले में नागरकोइल के पास मेलाकट्टू गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती एजुकेशन अपने गांव में ही पूरी की है। डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग (DME) में फर्स्ट रैंक हासिल की थी। उन्होंने साल 1989 में आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजनिक इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में 2001 में डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की। उन्होंने निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी लगभग डेढ़ साल तक कार्य किया था।
1984 में जुडे़ थे
वह 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े थे, यहां निदेशक से पहले उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया है। वर्ष 2018 में उन्हें लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) का निदेशक बनाया गया था। उन्होंने अपने शुरुआती कॅरियर के दौरान ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी) और रोहिणी साउंडिंग रॉकेट के लिए सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम बनाने में मदद की थी।
एलपीएससी में बिताया पूरा कॅरियर
उन्होंने अपना पूरा करियर तिरुवनंतपुरम स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) में बिताया है। रॉकेट इंजन और प्रणोदन डिजाइनों को विकसित करने में विशेष रुचि रखने वाले डॉ. वी. नारायणना को इसरो का 11वां अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो एस सोमनाथ का स्थान लेंगे। डॉ. वी. नारायणन साल 1984 में इसरो में शामिल हुए थे। उस समय उन्हें फाइबर-ग्लास डिवीजन में नियुक्त किया गया था।
भारत को क्रायोजनिक तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने के पीछे डॉ. वी. नारायणन का नाम भी शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने चंद्रयान-2 की विफलता के बाद चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए किए जाने वाले सुधारों की सिफारिश की थी।