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Nambi Narayanan: कब मिलेगा साइंटिस्ट नंबी नारायणन को न्याय? जानें क्या है ISRO जासूसी मामला

Nambi Narayanan Framing Case में सीबीआई ने कहा, जिस साइंटिस्ट को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख का मुआवजा दिया, उन्हें न्याय कब मिलेगा?

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Written By aman
Published on: 2 Dec 2022 2:23 PM IST (Updated on: 2 Dec 2022 2:25 PM IST)
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साइंटिस्ट नंबी नारायणन (Social Media)

Scientist Nambi Narayanan Framing Case: इसरो के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) को झूठे मामलों में फंसाने के आरोपियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय (SC onNambi Narayanan Framing Case) ने इस केस के आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले, केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) की तरफ से आरोपियों को अग्रिम जमानत दी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।

आपको बता दें, स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन (Indigenous Cryogenic Engine) बनाने में जुटे इसरो साइंटिस्ट नंबी नारायण को जासूसी के झूठे मामलों में फंसाया गया था। फिलहाल, शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट से जमानत पर नए सिरे से विचार करने को कहा है। गौरतलब है कि, बीते दिनों नंबी नारायणन पर आर. माधवन अभिनीत एक फिल्म Rocketry आई थी। जिसमें उनकी दर्द भरी कहानी रुपहले पर्दे पर दिखाई गई थी। देशों ने इस फिल्म को खूब सराहा था।

क्या है मामला?

वर्ष 1994 में इसरो के मशहूर साइंटिस्ट नंबी नारायणन (ISRO Scientist Nambi Narayanan) को जासूसी के झूठे केस में फंसाया गया था। नंबी नारायणन के झूठे केस में फंसाने से भारत के क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन हासिल करने के प्रयासों को जोरदार झटका लगा था। इस वजह से कई सालों की देरी हो गई। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व जज डीके जैन (DK Jain) की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस पूरे मामले की जांच की। जांच में पाया गया कि पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के पांच पूर्व अधिकारी इस साज़िश में शामिल थे। इसी रिपोर्ट के आधार पर शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल 2021 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से मुकदमा दर्ज करने को कहा था।

CBI ने सुप्रीम कोर्ट में की थी अपील

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (central bureau of investigation) ने सर्वोच्च अदालत को बताया था, कि उसने जब केस दर्ज किया उसके बाद एक-एक कर पांचों अधिकारियों को केरल हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी। ये पांचों अधिकारी थे, सिबी मैथ्यूज (sibi mathews), पी एस जयप्रकाश (P S Jayaprakash), आर बी श्रीकुमार (R B Sreekumar), थंपी एस दुर्गा दत्त (Thampi S Durga Dutt) और विजयन (Vijayan)।केरल हाईकोर्ट ने तब इसे पुराना मामला बताकर सभी आरोपियों को अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) दी। साथ ही ये भी कहा, कि इन अधिकारियों के विदेशी ताकतों से संपर्क के सबूत नहीं हैं। सीबीआई ने बताया, इस तरह जांच को किसी नतीजे तक पहुंचा पाना कठिन होगा।

नंबी नारायणन को कब मिलेगा न्याय?

सीबीआई ने ये भी कहा था कि, जिस वैज्ञानिक को भारत सरकार ने पद्म भूषण (Nambi Narayanan Padma Bhushan) से सम्मानित किया। सुप्रीम कोर्ट ने 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया, उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। इस पर जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामला वापस केरल हाई कोर्ट भेज दिया। शीर्ष अदालत ने कहा है, कि हाई कोर्ट पहले की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना दोबारा सुनवाई करे। साथ ही, बेंच ने हाई कोर्ट को चार हफ़्तों के भीतर सुनवाई पूरी करने को कहा। अगले 5 हफ्ते तक या हाई कोर्ट का फैसला आने तक इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी। लेकिन, सवाल जस का तस है कि आखिर इसरो साइंटिस्ट नंबी नारायणन को न्याय कब मिलेगा?



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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