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ISRO SSLV Rocket: इसरो ने लॉंच किया SSLV-D2 रॉकेट, कक्षा में स्थापित होंगे तीन उपग्रह, जानिए खासियत

ISRO SSLV Rocket: इसरो ने सुबह 9.18 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D2) के दूसरे संस्करण को लॉन्च किया।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 10 Feb 2023 10:11 AM IST
ISRO SSLV Rocket
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File Photo of ISRO SSLV Rocket (Pic: Social Media)

ISRO SSLV Rocket: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी शुक्रवार को सुबह 9.18 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D2) के दूसरे संस्करण को लॉन्च किया। इसरो ने कहा कि नया रॉकेट अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान तीन उपग्रहों - इसरो के EOS-07, अमेरिका स्थित फर्म Antaris 'Janus-1, और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप SpaceKidz's AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा।

आर्बिट में स्थापित हुए तीन उपग्रह

इसरो ने कहा कि नया रॉकेट अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान तीन उपग्रहों - इसरो के EOS-07, अमेरिका स्थित फर्म Antaris 'Janus-1, और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप SpaceKidz's AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा। इसरो के अनुसार, एसएसएलवी 'लॉन्च-ऑन-डिमांड' के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है। रॉकेट अंतरिक्ष के लिए कम लागत वाली पहुंच प्रदान करता है, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन प्रदान करता है।

जानें एसएसएलवी की खासियत

SSLV एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला वाहन है, जिसका भार 120 टन है। रॉकेट को तीन ठोस प्रणोदन चरणों और एक वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है। 8 फरवरी को ISRO ने ट्वीट किया "SSLV-D2/EOS-07 मिशन लॉन्च 10 फरवरी, 2023 को श्रीहरिकोटा से 09:18 बजे IST के लिए निर्धारित है। EOS-07, Janus-1 और AzaadiSAT-2 उपग्रहों को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में इंजेक्ट करेगा।

पहली उड़ान में फेल हो गया था एसएसएलवी

एसएसएलवी की पहली उड़ान पिछले साल 9 अगस्त को विफल हो गई थी, जब प्रक्षेपण यान के ऊपरी चरण में वेग में कमी के कारण उपग्रह को अत्यधिक अण्डाकार अस्थिर कक्षा में स्थापित किया गया था। इसरो के अनुसार विफलता की जांच से यह भी पता चला कि दूसरे चरण के अलगाव के दौरान इक्विपमेंट बे (ईबी) डेक पर एक छोटी अवधि के लिए कंपन की गड़बड़ी थी।



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