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Aditya L-1: इसरो की बड़ी कामयाबी, अंतरिक्ष यान पर सफलतापूर्वक तैनात किए मैग्नेटोमीटर सेंसर

Aditya L-1: इसरो ने आदित्य एल-1 उपग्रह पर मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्व तैनात कर लिया है। इसका मकसद अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापना है। अंतरिक्ष यान को पिछले साल दो सितंबर को लॉन्च किया गया था।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 26 Jan 2024 8:51 PM IST
Aditya L-1: Big success of ISRO, magnetometer sensor successfully deployed on spacecraft
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आदित्य एल-1: इसरो की बड़ी कामयाबी, अंतरिक्ष यान पर सफलतापूर्वक तैनात किए मैग्नेटोमीटर सेंसर: Photo- Social Media

Aditya L-1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य एल-1 उपग्रह पर मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्व तैनात कर लिया है। इसे इसरो की बड़ी सफलता माना जा रहा है। इसका मकसद अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापना है। यह मैग्नोमीटर बूम छह मीटर लंबा है। इसे 11 जनवरी को एल-1 प्वाइंट पर हेलो कक्ष में तैनात किया गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि आदित्य एल-1 के लॉन्च के बाद से बूम स्थिर स्थिति में था।

इसरो के मुताबिक, बूम में उच्च सटीकता वाले दो अत्याधुनिक फ्लेक्सगेट मैग्नोमीटर सेंसर लगे हैं, जो अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापते हैं। ये सेंसर अंतरिक्ष यान से तीन और छह मीटर की दूरी पर लगाए गए हैं। इतनी दूरी पर ये सेंसर स्थापित करने से अंतरिक्ष यान के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव कम हो जाता है।

कार्बन फाइबर से बनाया गया है

इसरो के मुताबिक, इन सेंसर का इस्तेमाल करने से इस प्रभाव का सटीक अनुमान लगाने में मदद मिलती है। यह सेंसर प्रणाली अंतरिक्ष यान के चुंबकीय प्रभाव को कम करने की सुविधा प्रदान करती है। एजेंसी ने बताया कि बूम को कार्बन फाइबर से बनाया गया है। यह सेंसर के लिए इंटरफेस के रूप में काम करता है।

Photo- Social Media

दो सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था

सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला मिशन आदित्य एल-1 धरती से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर एल-1 प्वाइंट पर सफलतापूर्वक पहुंचा था। जिससे अंतरिक्ष यान 127 दिन बाद तक सूर्य को देखने में सक्षम हो पाया। अंतरिक्ष यान दो सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। एल-1 प्वाइंट में सौर आकाशलोचन (सोलार ऑब्जर्वेटरी) का मकसद निरंतर सूर्य के क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल डायनेमिक्स का स्टडी करना था।



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Shashi kant gautam

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