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Jagannath Rath Yatra 2022: आज से शुरू जगन्नाथ रथ यात्रा, देखें तस्वीरों में भव्य नजारा

Jagannath Rath Yatra 2022: 1 जुलाई यानी आज से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है। 12 जुलाई तक चलने वाली इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है।

Vidushi Mishra
Published on: 1 July 2022 12:54 PM IST
Lord Shri Jagannath
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Lord Shri Jagannath (फोटो- सोशल मीडिया)


Jagannath Rath Yatra 2022: 1 जुलाई यानी आज से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है। 12 जुलाई तक चलने वाली इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है। इस पावन सुअवसर पर भगवान का रथ खींचकर भगवान को खुश करने के लिए लाखों भक्त पुरीधाम पहुंच चुके हैं। पुरी में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पूरी यात्रा शांतिपूर्ण कराने के लिए सुरक्षा के कई पुख्ता इंतजाम किए हैं।

भगवान जगन्नाथ की आज बड़े धूम-धाम से पूजा अर्चना की जाती है। जगन्नाथ शब्द जोकि दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें पहला शब्द जग जिसका अर्थ है ब्रह्मांड और दूसरा शब्द नाथ जिसका अर्थ है भगवान जो 'ब्रह्मांड के भगवान' हैं।


शुभ मुर्हुत

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा: शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

द्वितीया तिथि शुरू: 30 जून, 2022 सुबह 10:49 बजे

द्वितीया तिथि समाप्त: जुलाई 01, 2022 01:09

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष जगन्ना​थ रथ यात्रा का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से होता है। जोकि 9 दिनों की होती है। इन नौ दिनों में 7 दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में रहते हैं।


ऐसी कहावत है कि वहां पर उनकी मौसी का घर है। जिसकी वजह से पारंपरिक तौर पर रथ यात्रा के पहले दिन तीनों रथों को गुंडिया मंदिर ले जाया जाता है। इन रथों को मोटे रस्सों से खींचा जाता है।

मान्यता ये भी है कि यात्रा में जुलूस के दौरान अपने भगवान के रथों को खींचने से भक्तों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा के साथ भक्त ढोल की थाप की ध्वनि के साथ गीत और मंत्रों का जाप करते हैं। बता दें, जगन्नाथ रथ यात्रा गुंडिचा यात्रा, रथ महोत्सव, दशावतार और नवदीना यात्रा के रूप में भी मशहूर है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहते है। इस रथ की ऊंचाई 45.6 फुट होती है। भगवान बलराम के रथ का नाम ताल ध्वज और उंचाई 45 फुट होती है। जबकि सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फुट ऊंचा होता है। बता दें, अक्षय तृतीया से नए रथों का निर्माण शुरू हो जाता है। हर साल नए रथों का निर्माण किया जाता है। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो ये है कि इन रथों को बनाने में किसी भी प्रकार के कील या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है।



Vidushi Mishra

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