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अचानक सद्‍गुरु जग्गी वासुदेव में जगा पर्यावरण प्रेम, जानिए क्यों

Rishi
Published on: 3 Sept 2017 4:48 PM IST
अचानक सद्‍गुरु जग्गी वासुदेव में जगा पर्यावरण प्रेम, जानिए क्यों
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योगेश मिश्र योगेश मिश्र

लखनऊ। बाबाओं के निरंतर खुलती पोल-पट्टी और उस पर होती कार्रवाई ने अब बाबाओं को पीएम शरणम गच्छामि बनने पर मजबूर करना शुरू कर दिया है। धर्मगुरु जग्गी वासुदेव इन दिनों यही करते दिख रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नमामि गंगे अभियान के तहत उनकी निकटता हासिल करने की जुगत तेज कर दी है।

आज ही उन्होंने कोयंबटूर से ‘रैली फार रिवर’ की शुरुआत की है, जिसके तहत वह कोयंबटूर से दिल्ली तक कारों का काफिला लेकर गांधी जयंती पर पहुंचने वाले हैं। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात बाबा के समर्थकों के मुताबिक तय है। जहां वह प्रधानमंत्री को नदी नीति का दस्तावेज पेश करेंगे। मिस्ड कॉल के लिए बाबा की ओर से 8000980009 नंबर जारी किया गया है।

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जग्गी वासुदेव का यह दस्तावेज सिर्फ 4 पेजों का है जो मोटे तौर पर यह कहता है कि नदी के किनारे पेड़ लगाइए। नतीजतन, प्रवाह तेज हो जाएगा, कटान रुक जाएगा। अपनी यात्रा के दौरान जग्गी वासुदेव 26 शहरों में रैलियां करेंगे। पहले सिर्फ 24 शहर थे। उनकी यह यात्रा 30 दिन चलेगी। अपनी यात्रा को लोक समर्थक बनाने के लिए बाबा जग्गी वासुदेव ने लोगों को मिस्ड कॉल देकर रैली फार रिवर का हिस्सा बनने को कहा है।

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उन्हें उम्मीद है कि तकरीबन 30 करोड़ लोगों का मिस्ड कॉल वह इस यात्रा के दौरान हासिल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे सकेंगे। अपनी यात्रा को लेकर जग्गी वासुदेव खासे उत्साहित हैं। पूरी यात्रा में वह खुद अपनी गाड़ी चलाएंगे।

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ड्राइविंग बाबा का पैशन भी है। उन्हें काफी लोग मोटर साइकिल वाले बाबा के नाम से जानते हैं। मोटर साइकिल से बाबा ने लंबी यात्राएं की हैं। आज जहां उनका आश्रम है वहां वह पहले मोटर साइकिल से कई बार आते-जाते रहे हैं। हालांकि यह जगह खासी पहाड़ी पर है। बाबा स्टंट के भी माहिर हैं। लैंड रोवर इन दिनों उनकी पसंदीदा गाड़ी है। मोटर साइकिल से उतर कर बाबा ने मारुति की सवारी की। हालांकि अब तो बाबा ने हेलीकाप्टर चलाना भी सीख लिया है।

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शुरुआती जीवन में पोल्टी फार्म खोलकर अपना जीवन यापन करने वाले जग्गी वासुदेव 23 सितंबर 1982 को अचानक गायब हो गए। बाद में वह चामुंडी पहाड़ी पर मिले। एक चट्टान पर 4.30 घंटे बैठे-बैठे उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान हो गया। तब से वह धर्म में रम गए। कोयंबटूर के जंगलों में बाबा के ईशा फाउंडेशन का आश्रम है, जिसकी पहुंच दुनिया के 150 देशों में बताई जाती है।

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बाबा वैसे तो नशा और मांस भक्षण के खिलाफ हैं। लेकिन वह सी फूड का विरोध नहीं करते हैं। वे इनर इंजिनीयरिंग: ए योगी गाइड टू जोवए नामक बेस्ट सेलर किताब लिख चुके हैं। बाबा ने जो आश्रम बनाया है वह जंगल की जमीन पर है। उन पर अवैध कब्जे का आरोप है। मामला अदालत में है। उन्होंने पहाड़ों पर आश्रम बनाने के लिए कोई सरकारी अनुमति भी नहीं ली है।

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बीते 25 फरवरी, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके आश्रम गए थे। जहां बाबा ने प्रधानमंत्री से भगवान शिव की 112 फिट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करवाया। बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जीएसटी पर अधिकारियों की बैठक भी संबोधित की। दिल्ली में काले धन पर उनका आध्यात्मिक समागम भी कराया गया। 23 जनवरी, 1997 को बाबा की पत्नी का संदिग्ध मौत हो गई थी। उनके मौत के 8 माह बाद बाबा पर केस दर्ज हुआ, मगर डीजीपी ने उन्हें गिरफ्तार करने से मना कर दिया।

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बाबा के एक सहयोगी का कहना है कि एक फर्जी बैंकर के नाते बाबा को इस झूठे मामले में फंसाया गया। जबकि बाबा अपने समर्थकों को बताते हैं कि उनकी पत्नी ने ध्यान लिंगा नामक साधना के समय शरीर छोड़ा था।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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