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आइए! इतिहास के झरोखे से देखें #TripleTalaq का एक किस्सा

Rishi
Published on: 22 Aug 2017 9:33 PM IST
आइए! इतिहास के झरोखे से देखें #TripleTalaq का एक किस्सा
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नई दिल्ली: इस्लामी कानून में तलाक शौहर का विशेषाधिकार होता है, मगर तब, जब निकाहनामे में अलग बातें न जोड़ी गई हों। हालांकि मुगलों के दौर में भी तलाक के इक्के-दुक्के मामले सामने आए हैं। इसका एक दिलचस्प ऐतिहासिक वाकया भी है।

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मजलिस-ए-जहांगीर में 20 जून, 1611 को बादशाह जहांगीर ने बीवी की रजामंदी के बिना शौहर द्वार दिए गए तलाक को अवैध बताया और वहां हाजिर काजी ने इसकी इजाजत दी। यूं तो तीन तलाक 1400 साल पुरानी प्रथा है, जिसमें मुस्लिम पुरुष, तीन बार तलाक कहकर अपनी शादी से अलग हो सकता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में कई ऐसे प्रकरणों ने सबको चौंका दिया, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को स्काइप के जरिए, कागज पर लिख कर या फिर एसएमएस के जरिये तलाक दे दिया गया।

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निश्चित रूप से यह मुस्लिम महिलाओं के हक में नहीं है। बहुत से मुस्लिम देशों में यह प्रतिबंधित है। मिस्र पहला देश है, जहां 1929 में ही प्रतिबंधित किया गया, जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, इराक, श्रीलंका, यूएई, अफगानिस्तान, तुर्की, लीबिया, मलेशिया और कुवैत भी इन पर प्रतिबंध है।

जाहिर इंसाफ के लिए पीड़िताएं खुद सामने आईं, सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाईं, जिसने इन्हें अंतत: मुकाम तक पहुंचाया और करोड़ों भारतीय मुस्लिम महिलाओं के मानवीय, नैतिक, सामाजिक अधिकारों का संरक्षण कर, इंसाफ की राह पुख्ता की।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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