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पाखंडी बाबा : चेले भी हुए पराए, छोड़ा फलाहारी बाबा का साथ

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Published on: 28 Sep 2017 1:49 PM GMT
पाखंडी बाबा : चेले  भी हुए पराए, छोड़ा फलाहारी बाबा का साथ
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कपिल भट्ट

जयपुर: लगता है कि हरि कथा अनन्ता की तरह ही भारत में कलंकी बाबाओं की कथा भी अनन्त है। बाबा गुरमीत राम रहीम की कथा अभी सुर्खियों में बनी ही हुई थी कि राजस्थान के अलवर शहर में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की 21 साल की एक लड़की के यौन शोषण मामले में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया। बाबा को फिलहाल 15 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। बाबा का दावा था कि उसके लाखों शिष्य हैं मगर इस प्रकरण के बाद उनके साथ कोई भी शिष्य नहीं दिखा।

आश्रम से मिले महिलाओं से जुड़ी सामग्रियां

एसीजेएम-3 के जज प्रवीण कुमार मिश्रा ने आदेश में लिखा कि अभियुक्त पर जिस प्रकार का आरोप है, उससे संतों, बाबा व संन्यासियों के प्रति धार्मिक आस्था को आघात पहुंचना स्वाभाविक है। ऐसे अपराध में अभियुक्त को जमानत दी गयी तो समाज में विपरीत संदेश जाएगा। अलवर एसपी राहुल प्रकाश के मुताबिक मामले की पूरी गंभीरता से सभी पक्षों से जांच की गई। उसके बाद ही गिरफ्तारी की गई है। बाबा का स्वास्थ्य पूरी तरह से फिट है। पुलिस को आश्रम से जड़ी बूटी, दवाइयां, लैपटप, सीडी, पायल, महिलाओं से संबंधित कई आइटम मिले हैं।

कौशांबी का रहने वाला है बाबा

बाबा का दावा था कि अलवर शहर सहित देश में उसके लाखों शिष्य हैं, लेकिन यौन शोषण का आरोप लगने के बाद शिष्यों ने भी उससे किनारा कर लिया। निजी अस्पताल से लेकर जेल यात्रा तक बाबा के साथ कोई शिष्य नहीं दिखा।

फलाहारी बाबा उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के पास कौशांबी के डकशरीरा (महेवाघाट) गांव का रहने वाला हैं। इसका असल नाम शिव पूजन मिश्रा है।

करीब 30 साल पहले घर छोड़ा, संत बना तो जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य नाम रख लिया। कहा जाता है कि वह सिर्फ फल खाता है और गंगाजल पीता है। इसलिए फलाहारी महाराज नाम से जाना जाने लगा। फलहारी बाबा ने अलवर में आश्रम बना लिया। इंटरमीडियट में था, तभी घर वालों ने शादी कर दी थी। एक बेटी भी है, जिसकी शादी कर चुका है। छोटा भाई रामनारायण गांव में ही रहते हैं।

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इंटर पास है फलाहारी बाबा

बाबा ने अपना घर 30 साल पहले ही छोड़ दिया था। बाबा खुद 12वीं पास हैं, लेकिन आईएएस, आईपीएस और जज बनाने का दावा करते हुए खुद सलाखों के पीछे चले गए। बाबा इंटरमीडिएट के बाद आईटीआई भी किया है। घर से निकलने के कई दिनों बाद गांव के लोगों ने बताया था कि वह कुंभ मेले में हैं और संत बन गया है। इसके बाद जब लोग गए तो बाबा से मिले। अक्सर गांव के लोग उससे कुंभ में ही मिलते थे। डकशरीरा में बाबा का घर आज भी कच्चा छप्पर का बना हुआ है।

यहां लोगों की सुबह से शाम तक भीड़ बनी रहती है। इनके पिता का नाम राम शिव पूजन था। ताज्जुब की बात यह है कि माता-पिता की सेवा करने का पाठ पढ़ाने वाले फलाहारी खुद की मां स्वर्गीय सरस्वती देवी और पिता स्वर्गीय राम शिव की मृत्यु होने पर भी नहीं गया। छोटे भाई रामनारायण अपने परिवार के साथ गांव में ही रहते हैं खेतीबाड़ी करते हैं। इनकी पत्नी का नाम निर्मला है व एक बेटी माया है, जिसकी शादी बाबा ने ही की है।

महिलाओं को जड़ी-बूटी देता था बाबा

फलाहारी बाबा की गिरफ्तारी के बाद नए तथ्य सामने आए हैं। बाबा मशीनों को संभालने के बजाय मंत्र संभालने में लग गए और वे सभी मंत्र अब बाबा पर ही उल्टे पड़ गए। दरअसल फलाहारी बाबा के पास आईटीआई की डिग्री है। बाबा तो किसी को छूते तक नहीं थे, डंडे से ही आशीर्वाद देते थे। अब तक सामने आई बातों के मुुताबिक डंडे से दिन में आशीर्वाद देने के बाद बाबा रात में तेल मालिश और पैर दबवाता था। वह महिलाओं को पुत्र होने की दवा भी देता था। इसका एक दिन निर्धारित रहता था जिसका प्रचार वॉट्स एप से करता था कि एक निश्चित दिन जड़ी-बूटी देते हैं जिससे लड़का पैदा होता है।

बाबा ने बनाई खूब प्रापर्टी

फलाहारी बाबा पर लगे बिलासपुर की 21 साल के लड़की से यौन शोषण के आरोप के बाद से ही अलग-अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं। अनुयायी जहां इसे एक साजिश बता रहे हैं, वहीं पीडि़ता के पिता आरोपों में सच्चाई का दावा कर रहे है। पीडि़ता के पिता का कहना है कि यह बाबा महिलाओं का माइंड वाश करके उनसे अकेले में मिलता-जुलता रहता था और उन्हें फंसाता था। धार्मिक कार्यों में महिलाओं का ही रोल रहता है। ये बाबाओं का गुणगान करती हैं। इसलिए उनकी तादाद ज्यादा रहती है। उनका कहना है कि हम तो इनको पैसा इस तरह से समर्पण किए हैं कि बता नहीं सकते। सच कहें तो हमने तो पैसा लुटाया है। पीडि़ता के पिता के मुताबिक बाबा के पास बहुत प्रापर्टी है। जमीन, जायदाद, कई जगह आश्रम हैं। वे कहते हैं कि बाबा मायावी है, हम खुद इसकी हकीकत बहुत बाद में पहचान पाए।

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