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अधिकांश पार्टियां चुनावी बांड की राह में रोड़ा : कह रहे हैं जेटली

Rishi
Published on: 7 Jan 2018 10:18 PM IST
अधिकांश पार्टियां चुनावी बांड की राह में रोड़ा : कह रहे हैं जेटली
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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि अधिकांश राजनीतिक दल पॉलिटिकल फंडिंग की मौजूदा प्रणाली से 'पूरी तरह संतुष्ट' हैं और वे चुनावी बांड जैसी पारदर्शी प्रणाली की तरफ नहीं बढ़ना चाहेंगी।

जेटली ने एक विश्लेषण में लिखा, "भारत में एक पारदर्शी राजनीतिक फंडिंग की व्यवस्था नहीं हो सकती, क्योंकि ज्यादातर राजनीतिक समूह मौजूदा व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट दिख रहे हैं। इसलिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाने के लिए वैकल्पिक प्रणाली लाने पर अडंगा डालने की कोशिश हो रही है।"

वित्तमंत्री ने वर्ष 2017-18 के अपने बजट भाषण में चुनावी बांड की संकल्पना की घोषणा की थी और दो जनवरी को इसे लोकसभा में उन्होंने प्रस्तुत भी किया। उन्होंने कहा कि वर्षो से कई सुधार किए गए, लेकिन उन सुधारों से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे का सिर्फ छोटा अंश चेक में आ रहा है।

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उन्होंने कहा, "इस सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के क्रम में मैंने 2017-18 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि राजनतिक दलों को सफेद धन कई प्रकार से दिए जा सकते हैं। चेक में दिए गए धन पर दानदाता को कर में छूट मिल सकती है। दानदाताओं को ऑनलाइन राजनीति दलों को दान देने की भी आजादी दी गई।"

वित्तमंत्री ने कहा, "इसके अतिरिक्त, राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे की प्रणाली में सफेद धन व पारदर्शिता लाने के मकसद से चुनावी बांड की घोषणा की गई।" उन्होंने कहा कि इस योजना में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे की प्रणाली में पूरी तरह से सफेद धन और पूरी पारदर्शिता बरतने पर विचार किया गया है।

दानदाता सिर्फ एक विशेष बैंकिंग उपकरण के जरिए निर्दिष्ट बैंक से ही चुनावी बांड खरीद सकते हैं। उनको अपने खाते में उनके द्वारा खरीदे गए राजनीतिक बांड का खुलासा करना होगा। बांड की अवधि सिर्फ 15 दिन होगी।

बांड को राजनीतिक दल के पूर्व घोषित खाते में भुनाया जा सकता है। प्रत्येक राजनीतिक दल को इसके अपने रिटर्न में चुनावी बांड से प्राप्त धन के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी।

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जेटली ने कहा, "वस्तुत: मौजूदा प्रणाली और नई प्रणाली के बीच चयन समझदारीपूर्वक करना होगा। मौजूदा प्रणाली जिसमें ज्यादातर दान नकदी में दिए जाते हैं और वह सफेद धन नहीं होता है, साथ ही यह पारदर्शी भी नहीं है। दूसरी ओर नई प्रणली में दानदाताओं को चेक के जरिए पूरी तरह पारदर्शी तरीके से धन देने का विकल्प है और वे चुनावी बांड के जरिए ऑनलाइन लेन-देन भी कर सकते हैं।"

हालांकि, वित्तमंत्री ने कहा कि किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे की जानकारी सिर्फ दानदाता तक सीमित होगी। वहीं, विपक्ष इस दावे से सहमत नहीं हैं।

कांग्रेस ने कहा कि दानदाता का नाम छिपाना एक प्रतिगामी कदम है। कांग्रेस ने इस बात की चिंता जाहिर की है कि इस तरीके से पारदर्शिता नहीं रहेगी और सत्ताधारी दल को सूचनाओं का गलत इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा। साथ ही, सरकारी तंत्र दानदाताओं पर बल प्रयोग कर सकता है।

वित्तमंत्री ने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन के शोधन के लिए सरकार सभी सुझावों पर विचार करने को इच्छुक है, लेकिन अव्यवहारिक सुझावों से फायदा नहीं मिलेगा।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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