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जलीकट्टूः विधानसभा में आज पेश होगा अध्यादेश, मरीना बीच थाना प्रदर्शनकारियों ने फूंका

बता दें कि जब पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को हटा रहे थे, तो वह लोग राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' गाने लगे थे। पलिस ने लाठीचार्ज करने के बाद पूरा इलाका खाली करा लिया।

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Published on: 23 Jan 2017 11:24 AM IST
जलीकट्टूः विधानसभा में आज पेश होगा अध्यादेश, मरीना बीच थाना प्रदर्शनकारियों ने फूंका
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तमिलनाडु: चेन्नई में जलीकट्टू को लेकर लोगों का हिंसक प्रदर्शन जारी है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया था। इसके विरोध में प्रदर्शनकारियों ने मरीना बीच थाने में आग लगाई और पुलिस की 25 गाड़ियों को फूंक दिया। इसमें कई पुलिस वाले घायल हो गए है।

बता दें कि पुलिस ने सोमवार को प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन खत्म करने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानें, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। जिसमें कई लोग घायल हो गए। बता दें कि इस बीच तमिलनाडु सीएम पनीरसेल्वम ने ट्वीट कर बताया कि सोमवार 23 जनवरी को जलीकट्टू पर विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा।



प्रदर्शनकारियों ने गाया राष्ट्रगान

बता दें कि जब पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को हटा रहे थे, तो वह लोग राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' गाने लगे थे। पलिस ने लाठीचार्ज करने के बाद पूरा इलाका खाली करा लिया। चेन्नई के अलावा कोयंबटूर, त्रिची और मदुरै से भी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया जा रहा है। डीएमके ने विधानसभा से प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ वॉकआउट किया है।

लोगों ने दी जान से मरने की धमकी

पुलिस ने मरीना बीच की तरफ जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए। तो वहीं लोगों को इस इलाके के आस-पास इकट्ठा नहीं होने दिया जा रहा है। पुलिस के रवैए से लोग काफी नाराज है। लोगों ने कहा कि वह भी इसी देश का हिस्सा हैं। पुलिस हमारे साथ गलत व्यवहार कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को धमकी देते हुए कहा कि अगर उन्हें जबरदस्ती हटाने की कोशिश की गई तो वे मरीना बीच पर ही अपनी जान दे देंगे।

स्थाई कानून बनाने की प्रदर्शनकारी कर रहे मांग

जलीकट्टू को लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी हो गया था। जिसको देखने के बाद सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया। इस अध्यादेश के तहत सांडों को काबू करने से जुड़े इस पारंपरिक तमिल खेल को इजाजत दे दी गई। लेकिन प्रदर्शनकारी इस पर स्थाई समाधान की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह अध्यादेश 6 महीने बाद निरस्त कर दिया जाएगा। इसलिए सरकार इस पर एक स्थाई कानून बनाए।



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