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Jam in Airport: अभी नहीं सुधरने वाला एयरपोर्ट्स का जाम
Airport Jam: दिल्ली, मुंबई समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर मची अफरातफरी की स्थिति फिलहाल सुलझती नहीं दिख रही है।
Airport Jam: दिल्ली, मुंबई समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर मची अफरातफरी की स्थिति फिलहाल सुलझती नहीं दिख रही है। अभी अनुमान है कि छुट्टियों का सीज़न समाप्त होने के बाद जनवरी के पहले हफ्ते में ही हालात काबू में आ पाएंगे। फिलहाल तो आलम ये है कि पिछले दस दिनों में हवाई यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या बनी हुई है। देश में घरेलू दैनिक यात्री पिछले दस दिनों से 4,00,000 से अधिक हैं और 11 दिसंबर को 4,28,000 से अधिक के टॉप पर पहुंच गए - यह न केवल उच्चतम यात्री संख्या है, बल्कि भारत में सबसे अधिक है।
इसके पहले शीर्ष संख्या 4,20,000 यात्रियों की थी जिसे मार्च 2020 में कोरोना के प्रभाव से पहले देखा था। इस साल पहली बार दैनिक घरेलू यात्रियों की संख्या लगातार 4,00,000 से अधिक रही है, हालांकि वर्ष के अधिकांश दिनों में यात्रियों की संख्या 3,50,000 से 3,75,000 तक रही।
माना जा रहा है कि हवाई यात्रा की बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने में हवाई अड्डे, एयरलाइन्स और सरकारी एजेंसियां फेल सक्षम नहीं रही हैं जिसके चलते प्रवेश द्वारों, एयरलाइन चेक-इन काउंटरों और सुरक्षा चेक इन गेटों पर अराजकता मची हुई है। नतीजा ये है कि अनेकों यात्रियों की उड़ानें मिस होने की शिकायतें हैं।
एयरलाइनों को प्रतिदिन 3,200 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई है, लेकिन एयरलाइंस 2,800 से अधिक उड़ानें संचालित कर रही हैं। यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उड़ानें लगभग भरी हुई हैं। कई एयरलाइंस रिकॉर्ड लोड फैक्टर रिपोर्ट कर रही हैं। कोरोना के पहले एयरलाइनों ने एक दिन में लगभग 3,000 उड़ानों पर 4,20,000 यात्रियों को एडजस्ट किया था। लेकिन पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी थी।
बहरहाल, विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को हवाई अड्डों, एयरलाइनों और एजेंसियों के साथ बैठक की और कई उपायों की घोषणा की, जिसमें पीक आवर्स के दौरान उड़ानों की संख्या में बदलाव, अन्य टर्मिनलों के लिए उड़ानों का पुनर्वितरण, तथा लगेज स्कैनिंग के लिए एक्स-रे मशीनों में वृद्धि शामिल है। सरकार ने एक आदेश जारी कर एयरलाइनों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हवाईअड्डों पर उनके काउंटर पर हमेशा कर्मचारी मौजूद हों। आदेश के अनुसार - नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि कुछ हवाई अड्डों पर एयरलाइन चेक-इन काउंटर सुबह के समय स्टाफ नहीं होता है या अपर्याप्त स्टाफ पाए जाते हैं जिससे भीड़भाड़ होती है। इसलिए एयरलाइनों को सलाह दी जाती है कि वे सभी चेक-इन/बैगेज ड्रॉप काउंटरों पर पहले से ही पर्याप्त स्टाफ तैनात करें ताकि हवाईअड्डों पर भीड़भाड़ कम हो और यात्रियों का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित हो सके। आदेश में कहा गया है कि एयरलाइंस से अनुरोध किया जाता है कि वे संबंधित हवाईअड्डों के प्रवेश द्वारों पर प्रतीक्षा समय के संबंध में अपने सोशल मीडिया फीड पर रीयल टाइम डेटा रखें। वैसे, एयरलाइंस के सूत्रों का कहना है कि एयरलाइन काउंटर देरी का मुख्य कारण नहीं हैं और समस्या का दीर्घकालिक समाधान सुरक्षा चेक-इन गेट्स पर अपनाई जाने वाली मानक संचालन प्रक्रियाओं में सुधार लाना होगा।
जबर्दस्त भीड़
देश के चार प्रमुख मेट्रो हवाई अड्डों - दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु से यात्रियों की संख्या चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में बढ़कर 8.71 करोड़ हो गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में 3.95 करोड़ यात्री थे। दिल्ली में तीन टर्मिनलों वाला इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है और प्रतिदिन लगभग 1.90 लाख यात्रियों और लगभग 1,200 उड़ानों को संभालता है। यहाँ कोरोना महामारी के बाद एक दिन का यातायात 10 दिसंबर को 1,50,988 यात्रियों तक पहुंच गया, जो यहाँ के लिए तीसरा सबसे बड़ा एक दिवसीय यात्री आवागमन था। 21 दिसंबर, 2018 को दर्ज की गई अब तक की सबसे अधिक एक दिन की यात्री संख्या 1,56,329 थी।
घाटे में हवाई अड्डे
महामारी के कारण हुई सुस्ती के बाद हवाई यात्रा में वापसी हुई है, लेकिन भारत के घाटे में चल रहे कई हवाईअड्डे खराब कैपेसिटी योजना और अन्य वजहों के कारण संघर्ष कर रहे हैं। दिसंबर 2021 में लोकसभा में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 102 हवाई अड्डों ने 3,855.75 करोड़ रुपये के घाटे की सूचना दी, जबकि चार हवाई अड्डों ने 8.4 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया।
नागरिक उड्डयन पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान डेवलप किये गए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे अपनी मौजूदा क्षमताओं को पूरा कर चुके हैं और अब उनमें सुविधाओं के और विस्तार और वृद्धि की आवश्यकता है। कुछ जानकारों का कहना है कि देश के हवाई अड्डों को पश्चिमी मॉडल पर बनाया गया है और ये भारतीय परिस्थितियों के लिए अपर्याप्त हैं। जरूरत है स्थानीय जरूरतों के अनुरूप पूरी तरह से एक अलग डिजाइन की। कुछ अन्य लोगों ने एडवांस प्लानिंग की कमी को दोषी ठहराया है और कहा है कि विस्तार के बारे में सोचा ही नहीं जा रहा।
विशेषज्ञों ने कहा है कि जहां कुछ हवाईअड्डे नए टर्मिनलों में निवेश कर रहे हैं और कुछ शहर दूसरे हवाईअड्डे का निर्माण कर रहे हैं, वहीं बेमेल क्षमता से निपटने में कुछ समय लगेगा। ऐसे में यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ेगा। इससे पहले, प्रस्थान से 45 मिनट से एक घंटे के बीच हवाई अड्डे पर रिपोर्ट करने की उम्मीद की जाती थी और आज यह दो से तीन घंटे तक बढ़ गया है। यानी स्पष्ट रूप से कुछ गलत हो गया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि भले ही कई भारतीय हवाईअड्डे अपनी क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रतीक्षा समय कम करने और भीड़ को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है, खासकर सुरक्षा जांच और इमीग्रेशन चेक आउट के मामले में।