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James Bond: जेम्स बॉन्ड हुआ 60 साल का, आज भी जारी है करिश्मा

James Bond:जेम्स बॉन्ड छह अजेय दशकों के लिए सिनेमाई पलायनवाद की सबसे जबर्दस्त मिसाल है।

Neel Mani Lal
Published on: 9 Oct 2022 5:47 PM IST
James Bond
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जेम्स बॉन्ड (Pic: Social Media)

James Bond: "बॉन्ड, जेम्स बॉन्ड", सर शॉन कॉनरी ने 1962 में रिलीज़ हुई फ़िल्म "डॉ. नो" में जब ये डायलॉग बोला तब किसी को नहीं पता था कि अगले साठ साल तक यही डायलॉग न सिर्फ दोहराया जाता रहेगा, बल्कि ये एक जेम्स बॉन्ड एक आइकॉन, एक अविस्मरणीय किरदार बन जायेगा। जेम्स बॉन्ड छह अजेय दशकों के लिए सिनेमाई पलायनवाद की सबसे जबर्दस्त मिसाल है। "बॉन्ड, जेम्स बॉन्ड" मात्र एक डायलॉग से कहीं अधिक है। यह एक पॉप कल्चरल टचस्टोन है। ब्रिटिश खुफिया एजेंट जेम्स बॉन्ड ड्रेस से लेकर खाने-पीने में एक बेहतरीन पसंद वाला शख्स है। उस पर महिलाएं तुरंत फिदा हो जाती हैं। जेम्स बॉन्ड के पास एक से एक गैजेट होते हैं और उसे अपने दुश्मनों का सफाया करने में जरा भी गुरेज नहीं होता।

"डॉ. नो" से हुई थी शुरुआत

बॉन्ड फ्रेंचाइजी की पहली फिल्म 60 साल पहले रिलीज हुई थी। इयान फ्लेमिंग के छठे उपन्यास पर आधारित, "डॉ नो" ने जेम्स बॉन्ड की कई सिग्नेचर स्टाइल को स्थापित किया है जिन्हें दर्शक दशकों से पहचानते और पसंद करते आए हैं। "डॉ. नो" का शुरुआती एक्शन जमैका में सेट किया गया है, जहां इयान फ्लेमिंग ने संयोग से 1952 में अपना पहला बॉन्ड नॉवेल, "कैसीनो रोयाल" लिखा था। डॉ नो की हिरोइन थीं आकर्षक बॉन्ड गर्ल उर्सुला एंड्रेस जो इस मूवी से स्टार बन गईं।

फ़िल्म का सुपर विलेन है डॉ. जूलियस नो, एक पागल वैज्ञानिक जो दुनिया की बर्बादी पर तुला हुआ है। जोसेफ वाइसमैन द्वारा अभिनीत डॉ. नो के कृत्रिम हाथ और एक आपराधिक दिमाग है जिस पर बुराई हावी है।

डॉ. नो में जेम्स बॉन्ड का किरदार निभाया था शॉन कॉनरी ने और उन्होंने अगले साथ वर्षों के लिए कमांडर बॉन्ड का बेंचमार्क सेट कर दिया। एक ऐसा खुफिया एजेंट जो बेहतरीन ड्रेस पहनता है, सौम्य है, त्रुटिहीन है, बंदूक के साथ-साथ बुद्धि में भी तेज। वह सेक्सी है जिसपर महिलाएं मर मिटती हैं।

आश्चर्यजनक रूप से शॉन कॉनरी, इयान फ्लेमिंग की बॉन्ड की आदर्श अवधारणा नहीं थे। लेखक की पहली पसंद हॉलीवुड सुपरस्टार कैरी ग्रांट थे। कैरी ग्रांट पहले ही एक शानदार बॉन्ड फिल्म में दिखाई दे चुके थे जिसमें बॉन्ड नहीं था और जिसे अल्फ्रेड हिचकॉक ने बनाया था। ये थी बेहद रोमांचक फ़िल्म "नॉर्थ बाय नॉर्थवेस्ट" जो 1959 में रिलीज़ हुई थी। फ्लेमिंग ने शुरू में कॉनरी को एक स्टंट मैन और एक कामगार शख्स करार देते हुए खारिज कर दिया था। लेकिन स्क्रीन पर कॉरीन की दमदार मौजूदगी को देख कर फ्लेमिंग ने अपनी राय बदल दी। बाद के उपन्यासों में अपने एक्शन हीरो की पृष्ठभूमि में स्कॉटिश वंश को भी जोड़ा, क्योंकि कॉनरी भी स्कॉटिश थे।

जेम्स बांड फिल्में

- डॉ. नो - 1962 - शॉन कॉनरी

- फ्रॉम रशिया विद लव - 1963 - शॉन कॉनरी

- गोल्डफिंगर - 1964 - शॉन कॉनरी

- थंडरबॉल - 1965 - शॉन कॉनरी

- यू ओनली लिव ट्वाइस - 1967 - शॉन कॉनरी

- कैसिनो रोयाल - 1967 - डेविड निवेन

- ऑन हर मेजेस्टीज़ सीक्रेट सर्विस - 1969 - जॉर्ज लेज़ेनबी

- डायमंड्स आर फॉरएवर - 1971 - शॉन कॉनरी

- लिव एंड लेट डाई - 1973 - रोजर मूर

- द मैन विद द गोल्डन गन - 1974 - रोजर मूर

- द स्पाई हू लव्ड मी - 1977 - रोजर मूर

- मूनरेकर - 1979 - रोजर मूर

- फ़ॉर योर आईज ओनली - 1981 - रोजर मूर

- ऑक्टोपुसी - 1983 - रोजर मूर

- नेवर से नेवर अगेन - 1983 - शॉन कॉनरी

- ए व्यू टू ए किल - 1985 - रोजर मूर

- द लिविंग डे लाइट्स - 1987 - टिमोथी डाल्टन

- लाइसेंस तो किल - 1989 - टिमोथी डाल्टन

- गोल्डनआई - 1995 - पियर्स ब्रॉसनन

- टुमॉरो नेवर डाइस - 1997 - पियर्स ब्रॉसनन

- द वर्ल्ड इज़ नॉट इनफ - 1999 - पियर्स ब्रॉसनन

- डाई अदर डे - 2002 - पियर्स ब्रॉसनन

- कैसीनो रोयाल - 2006 - डेनियल क्रेग

- क्वांटम ऑफ सोलेस - 2008 - डेनियल क्रेग

- स्काईफॉल - 2012 - डेनियल क्रेग

- स्पेक्टर - 2015 - डैनियल क्रेग

- नो टाइम टू डाई - 2021 - डेनियल क्रेग

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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