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जम्मू-कश्मीर की बेटी ने किया कमाल, बनीं राज्य की पहली महिला बस ड्राइवर
ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10000 रुपये मिल रहे थे। जब मुझे भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस मिला, तो मैंने संघ से संपर्क किया और उन्होंने जम्मू-कठुआ सड़क पर चलने वाली एक यात्री बस को सौंपकर मेरे कौशल पर भरोसा किया।
श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में बदलाव की लहर चल रही है पहले धारा 307 खत्म हुई तो आतंकी गतिविधियों पर भी बहुत हद तक लगाम लगा है। इसी बीच प्रदेश से एक अच्छी खबर है। जम्मू के बसोली की एक महिला प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर बनी है और वह अब रोजाना जम्मू से कठुआ तक यात्रियों को लेकर बस चला रही हैं।
जम्मू -कश्मीर में उनसे पहले किसी महिला ने आज तक यात्री बस नहीं चलाई थी। मूल रूप से एक ड्राइविंग ट्रेनर पूजा ने पेशेवर ड्राइवर बनने के लिए इस पेशे को अपनाया। महिला ड्राइवर पूजा को हर पड़ाव पर कठुआ से जम्मू वापसी और जाने के क्रम में लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली हैं और लोग उनके हौसले की तारीफ करते हैं।
सुदूर संधार-बसोहली गांव
कठुआ जिले के सुदूर संधार-बसोहली गांव में पली-बढ़ी 30 साल की पूजा ने कहा कि उसे ड्राइविंग का शौक था और वो तब से कार चला रही थीं जब टीनएजर थीं। उसके मन में भारी वाहन चलाने की इच्छा शुरुआती से ही थी और वो सपना अब जाकर पूरा हुआ। पूजा ने कहा, ''मेरे परिवार ने शुरू में मेरा साथ नहीं दिया। लेकिन, कोई अन्य नौकरी करने के लिए मैं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी। यह पेशा ही सूट करता है। मैं कमर्शियल वाहन चलाना सिखाती थी।
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पहले परिवार का साथ नहीं मिला
पूजा जम्मू में ट्रक भी चला चुकी है। उनका सपना आखिरकार सच हो गया है, बस ड्राइवर बनने के फैसले पर उन्हें अपने ही परिवार में विरोध भी झेलना पड़ा।पूजा ने कहा, परिवार के सदस्य और ससुराल वाले पेशे के खिलाफ थे, पूजा ने बताया कि उसने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के विरोध के बावजूद पेशेवर ड्राइवर बनने के अपने सपने को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
प्रोफेशनल ड्राइवर
पूजा ने इस प्रोफेशनल ड्राइवर बनने के फैसले को लेकर कहा कि आज महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं। मैं टैबू को तोड़ना चाहती थी कि केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिला भी यात्री बस चला सकती है। मैं उन सभी महिलाओं को संदेश देना चाहती थी, जो चुनौतीपूर्ण नौकरियों में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं और परिवार उन्हें अपने सपनों को पूरा नहीं करने देते हैं।
पूजा को ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी और वह एक बेहद गरीब परिवार से थी। ऐसे में उनके सामने लोगों के घरों में जाकर झाड़ू पोछा करने का ही रास्ता बचा था, लेकिन, उन्होंने यह सब करने से इनकार किया और मन में यह ठान ली कि वह 1 दिन बस चलाएंगे और अपने परिवार का पालन पोषण करेंगे जिसमें वह अपनी दोस्तों की मदद से कामयाब हो गई है।
बस यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह साथ मिला
पूजा देवी ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाला जम्मू-कठुआ-पठानकोट रूट मिला है। इस हाइवे पर किसी अच्छे ड्राइवर के लिए भी बस चलाना मुश्किल होता है क्योंकि ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है लेकिन, मैंने हमेशा इसका सपना देखा. पहली ड्राइव ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया पूजा देवी ने पहली बार ये मौका मिलने को लेकर कहा जब जम्मू-कठुआ रोड बस यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने मेरा अनुरोध स्वीकार किया तो मैं वास्तव में आश्चर्यचकित थी उन्होंने मुझे एक बस दी और मुझे प्रोत्साहित किया।
ड्राइविंग स्किल पर भरोसा
वो पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मेरी ड्राइविंग स्किल पर भरोसा किया। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और यह उन कारणों में से एक था जिसकी वजह से उन्हें कमाने के लिए घर से बाहर आना पड़ा। उन्होंने बताया, ''मुझे जम्मू में एक प्रतिष्ठित ड्राइविंग संस्थान से प्रशिक्षक के रूप में प्रति माह 10000 रुपये मिल रहे थे। जब मुझे भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस मिला, तो मैंने संघ से संपर्क किया और उन्होंने जम्मू-कठुआ सड़क पर चलने वाली एक यात्री बस को सौंपकर मेरे कौशल पर भरोसा किया।
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समाज में पुरुष और महिला को बराबरी का दर्जा
उन्होंने इस पेशे को क्यों चुना, पूजा ने जवाब दिया कि अगर महिलाएं पायलट, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी हो सकती हैं और अन्य रूप में काम कर सकती हैं, तो वे पेशेवर ड्राइवर क्यों नहीं बन सकतीं। पूजा देवी ने कहा, ''हर पड़ाव पर, लोग मेरा स्वागत करते हैं और मेरे फैसले की सराहना करते हैं। मुझे लोगों और अन्य ड्राइवरों से बहुत स्नेह मिला है। उनकी प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक और उत्साहजनक है। पूजा के साथ इस रूट पर बस चला रहा है अन्य ड्राइवरों का दावा है कि पूजा के इस कदम से समाज का उनके प्रति नजरिया बदल जाएगा उनके मुताबिक एक महिला का बस चलाना सुनने में अजीब सा लगता है लेकिन यह इस समाज में पुरुष और महिला की बराबरी को दर्शाता है।