TRENDING TAGS :
भाजपा पर हमले का कोई मौका नहीं चूकतीं ममता, इसलिए उठाया विश्वभारती का मुद्दा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी भाजपा पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकतीं। यही कारण है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को भी मुद्दा बना दिया।
लखनऊ: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी भाजपा पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकतीं। यही कारण है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को भी मुद्दा बना दिया। इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया था मगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया।
बाद में उन्होंने इस मामले को यह कहकर तूल दे दिया कि मुझे इस कार्यक्रम का निमंत्रण ही नहीं मिला था। टीएमसी की ओर से जारी बयान में भी कहा गया है कि ममता बनर्जी को कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था। दूसरी ओर विश्वविद्यालय ने साफ तौर पर कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया था मगर वे खुद इस कार्यक्रम में नहीं शामिल हुईं।
एएमयू के कार्यक्रम में नहीं हुआ कोई विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पूर्व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को भी संबोधित किया था और उस समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिस्सा नहीं लिया था मगर इसे लेकर कोई सियासी विवाद नहीं खड़ा हुआ। इसका कारण यह था कि भाजपा या मुख्यमंत्री योगी की तरफ से इसे लेकर कोई विवाद पैदा करने की कोशिश नहीं की गई।
ये भी पढ़ें: हिली नितीश सरकार: JDU से छिने 6 विधायक, बीजेपी के आगे सिर पकड़े रह गए सीएम
खुद ममता ने खड़ा किया विवाद
दूसरी ओर विश्वभारती विश्वविद्यालय के कार्यक्रम को लेकर खुद ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी ने विवाद खड़ा कर दिया। कार्यक्रम को लेकर ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें समारोह में शामिल होने का आमंत्रण नहीं भेजा गया था। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए मगर ममता ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।
टीएमसी ने बताया ममता का अपमान
बाद में तृणमूल कांग्रेस ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को न बुलाया जाना ममता और उनके पद का अपमान है। टीएमसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भाजपा राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रही है और इसी कारण उसने जानबूझकर ऐसा किया है। टीएमसी ने यह आरोप भी लगाया कि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की विचारधारा पर चलने के कारण ममता बनर्जी को निशाना बनाया जा रहा है। पार्टी ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि आज अगर गुरुदेव जिंदा होते हैं तो भाजपा उन्हें भी निशाना बनाने से नहीं चूकती।
विश्वभारती विवि ने आरोपों की हवा निकाली
दूसरी ओर विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से जारी किए गए स्पष्टीकरण के बाद साफ हो गया है कि टीएमसी के आरोपों में कोई दम नहीं है। खुद ममता बनर्जी का बयान भी राजनीति से प्रेरित है क्योंकि उन्होंने भी वही बातें कही थीं जो उनकी पार्टी कर रही है। विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से साफ किया गया है कि टीएमसी के आरोपों में कोई दम नहीं है क्योंकि ममता बनर्जी को करीब 20 दिन पहले 4 दिसंबर को न्योता भेजा गया था मगर इसके बावजूद उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया।
विश्वविद्यालय की ओर से ममता बनर्जी को भेजा गया निमंत्रण पत्र भी सामने आ चुका है जिस पर 4 दिसंबर 2020 की तारीख दर्ज है। इस पर विश्वविद्यालय के उपाचार्य विद्युत चक्रवर्ती के हस्ताक्षर हैं।
ये भी पढ़ें: कांग्रेस का ऐलान, इन दलों के साथ मिलकर लड़ेगी 2021 का विधानसभा चुनाव
ममता ने इसलिए पैदा किया विवाद
जानकारों का कहना है कि समारोह को लेकर ममता बनर्जी ने इसलिए भी विवाद पैदा कर दिया है क्योंकि इस विश्वविद्यालय के चांसलर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के मौके पर ट्वीट करते हुए कहा था कि आज विश्वभारती सौ साल का हो गया है। शिक्षा का यह मंदिर रविन्द्रनाथ टैगोर का हमें बड़ा तोहफा है। हमें इस महान दूरदर्शी की दृष्टि और दर्शन को संरक्षित करना चाहिए।
ट्वीट तो किया मगर कार्यक्रम से दूरी
ममता बनर्जी ने विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को लेकर यह ट्वीट तो जरूर किया मगर खुद कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। इस बीच पश्चिम बंगाल में भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा न लेकर गुरुदेव के विश्वभारती का अपमान किया है।
राज्यपाल ने भी साधा सरकार पर निशाना
उधर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे को लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में सभी गेंदों को नहीं खेला जाता है और सभी को बख्शा भी नहीं जाता। जो लोग विश्वविद्यालय को विवाद में फंसाने की कोशिश में लगे हैं, मैं उनसे संस्थान और कुलपति को पूर्ण सहयोग और स्वायत्तता देने की अपील करता हूं। हाल के दिनों में राज्यपाल और मुख्यमंत्री विभिन्न मुद्दों को लेकर एक-दूसरे से उलझ चुके हैं और विश्वभारती विश्वविद्यालय उसकी ताजा कड़ी है।
अंशुमान तिवारी