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Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर सरकार की बड़ी कार्रवाई, आतंकियों के पत्नी औऱ बेटे को सरकारी नौकरी से किया बर्खास्त
Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर में लगातार बढ़ रही टारगेट किलिंग की घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने घाटी में रह रहे कुख्यात आतंकियों के परिवार के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है।
Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर में लगातार बढ़ रही टारगेट किलिंग की घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने घाटी में रहे रहे कुख्यात आतंकियों के परिवार के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकी सैयद सलाउद्दीन के बेटे और बिट्टा कराटे की पत्नी समेत चार सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। इन पर आरोप है कि ये सरकारी नौकरी की आड़ में आतंकियों की मदद करते थे।
दरअसल कश्मीर में अब आतंक के अंडरकवर एजेंटों की धर-पकड़ की मुहिम तेज कर दी गई है। एक - एक कर सिस्टम और सरकारी तंत्र में छिपे दुश्मनों को तलाशा जा रहा है। जो सैलरी तो सरकार से लेते थे मगर काम आतंकियों के लिए करते थे। कौन है कुख्यात बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह जम्मू कश्मीर में सक्रिय पाक समर्थित अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ का टॉप आतंकवादी फारूक अहमद डार उफ बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह आरजूमंद खान जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी है।
असबाह को पहली बार साल 2003 में शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय-कश्मीर में नौकरी मिली थी। बताया जाता है कि उसकी नियुक्ति में काफी धांधली हुई थी। साल 2003 से 2007 के बीच वह महीनों तक ड्यूटी पर नहीं गईं, फिर भी उसके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई। असबाह को 2007 में बर्खास्त किया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, असबाह लंबे समय से घाटी में चल रही आतंकी गतिविधियों में संलिप्त थीं।
साल 2003 से 2007 के दौरान उसने कई यूरोपीय और एशियाई देशों का दौरा फंड जुटाने के लिए किया था। जिसका इस्तेमाल जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ की गतिविधियों के लिए किया जाता था। इसका सरगना यासीन मलिक अभी जेल में है। बताया जाता है कि असबाह ने साल 2011 में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास करने के बाद बिट्टा कराटे से निकाह कर ली। वहीं नौकरी से बर्खास्त किए गए अन्य सरकारी कर्मचारियों में कश्मीर विश्वविद्यालय में तैनात मुहीत अहमद भट और माजिद हुसैन कादरी और JKEDI में प्रबंधक सैयद अब्दुल मुईद शामिल है। सभी को उपराज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 311 का प्रयोग करके हटाया है।