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शाह की अहम बैठक में कश्मीर के हालात की समीक्षा, टारगेट किलिंग रोकने के लिए एक्शन प्लान तैयार

Target Killing in JK: कश्मीर में टारगेट किलिंग को लेकर अमित शाह की बैठक में आज बड़ा फैसला होने की उम्मीद है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 3 Jun 2022 8:14 AM GMT (Updated on: 3 Jun 2022 12:51 PM GMT)
Target killing in Kashmir, Home Minister Amit Shah held a meeting
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Target killing in Kashmir, Home Minister Amit Shah held a meeting 

Amit Shah meeting over Kashmir: जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं लेकर मोदी सरकार अब कड़ा रुख अपनाएगी। पिछले कुछ दिनों के दौरान टारगेट किलिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी के कारण घाटी में रहने वाले हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों में जबर्दस्त गुस्सा दिख रहा है। विपक्षी दलों का भी आरोप है कि घाटी में अब 90 के दशक जैसा माहौल दिख रहा है। ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से आज बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में टारगेट के लिंग से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया गया है।

शाह की ओर से बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक आज दिन भर दो राउंड में चली। बैठक में हिस्सा लेने वालों में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रा के चीफ सामंत गोयल भी शामिल थे। पहले दौर की बैठक के बाद एक और बैठक हुई जिसमें सेना प्रमुख मनोज पांडे ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक में बीएसएफ के चीफ पंकज सिंह, सीआरपीएफ के चीफ कुलदीप सिंह,जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव व डीजीपी, गृह सचिव अजय भल्ला और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अफसर भी मौजूद थे।

आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की तैयारी

जानकार सूत्रों के मुताबिक आज दिन भर चली बैठक के दौरान जम्मू कश्मीर के हालात पर गहन चर्चा की गई। आतंकी संगठनों की ओर से की जा रही टारगेट किलिंग को रोकने के उपायों पर भी गंभीर चर्चा हुई। बैठक में हाल के दिनों में हुई आतंकी घटनाओं और इन्हें रोकने के लिए की जा रही कार्रवाई पर भी चर्चा हुई।

गृह मंत्री ने टारगेट किलिंग की घटनाओं को रोकने के लिए आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि घाटी के अल्पसंख्यकों में सुरक्षा का भाव पैदा होना बहुत जरूरी है। माना जा रहा है कि बैठक के दौरान आतंकियों के खिलाफ छेड़े जाने वाले एक्शन प्लान की रूपरेखा भी तैयार की गई है।

पलायन ने बढ़ाई सरकार की चिंता

दरअसल टारगेट किलिंग की घटनाओं के बाद कश्मीर में शुरू हुए पलायन ने मोदी सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू होने से पूरे देश में एक नई बहस शुरू हो गई है। दूसरे प्रदेशों से आकर कश्मीर में काम करने वाले लोगों में भारी दहशत दिख रही है। इस कारण लोगों ने घाटी को छोड़ना शुरू कर दिया है। वे कामकाज छोड़कर अपने प्रदेशों की ओर लौट रहे हैं। यहां काम करने वाले एक शख्स ने बताया कि 40-50 परिवारों के लोग यहां काम छोड़कर लौट चुके हैं। पीम पैकेज के तहत काम करने वाले कश्मीरी पंडित भी काफी संख्या में घाटी छोड़कर जम्मू पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि कश्मीर में काम करने का कोई माहौल ही नहीं रह गया है। आतंकी घटनाओं को रोकने में प्रशासन और पुलिस पूरी तरह नाकामयाब होती दिख रही है।

खीर भवानी मेले के बहिष्कार का फैसला

इस बीच कश्मीरी पंडितों ने खीर भवानी मेले का बहिष्कार करने का फैसला किया है। खीर भवानी मिले को कश्मीरी पंडितों का मुख्य त्योहार माना जाता है और इस बार यह आयोजन 8 जून को होने वाला है। इस मेले को धार्मिक सद्भाव और कश्मीरियत का प्रतीक माना जाता है। अतीत में मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग भी खीर मेले के आयोजन में मदद देते रहे हैं मगर घाटी में टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं के कारण कश्मीरी पंडितों में डर और दहशत का माहौल दिख रहा है।

इसके साथ ही टारगेट किलिंग की घटनाओं को रोकने में नाकामी के कारण कश्मीरी पंडितों में भारी नाराजगी है। इस कारण कश्मीरी पंडितों ने इस साल के खीर भवानी मेले का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

टारगेट किलिंग में आतंकी संगठनों का हाथ

दरअसल जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में टारगेट किलिंग की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। टारगेट किलिंग की इन घटनाओं ने सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि टारगेट किलिंग की इन घटनाओं के पीछे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का माड्यूल काम कर रहा है।

हालांकि टारगेट किलिंग की कई घटनाओं के बाद सेना के जवानों ने बड़ा अभियान छोड़कर इन घटनाओं के जिम्मेदार आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया है मगर इन घटनाओं के कारण लोगों में लगातार दहशत और डर का माहौल बनता जा रहा है। इसलिए अब इन घटनाओं को रोकने के लिए आतंकियों की कमर तोड़ने का बड़ा अभियान छेड़ने की तैयारी है।

टारगेट किलिंग की घटनाओं में इजाफा

टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं के कारण मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आती जा रही है। हाल के दिनों में टारगेट किलिंग की कई घटनाएं हुई हैं और इस कारण अल्पसंख्यकों ने घाटी से पलायन शुरू कर दिया है। कुलगाम जिले में गुरुवार को एक आतंकी ने बैंक में घुसकर मैनेजर विजय कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना का सीसीटीवी वीडियो भी सामने आ गया है। इसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि आतंकी ने इधर-उधर देखने के बाद बैंक मैनेजर को गोलियों से भून दिया और इसके बाद भाग निकला।

इसके पूर्व मंगलवार को कुलगाम में ही आतंकियों ने स्कूल में घुसकर हिंदू शिक्षिका रजनी बाला को मौत के घाट उतार दिया था। रजनी बाला के पति ने उन्हें स्कूटर से स्कूल छोड़ा और स्कूल में उनके घुसते ही घात लगाकर बैठे आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके उनकी जान ले ली। स्कूली बच्चों के सामने हुई इस घटना से घाटी में दहशत फैल गई।

इससे पहले 12 मई को आतंकियों ने बडगाम जिले के चडूरा तहसील दफ्तर में घुसकर कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पिछले एक महीने के दौरान टारगेट किलिंग के आठ घटनाएं हो चुकी हैं और इसी कारण सरकार की चिंता बढ़ गई है।

मुख्यालयों पर तैनात होंगे हिंदू कर्मचारी

टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं के कारण सरकारी हिंदू कर्मचारी अब घाटी में काम करने को तैयार नहीं हैं। वे घाटी से जम्मू ट्रांसफर किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। कर्मचारियों की मांग के मद्देनजर जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। अब कश्मीर घाटी में काम करने वाले सभी हिंदू कर्मचारियों को सिर्फ जिला मुख्यालयों में ही तैनात किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों की ओर से लगातार यह मांग की जा रही थी कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पोस्टिंग दी जाए।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सभी कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर पोस्टिंग देने की तैयारी है। कर्मचारियों की समस्याएं न सुलझाने वाले अफसरों पर भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी है।

Ragini Sinha

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