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Jammu-Kashmir: खतरे में आजाद की पार्टी DPAP का वजूद, हार के बाद नए ठिकानों की तलाश में नेता

Jammu-Kashmir: जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में गुलाम नबी आजाद की पार्टी को करारी हार मिली थी।

Anshuman Tiwari
Published on: 28 Oct 2024 10:32 AM IST
Jammu-Kashmir
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Jammu-Kashmir (social media) 

Jammu-Kashmir: जम्मू कश्मीर में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और हालात यह थी कि पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। पार्टी की इस करारी हार के बाद गुलाम नबी आजाद ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। आजाद को अपनी पार्टी की ऐसी दुर्दशा की उम्मीद नहीं थी। अब पार्टी के अधिकांश नेता दूसरे दलों में ठिकाने की तलाश में जुटे हुए हैं जिससे आजाद की पार्टी का सियासी वजूद खतरे में नजर आ रहा है।

कांग्रेस से इस्तीफा देकर बनाई थी नई पार्टी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने लंबे समय तक कांग्रेस की सियासत की। बाद में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ मतभेद पैदा होने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और 26 सितंबर 2022 को अपनी नई पार्टी बना ली थी। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) रखा और इसके बाद वे लगातार जम्मू-कश्मीर में सक्रिय बने रहे।

दरअसल उनकी निगाह जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव पर थी और इस चुनाव के जरिए वे अपनी पार्टी को सियासी रूप से मजबूत बनाना चाहते थे। अपनी सभाओं में वे जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग जोर-शोर से उठाते थे। इसके साथ ही वे मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के लिए किए गए विकास कार्यों की चर्चा भी किया करते थे।


लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी करारी हार

लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने अपनी ताकत आजमाने की कोशिश की थी। जम्मू-कश्मीर की तीन सीटों पर उन्होंने अपने प्रत्याशी उतारे थे मगर तीनों प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 22 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी उतारे थे मगर उनकी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका।

चुनाव से पहले ही आजाद बीमार हो गए थे। इसलिए वे अपनी पार्टी के प्रत्याशियों का ठीक ढंग से चुनाव प्रचार भी नहीं कर सके। चुनाव के दौरान आजाद मजबूत प्रत्याशियों की तलाश नहीं कर सके। चुनाव नतीजे में हालात यह हो गई कि उनकी पार्टी के अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। आजाद को भी अपनी पार्टी की ऐसी दुर्दशा का आभास नहीं था।

चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद साधी चुप्पी

चुनाव के दौरान पार्टी की हालत खराब देखकर आजाद के कई बेहद करीबी नेताओं ने भी उनका साथ छोड़ दिया। आजाद के बेहद करीबी माने जाने वाले जीएम सरूरी और जुगल किशोर ने भी पार्टी का साथ छोड़कर निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया। हालांकि इन दोनों नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा।

चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद आजाद ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। यहां तक कि नई सरकार के गठन के बाद भी उनका कोई बयान सामने नहीं आया है। आजाद की पार्टी के अन्य नेता भी पूरी तरह खामोश बने हुए हैं और उनमें हताशा साफ तौर पर झलक रही है।

पार्टी का सियासी वजूद खतरे में

विधानसभा चुनाव के बाद आजाद की पार्टी डीपीएपी का सियासी वजूद खतरे में नजर आ रहा है। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि पार्टी का अब जम्मू-कश्मीर में कोई सियासी वजूद नहीं रहा और आगे भी पार्टी के मजबूत होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे माहौल में आजाद की पार्टी के अधिकांश नेता नए ठिकाने की तलाश में जुटे हुए हैं।

कई नेता इस बात का आकलन करने में जुटे हुए हैं कि कांग्रेस में शामिल होने पर उन्हें फायदा मिलेगा या नहीं। अब राज्य में पांच साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए नेताओं के पास अपना सियासी भविष्य तय करने के लिए पर्याप्त समय है। इसलिए पार्टी के अधिकांश नेता इस गुणा गणित में जुटे हुए हैं कि किस पार्टी में शामिल होने पर उन्हें ज्यादा सियासी फायदा हो सकता है।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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