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रोशनी घोटाले में फंसे फारूक अब्दुल्ला, अब दी अपनी सफाई, लगे हैं ये आरोप
रोशनी जमीन घोटाले में नाम सामने आने पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सफाई देते हुए कहा कि सबी आरोप बेबुनियाद हैं। ये मुझे परेशान करने की कोशिश है।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के रोशनी जमीन घोटाले (Roshni Land Scam) में बड़े-बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने इस मामले में अपनी सफाई दी है। उन्होंने मामले पर सफाई देते हुए उन पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
फारूक अब्दुल्ला ने पेश की अपनी सफाई
रोशनी जमीन घोटाले में नाम सामने आने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि इलाके में केवल मेरा घर ही नहीं है बल्कि सैकड़ों घर हैं। उन्होंने कहा कि ये मुझे परेशान करने की कोशिश है और उन्हें करने दीजिए। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि जम्मू के सजवान में 10 कनाल जमीन में बने उनके घर के लिए 7 कनाल जंगल की जमीन और केवल तीन कनाल उनकी जमीन का इस्तेमाल किया गया है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
क्या है फारूक अब्दुल्ला पर आरोप?
फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) पर इस जमीन को रोशनी एक्ट (Roshni Act) के तहत गलत तरीके से लेने का आरोप लगा है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से रोशनी घोटले की लिस्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है। कोर्ट के आदेश पर इस लिस्ट को सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
हसीब द्राबू ने भी दी अपनी सफाई
बता दें कि रोशनी जमीन घोटाले (Roshni Land Scam) में कई बड़े राजनेता और बड़े नौकरशाहों के नाम सामने आ रहे हैं। इस स्कैम में PDP, NC, कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू (Haseeb Drabu) का भी नाम सामने आया है। जिसके बाद हसीब द्राबू ने भी अपनी सफाई दी है। उन्होंने एक मीडिया हाउस से बातचीत में कहा कि कोई घोटाला नहीं हुआ है। मुझे गलत मकसद से बदनाम किया जा रहा है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा जमीन घोटाला
बता दें कि ये जमीन घोटाला करीब 25 हजार करोड़ रुपये का है, जिसे जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा जमीन घोटाला मामला कहा जाता है। इस मामले की जांच CBI कर रही है। आपका बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार के ‘रोशनी एक्ट’ के तहत सरकारी जमीनों की खूब बंदरबांट हुई है। इसे सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसके बदले उनसे सरकार द्वारा तय एक निश्चित रकम ली जाती थी।
2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया। शुरू में तो सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले किसानों को उद्देश्यों के लिए स्वामित्व अधिकार दिए गए थे। हालांकि मुफ्ती सईद और गुलाम नबी आजाद की सरकार के दौरान इस अधिनियम में दो बार संशोधन किए गए। पहले कट ऑफ 2004 और बाद में 2007 कर दी गई।
हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी जांच
लेकिन साल 2014 में आई CAG रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि 2007 से 2013 के दौरान जमीन ट्रांसफर करने के मामले में खूब गड़बड़ी की गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार 25 हजार करोड़ के बजाय केवल 76 करोड़ रुपये ही जमा कर पाई। वहीं हाई कोर्ट के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
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